Wednesday, July 15, 2020

विश्व में हर रिकार्ड बाबा साहेब के नाम

विश्व में हर रिकार्ड बाबा साहेब के नाम
इसको इतना SHARE करें ता कि सभी लोगों बाबा साहेब के बारे मे जान सकें....
1. भारत के सबसे पढे व्यक्ति
2. सबसे ज्यादा किताब लिखने वाले
3. सबसे तेज स्पीड से ज्यादा टाईप करने वाले
4. सबसे ज्यादा शब्द टाईप करने वाले
5. सबसे ज्यादा आंदोलन करें
6. महिला अधिकार के लिए संसद में इस्तीफा देने वाले
7. दलित, पिछडो के हको को दिलाने वाले
8. हिन्दू धर्म के ग्रन्थ मनुस्मर्ति को चोराहे पर जलाने वाले
9. जातिवाद को समाप्त करने के लिए पंडतानि से sadi करने वाले
10. गरीब मज़लूमो के हको के लिए 4 बच्चे कुर्बान करने वाले
11. 2 लाख किताबो को पढ़कर याद रखने वाले
12. भारत का सविधान लिखा
13. पूना पैक्ट लिखा
14. मूक नायक पत्रिका निकाली
15. बहिस्किरत समाचार पत्र निकाला
16. सबसे तेज लिखने वाले
17. दोनों हाथो से लिखने वाले
18. ग़ांधी जी को जीवन दान देने वाले
19. सबसे काबिल बैरिस्टर
20. मुम्बई के सेठ के बेटे को फर्जी मुक़दमे से बरी कराने वाले
21. योग करने वाले
22. सबसे ईमानदार
23. 18 से 20 घंटे पढ़ने वाले
24. सरदार पटेल को obc का मतलब समझने वाले
25. स्कूल के बहार बैठकर और अपमान सहकर उच्च शिक्षा पाने वाले
25. हम सबकी भलाई के लिए पत्नी रमाबाई को खोने वाले .........
.
दिल से जय भीम
.

*बाबा साहब डॉ.भीमराव रामजी अम्बेडकर*
(एक संक्षिप्त परिचय)

🌀डॉ.बाबासाहब अंबेडकर 9 भाषाएँ जानते थे।
1) मराठी (मातृभाषा)
2) हिन्दी
3) संस्कृत
4) गुजराती
5) अंग्रेज़ी
6) पारसी
7) जर्मन
8) फ्रेंच
9) पाली

उन्होंने पाली व्याकरण और शब्दकोष (डिक्शनरी) भी लिखी थी, जो महाराष्ट्र सरकार ने "Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and
Speeches Vol.16 "में प्रकाशित की हैं।

🔹 बाबासाहब अंबेडकर जी ने संसद में पेश किए हुए विधेयक

1) महार वेतन बिल
2) हिन्दू कोड बिल
3) जनप्रतिनिधि बिल
4) खोती बिल
5) मंत्रीओं का वेतन बिल
6) मजदूरों के लिए वेतन (सैलरी) बिल
7) रोजगार विनिमय सेवा
8) पेंशन बिल
9) भविष्य निर्वाह निधी (पी.एफ्.)

🔹 बाबासाहब के सत्याग्रह (आंदोलन)

1) महाड आंदोलन 20/3/1927
2) मोहाली (धुले) आंदोलन 12/2/1939
3) अंबादेवी मंदिर आंदोलन 26/7/1927
4) पुणे कौन्सिल आंदोलन 4/6/1946
5) पर्वती आंदोलन 22/9/1929
6) नागपूर आंदोलन 3/9/1946
7) कालाराम मंदिर आंदोलन 2/3/1930
8) लखनौ आंदोलन 2/3/1947
9) मुखेड का आंदोलन 23/9/1931

🔹बाबासाहब अंबेडकर द्वारा स्थापित सामाजिक संघटन

1) बहिष्कृत हितकारिणी सभा - 20 जुलै 1924
2) समता सैनिक दल - 3 मार्च 1927

🔹राजनीतिक संघटन
1) स्वतंत्र मजदूर पार्टी - 16 अगस्त 1936
2) शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन- 19 जुलै 1942
3) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया- 3 अक्तूबर 1957

🔹धार्मिक संघटन
1) भारतीय बौद्ध महासभा -
4 मई 1955

🔹शैक्षणिक संघटन
1) डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी- 14 जून 1928
2) पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी- 8 जुलै 1945
3) सिद्धार्थ काॅलेज, मुंबई- 20 जून 1946
4) मिलींद काॅलेज, औरंगाबाद- 1 जून 1950

