Thursday, December 31, 2015

मोदी अगर सचमुच दलितों की दुर्दशा को दूर करना चाहते हैं तो

मोदी अगर सचमुच दलितों की दुर्दशा को दूर करना चाहते हैं तो उन्हें निम्न बातों पर गंभीरता से विचार करना होगा। सबसे पहले तो यह ध्यान रखना होगा संविधान प्रारूप समिति में जाने के पीछे डॉ. आंबेडकर का प्रधान अभीष्ट दलित वर्ग का कल्याण करना था, जिसका खुलासा उन्होंने 25 नवम्बर, 1949 को संसद में दिए गए अपने ऐतिहासिक भाषण में भी किया था। इस बात की ओर राष्ट्र का ध्यान नए सिरे से आकर्षित करते हुए विद्वान् सांसद शरद यादव ने गत 27 नवम्बर को संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा था भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को जो जिम्मा दिया गया था, वह इसलिए दिया गया था कि देश के सबसे जयादा छोटे और सब से ज्यादा निचले तबके, छोटी जाति व वीकर सेक्शन के लोगों की जिंदगी कैसे ठीक होगी, कैसी संवरेगी, उन्हें बनाने का यही मकसद था।' लेकिन बाबा साहेब इस मकसद में पूरी तरह सफल इसलिए नहीं हो पाए क्योंकि संविधान निर्माण के समय वे दुनिया के सबसे लाचार स्टेट्समैन थे। पाकिस्तान विभाजन के बाद वह संविधान सभा में पहुंचे थे तो उस दल की अनुकम्पा से जिसका लक्ष्य परम्परागत विशेषाधिकारयुक्त व सुविधासंपन्न तबके का हित-पोषण था। उनकी लाचारी की ओर संकेत करते हुए पंजाबराव देशमुख ने कहा था कि यदि आंबेडकर को संविधान लिखने की छूट मिली होती तो शायद यह संविधान अलग तरह का बनता। मनचाहा संविधान लिखने की छूट न होने के कारण ही उन्हें 'राज्य और अल्पसंख्यक' पुस्तिका की रचना करनी पड़ी थी। अगर मनचाहा संविधान लिखने की छूट होती तो अक्तूबर 1942 में गोपनीय ज्ञापन के जरिये ब्रितानी सरकार के समक्ष ठेकों में आरक्षण की मांग उठाने वाले आंबेडकर क्या संविधान में ठेकों सहित सप्लाई, डीलरशिप इत्यादि अन्यान्य आर्थिक गतिविधियों में दलितों व अन्य वीकर सेक्शन के लिए हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं कर देते?

काबिले गौर है कि मानव सभ्यता के इतिहास में जिन तबकों को शोषण, उत्पीड़न और वंचना का शिकार बनना पड़ा, वह इसलिए हुआ कि जिनके हाथों में सत्ता की बागडोर रही उन्होंने उनको शक्ति के स्रोतों(आर्थिक-राजनैतिक-धार्मिक-शैक्षिक इत्यादि) में वाजिब हिस्सेदारी नहीं दिया। जहां तक आंबेडकर के लोगों का सवाल है उन्हें हजारों सालों से शक्ति के स्रोतों से पूरी तरह बहिष्कृत रखा गया। स्मरण रहे डॉ. आंबेडकर के शब्दों में अस्पृश्यता का दूसरा नाम बहिष्कार है। इस देश के शासकों ने जिस निर्ममता से आंबेडकर के लोगों को शक्ति के स्रोतों से बहिष्कृत कर अशक्त व असहाय बनाया, मानव जाति के इतिहास में उसकी कोई मिसाल ही नहीं है। बहरहाल अपनी सीमाओं में रहकर जितना मुमकिन था, उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14, 15(4), 16(4), 17, 24, 25(2), 29(1), 38(1), 38(2), 39, 46, 164(1), 244, 257(1), 320(4), 330, 332, 334, 335, 338, 340, 341, 342, 350, 371 इत्यादि प्रावधानों के जरिये मोदी के दलित, पीड़ित, शोषित समाज चेहरा बदलने का सबल प्रयास किया। लेकिन आजाद भारत के शासक आंबेडकर के लोगों के प्रति प्रायः असंवेदनशील रहे इसलिए वे इन प्रावधानों को भी इमानदारी से लागू नहीं किये। 

