Friday, January 8, 2016

मेरे समाज को नंगा रहने पर मजबूर किया

एक बार गांधी जी एक सभा में गये। उन्होने इधर उधर नजर दौडाई, उन्हें वहां एक भी महिला नही दिखी। उन्होंने आयोजकों से पूछा "इस सभा मे कोई महिलायें नही दिख रही है क्या आप लोगों ने महिलाओं को सभा मे आमंत्रित नही किया ?"
इस पर आयोजको ने गांधी को जवाब दिया "बुलाया तो है बापू, पर महिलाओं के पास तन ढकने के लिये पूरे कपडे नही है इसलिये वे नही आ सकती"
गांधी ने कहा "फिर मै ही क्यों कपडे पहनू? मै भी नंगा ही रहुँगा सिर्फ घुटने तक धोती पहनुंगा "!
फिर गांधी ने बडे अहंकार भरे शब्दों में कहा "डॉ. आंबेडकर क्या समाज की सेवा करेंगे और ये क्या समाज का उद्धार करेंगे ये खूद सूट-बूट मे रहते है ।"
इस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने जवाब दिया "मिस्टर गांधी तुम्हारी इस वर्ण व्यवस्था ने हजारों सालों से मेरे समाज को नंगा रहने पर मजबूर किया। लेकिन अब मैं अपने समाज को बहुत जल्द ही अपने जैसा सूट-बूट वाला बनाऊँगा। आप देख लेना सभी एक दिन मेरे समाज के लोग मेरे जैसे सूट-बूट मे दिखेंगे !"
और आज सही मे हमे सूट-बूट मे देखकर बाकी लोग जलते है !
मेरे बाबासाहेब ने जो कहा, वह कर दिखाया !
इसलिये मेरे बहुजनो
 किसी भी परिस्थिती में पढना मत छोडो।
 पढो और दुसरो को पढने के लिये मदद करो ! 
 अगर आप दो रूपये कमाते हैं तो एक रुपया रोटी के लिये खर्च करो और एक रुपया पुस्तकों के लिये।
रोटी तुम्हे ताकत देंगी और पुस्तके ज्ञान।
 खाने के लिये जिंदा मत रहो, जिंदा रहने के लिये खाओ ! 
 साफ सुथरे रहो, अच्छा आचरण करो।
 अंधविश्वास, पाखंड और व्यर्थ पूजापाठ छोडो। इसमें समय, पैसा और शक्ति नष्ट न करो।
 समाज के भले के लिए कार्य  करने की आदत डालो।
 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करने की कोशिश करो।
  संगठित रहो !
 तभी हम सब बाबासाहेब के सच्चे अनुयायी कहलायेंगे !
 जय भिम !  जय गुरुदेव !

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