Monday, July 3, 2023

ओ मेरे आंबेडकर !!! कविता - निखिल सबलानिया

डॉ. आंबेडकर जी और भारत के लोगों के सम्बन्ध पर एक कविता। 


ओ मेरे बाबा साहिब डॉ. आंबेडकर जी! 

आपने इतना कुछ भारत के लोगों को दिया। 

फिर भी आपका नाम लेने से ये क्यों कतराते हैं ?  

आपसे महान मानव इस दुनिया में न हुआ। 

फिर भी आपको छुपाते हैं क्यों? 

क्या इसलिए कि आपने गरीबों को अधिकार दिए ? 

क्या इसलिए कि अपने समाज को एकता दी ? 

अगर आपसे कतराएंगे तो कहाँ जाएंगे? 

इस दुनिया में आपसा आदर्श कहाँ पाएंगे?

कब जानेगे ये भारत के लोग?

कब मानेंगे आपका एहसान?


एक दिन दुनिया में मुँह छुपाएंगे वो लोग। 

जो छुपाना चाहते हैं हस्ती आपकी। 

एक दिन न रहेगी कोई दास्ताँ उनकी। 

मानेंगे वो भी आपका एहसान। 

जिस दिन उनके दिल जाग जाएंगे। 


आपको भगवान न कहें पर इंसान भी नहीं हैं आप। 

आपसा तो भगवान भी न पाएंगे। 

भगवान भी कहता होगा आपके लिए। 

मैंने अब तक तुम्हें बनाया क्यों नहीं। 


न जाने क्या बेबसी है उनकी ?

जिनकी ज़ुबान पर आप आते नहीं। 

फिर भी आज कहता है यह निखिल,

बाबा साहिब आंबेडकर दुनिया से कभी जाएंगे नहीं। 


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