फलतः आज भी दलित शोषित अपनी दुर्दशा से निजात नहीं पा सके हैं। काबिले गौर है कि आंबेडकरी आरक्षण से प्रेरणा लेकर अमेरिका ने अपने देश के कालों व वंचित अन्य नस्लीय समूहों को सरकारी नौकरियों के साथ-साथ सप्लाई, डीलरशिप, ठेंको, फिल्म-टीवी इत्यादि समस्त क्षेत्रों में ही अवसर सुलभ कराया। इससे अमेरिकी वंचितों के जीवन में सुखद बदलाव आया। प्रधानमंत्री यदि सचमुच अवसरों से वंचित दलित शोषितों के जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं, जोकि संविधान निर्माता की दिली चाह थी, तो मौजूदा आरक्षण के प्रावधानों को कठोरता से लागू करवाने के साथ ही उन्हें सप्लाई, डीलरशिप, ठेकों, फिल्म-टीवी इत्यादि में पर्याप्त अवसर दिलाने का मन बनायें और उसकी घोषणा डिक्की के मंच से करें। साल के विदा लेते-लेते आंबेडकर की 125 वीं जयंती वर्ष में डॉ. आंबेडकर के लोगों के मुकम्मल-अस्पृश्यतामोचन का डिक्की से बेहतर मंच और कहां मिल सकता है!

भीम दोहे - डॉ. भीम राव आंबेडकर जी पर आधारित दोहे



नीच समझ जिस भीम को, देते सब दुत्कार |
कलम उठाकर हाथ में, कर गये देश सुधार  ||१||
जांत-पांत के भेद की, तोड़ी हर दीवार |
बहुजन हित में भीम ने, वार दिया परिवार ||२||

पानी-मंदिर दूर थे, मुश्किल कलम-किताब |
दांव लगा जब भीम का, कर दिया सब हिसाब ||३||

ऊँचेपन की होड़ में, नीचे  झुका  पहाड़ |
कदम पड़े जब भीम के, हो गया शुद्ध महाड़ ||४||


पारस ढूँढें भीम को, आँख बहाये नीर |
पढे-लिखे हैं सैंकड़ों, नही भीम सा वीर ||५||

दिल में सब जिंदा रखे, बुद्ध, फुले व कबीर |
छोड़ वेद-पुराण सभी, भीम हुए बलवीर ||६||

झूठ और पाखंड की, सहमी हर दुकान |
भेदभाव से जो परे, रच दिया संविधान ||७||

रोटी-कपड़ा-मकान का, दिया हमें अधिकार |
पूज रहे तुम देवता, भूल गये उपकार ||८||

भेदभाव का विष दिया, सबने कहा अछूत |
जग सारा ये मानता, था वो सच्चा सपूत ||९||

भीम तब दिन-रात जगे, दिया मान-सम्मान |
लाज रखो अब मिशन की,अर्पित कर दो जान ||१०||

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विद्यार्थी चाहे, तो इन दोहों का विद्यालय कार्यक्रमों में सस्वर वाचन कर सकते हैं |
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Wednesday, December 30, 2015

"ज्ञान का प्रतीक डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर"


"ज्ञान का प्रतीक डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर" -
दुनिया के किसी भी क्रिस्चियन से पूछो
की तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् और धर्मग्रन्थ
कौन सा है तो वोह बोलेगा की मैं
क्रिस्चियन हूँ, बाइबिल भगवान् की किताब
है और येशु क्राइस्ट भगवान् के बेटे हमारे लिए सबसे
पूजनीय है।
दुनिया के किसी भी मुसलमान से पूछो की
तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् और धर्मग्रन्थ कौन
सा है तो वोह बोलेगा की मैं मुसलमान हूँ और
अल्लाह के सिवाय कोई भगवान् नहीं है और
मुहम्मद पैगम्बर साहब उनके आखरी रसूल है ( ﻻ ﺍﻟﻪ ﺍﻻ
ﺍﻟﻠﻪ ﻣﺤﻤﺪ ﺭﺳﻮﻝ ﺍﻟﻠﻪ ) और कुरान हमारी सबसे
पवित्र किताब है ।
दुनिया के किसी भी सिख से पूछो की
तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् कौन है तो वोह
बोलेगा की गुरु ग्रन्थ साहब हमारे सबसे बड़े
भगवान् है, सिखों के दस गुरुओं पे विश्वास करते है
और मानते है की भगवान् एक है ।
दुनिया के किसी भी बुद्धिस्ट से पूछो की
तुम्हारा भगवान् कौन है तो वोह बोलेगा
की वोह भगवान् से ज्यादा मानवता को
महत्व देते है और मानवता की राह बताने वाले
तथागत भगवान् बुद्ध को अपना आदर्श मानते है
और त्रिपिटक उनके लिए सबसे पवित्र है ।
(Special Note/:विशेष सूचना:- पाली भाषा में
भगवान् का अर्थ इश्वर (GOD) नहीं होता है।
पाली भाषा में भगवान् का अर्थ है - "जिस
किसी भी व्यक्ति ने उसका सभी अज्ञान,
लालसा, कामुकता को जड़ से उखाड़ फ़ेंक दिया
है ऐसे व्यक्ति को भगवान् कहा गया है ।)
दुनिया के किसी भी नास्तिक से पूछो की
तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् कौन है? तो वो
बोलेगा की वोह भगवान्को नहीं मानते और
ना ही कीसी किताब को, वोह तो सिर्फ
मानवता को ही मानते है और तर्क पे विश्वास
करते है ।
इन सभी लोगों से आपको साफ़ साफ़ जवाब
मिलेगा और वोह भी बिना किसी भ्रम
(Confusion) के।
अब हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा सबसे बड़ा
भगवान् कौन है और तुम्हारा धर्म ग्रन्थ कौन
सा है तो आपको ये उत्तर मिलेगा:
अगर महाराष्ट्र के हिन्दुओं से पूछो की
तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् कौन है, तो वे कहेंगे
- गणेश
अगर दिल्ली के हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा
सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे कहेंगे - राम
अगर गुजरात के हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा
सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे कहेंगे - कृष्ण
अगर बंगाल के हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा
सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे कहेंगे - माँ
दुर्गा
अगर बिहार के हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा
सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे कहेंगे - शंकर
अगर दक्षिण भारत के हिन्दुओं से पूछो की
तुम्हारा सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे
कहेंगे - मुरुगन/ बालाजी
अगर नेपाल के हिन्दुओं से पूछो की तुम्हारा
सबसे बड़ा भगवान् कौन है , तो वे कहेंगे - पशुपति
नाथ
धर्म ग्रन्थ के बारे में पूछोगे तो कोई कहेगा
भगवद्गीता, कोई कहेगा रामायण, कोई
कहेगा महाभारत, कोई कहेगा वेद, कोई कहेगा
उपनिषद्, कोई कहेगा श्रुति, और कोई कहेगा
उसको पता नहीं!
आपको साफ़ साफ़ जवाब नहीं मिलेगा और
भ्रमित (Confused) हो जाओंगे!
अस्सल में हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं है,
अगर आप विश्लेषण करें तो हिन्दू ये शब्द मुसलमान
राजाओं ने गुलाम बनाये हुए, पकडे हुए, बंदी
बनाये हुए उच्च जाती के लोगों को हिन्दू
कहा था। हिन्दू का Arth Das ,hara huwa, Dasyu होता है और कुछ नहीं।
हिन्दू ये शब्द जो खुद को हिन्दू कहते है और
हिन्दू होने पर गर्व करते है उनके किसी भी धर्म
ग्रन्थ में नहीं है,न ही वेद में है, ना ही पुरानों
में है और ना ही भागवाद गीता में है! इससे ये
साबित होता है की हिन्दू ये धार्मिक शब्द
नहीं है। तो फिर लोग "हिन्दू, हिन्दू हिन्दू"
क्यों चिल्लाते रहते है? अस्सल में हिन्दू नाम का
कोई धर्म नहीं है ये तो सिर्फ एक गाली है
मुसलमान राजाओं ने दी हुयी! हिन्दू धर्म
जिसको कहते है उसका असली नाम है वैदिक
धर्म, या सनातन धर्म या फिर ब्राह्मणी
धर्म और ये धर्म जाती व्यवस्था (Caste
System),छुआ-छूत ( Untouchability) , और मानवता
की उच्च निच्चता (lower caste-higher caste) पे
आधारित है और इसको सनातन (Eternal) कह
गया है, सनातन यानी की कभी ना
बदलनेवाला! इसमें सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मण,
क्षत्रिय और वैश्य लोगों का ही भला है
जिनकी संख्या इस देश के 15% है। फिर ये सभी
सनातनी लोग " हिन्दू, हिन्दू, हिन्दू" क्यों
चिल्लाते रहते है? वोह इसलिए चिल्लाते रहते
है, क्यों की सनातनी धर्म या फिर
ब्राहमनी धर्म का नारा लगाया जाय तो
कोई भी पिछड़ी जात का, शुद्र जात का,
या फिर अनुसूचित जाती/जनजाति का
आदमी मुर्ख नहीं बनेगा और ब्राह्मण जो हिन्दू
नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते आ रहे है उनकी
असलीयत, उनकी असली औकात सामने आ
जाएगी। जैसे ही उनकी असलियत सामने आएगी
वैसे ही ब्राह्मण और उनके पालतू कुत्ते, कुत्ते की
मौत मारे जायेंगे!!! हिन्दू ये कोई धर्म नहीं है
ये तो एक षड़यंत्र है पिछड़ी जात और अन्य जात
के लोगों को मुर्ख बनाने का और उनको दुसरे
समुदायों के खिलाफ भड़काने का!
अगर आपको हमारी बात पे जरा भी संदेह है
तो आप ऊपर लिखी हुयी सभी बातों की स्वयं
पुष्टि कर सकते है।

🌺बहुजन केलेंडर -2016🌺




🌺बहुजन केलेंडर -2016🌺

🔶Festivals of Bahujan Samaj
🔶which should b celebrated

🚀01 जानेवारी ➡ भीमा कोरेगांव क्रांती स्तंभ स्मुर्ती दिन

🚀02 जानेवारी ➡ संत कबीर स्मुर्ती दिन

🚀03 जानेवारी ➡ क्रांतीज्योती सावित्रीमाई फूले जयंती दिन

🚀08 जानेवारी ➡ वर्ल्ड बौद्ध धम्म ध्वज दिन

🚀09 जानेवारी ➡ कामगार लिडर नारायण मेघाजी लोखंडे स्मुर्ती दिन

🚀12 जानेवारी ➡ राजमाता जिजाऊ जयंती दिन

🚀26 जानेवारी ➡ प्रजासत्ताक दिन

🚀02 फेब्रुवारी ➡ सुभेदार रामजी आंबेडकर स्मुर्ती दिन

🚀07 फेब्रुवारी ➡ माता रमाई आंबेडकर जयंती दिन

🚀14 फेब्रुवारी ➡ संत रविदास जयंती दिन

🚀19 फेब्रुवारी ➡ छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती दिन (As per Govt. Decision) 

🚀23 फेब्रुवारी ➡ समाज सुधारक संत गाडगे महाराज जयंती दिन

🚀06 मार्च ➡ काळाराम मंदिर सत्याग्रह दिन

🚀08 मार्च ➡ वर्ल्ड वूमेन डे

🚀09 मार्च ➡ संत तूकाराम स्मुर्ती दिन

🚀10 मार्च ➡ क्रांतीज्योती सावित्रीमाई स्मुर्ती दिन

🚀15 मार्च ➡ कांशीराम साहेब जयंती दिन

🚀20 मार्च ➡ महाड चवदार तळे क्रांती दिन

🚀07 एप्रिल ➡ वर्ल्ड हेल्थ डे

🚀11 एप्रिल ➡क्रांतीबा म. ज्योतिराव फूले जयंती दिन

🚀14 एप्रिल ➡ विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती दिन

🚀15 एप्रिल ➡ छत्रपती शिवाजी महाराज स्मुर्ती दिन

🚀17 एप्रिल ➡ प्रियदर्शी बौद्ध सम्राट अशोक जयंती (this year) 

🚀21 एप्रिल ➡ काळाराम मंदिर Open for all of us.

🚀30 एप्रिल ➡ संत तुकडोजी महाराज जयंती दिन

🚀06 मे ➡ छत्रपती शाहू महाराज स्मुर्ती दिन

🚀08 मे ➡ संत कबीर स्मुर्ती दिन & महास्थविर गुरु चंद्रमणी निर्वाण दिन

🚀09 मे ➡ संत चोखामेळा स्मुर्ती दिन

🚀22 मे ➡ बुद्ध पोर्णिमा (this year)

🚀27 मे ➡ माता रमाई स्मुर्ती दिन

🚀09 जून ➡ बिरसा मुंडा स्मुर्ती दिन

🚀13 जून ➡ संत कबीर जयंती

🚀23 जून ➡ राजमाता जिजाऊ स्मुर्ती दिन

🚀26 जून ➡ छत्रपती शाहू महाराज जयंती 

🚀18 जून ➡ आणाभाऊ साठे स्मुर्ती दिन

🚀01ऑगष्ट ➡ आणाभाऊ साठे जयंती

🚀14 ऑगष्ट ➡ राणी अहिल्याबाई होळकर जयंती

🚀15 ऑगष्ट ➡ स्वातंत्र्य दिवस

🚀24 ऑगष्ट ➡ राणी अहिल्याबाई होळकर स्मुर्ती दिन

🚀17 सप्टेंबर ➡ पेरियार रामास्वामी नायकर जयंती दिन

🚀09 ऑक्टोबर ➡ कांशीराम साहेब निर्वाण दिन

🚀13 ऑक्टोबर ➡ संत तुकडोजी महाराज स्मुर्ती दिन

🚀14 ओक्टोबर ➡ धम्मचक्र परिवर्तन दिन

🚀15 नोव्हेंबर ➡ बिरसा मुंडा जयंती दिन 

🚀23 नोव्हेंबर ➡ बौद्ध संघ दिन

🚀26 नोव्हेंबर ➡ संविधान दिन

🚀28 नोव्हेंबर ➡ म.ज्योतिराव फूले स्मुर्ती दिन

🚀06 डिसेंबर ➡ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर महापरिनिर्वाण दिन

🚀20 डिसेंबर ➡ संत गाडगेबाबा स्मुर्ती दिन

🚀24 डिसेंबर ➡ पेरियार रामास्वामी स्मुर्ती दिन

🚀27 डिसेंबर ➡ डॉ. पंजाबरा दिन.