🔹अखबार, पत्रिकाएँ
1) मूकनायक- 31 जनवरी 1920
2) बहिष्कृत भारत- 3 अप्रैल 1927
3) समता- 29 जून 1928
4) जनता- 24 नवंबर 1930
5) प्रबुद्ध भारत- 4 फरवरी 1956

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी ने अपने जिवन में विभिन्न विषयों पर 527 से ज्यादा भाषण दिए।

🔹बाबासाहब अंबेडकर को प्राप्त सम्मान

1) भारतरत्न
2) The Greatest Man in the World (Columbia University)
3) The Universe Maker (Oxford University)
4) The Greatest Indian (CNN IBN & History Tv

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी इनकी
निजी किताबें (उनके पास थी)
1) अंग्रेजी साहित्य- 1300 किताबें
2) राजनिती- 3,000 किताबें
3) युद्धशास्त्र- 300 किताबें
4) अर्थशास्त्र- 1100 किताबें
5) इतिहास- 2,600 किताबें
6) धर्म- 2000 किताबें
7) कानून- 5,000 किताबें
8) संस्कृत- 200 किताबें
9) मराठी- 800 किताबें
10) हिन्दी- 500 किताबें
11) तत्वज्ञान (फिलाॅसाफी)- 600 किताबें
12) रिपोर्ट- 1,000
13) संदर्भ साहित्य (रेफरेंस बुक्स)- 400 किताबें
14) पत्र और भाषण- 600
15) जिवनीयाँ (बायोग्राफी)- 1200
16) एनसाक्लोपिडिया ऑफ ब्रिटेनिका- 1 से 29 खंड
17) एनसाक्लोपिडिया ऑफ सोशल सायंस- 1 से 15 खंड
18) कैथाॅलिक एनसाक्लोपिडिया- 1 से 12 खंड
19) एनसाक्लोपिडिया ऑफ एज्युकेशन
20) हिस्टोरियन्स् हिस्ट्री ऑफ दि वर्ल्ड- 1 से 25 खंड
21) दिल्ली में रखी गई किताबें-
बुद्ध धम्म,
पालि साहित्य,
मराठी साहित्य- 2000 किताबें
22) बाकी विषयों की 2305 किताबें

🔹बाबासाहब जब अमेरिका से भारत लौट आए तब एक बोट दुर्घटना में उनकी सैंकडो किताबें समंदर मे डूबी।

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी
1) महान समाजशास्त्री
2) महान अर्थशास्त्री
3) संविधान शिल्पी
4) आधुनिक भारत के मसिहा
5) इतिहास के ज्ञाता और रचियाता
6) मानवंशशास्त्र के ज्ञाता
7) तत्वज्ञानी (फिलाॅसाॅफर)
8) दलितों के और महिला अधिकारों के मसिहा
9) कानून के ज्ञाता (कानून के विशेषज्ञ)
10) मानवाधिकार के संरक्षक
11) महान लेखक
12) पत्रकार
13) संशोधक
14) पाली साहित्य के महान अभ्यासक (अध्ययनकर्ता)
15) बौध्द साहित्य के अध्ययनकर्ता
16) भारत के पहले कानून मंत्री
17) मजदूरों के मसिहा
18) महान राजनितीज्ञ
19) विज्ञानवादी सोच के समर्थक
20) संस्कृत और हिन्दू साहित्य के गहन अध्ययनकर्ता थे।

🔹बाबासाहब अंबेडकर की कुछ विशेषताएँ

1) पाणी के लिए आंदोलन करनेवाले विश्व के पहल महापुरुष

2) लंदन विश्वविद्यालय के पुरे लाईब्ररी के किताबों की छानबीन कर उसकी
जानकारी रखनेवाले एकमात्र महामानव

3) लंदन विश्वविद्यालय के 200 छात्रों में नंबर 1 का छात्र होने का सम्मान प्राप्त होनेवाले पहले भारतीय

4) विश्व के छह विद्वानों में से एक

5) विश्व में सबसे अधिक पुतले बाबासाहब अंबेडकर जी के हैं।

6) लंदन विश्वविद्यालय मे डी.एस्.सी.
यह उपाधी पानेवाले पहले और आखिरी भारतीय

7) लंदन विश्वविद्यालय का 8 साल का पाठ्यक्रम 3 सालों मे पूरा
करनेवाले महामानव

🔹बाबासाहब अंबेडकर जी के वजह से ही भारत में "रिजर्व बैंक" की स्थापना हुईं।

बाबासाहब डॉ.अंबेडकर जी ने अपने डाॅक्टर ऑफ सायंस के लिए ' दि प्राॅब्लेम ऑफ रूपी' यह शोध प्रबंध भी लिखा था।👑

*Dr.BHIMRAO AMBEDKAR* (1891-1956)
*B.A., M.A., M.Sc., D.Sc., Ph.D., L.L.D.,*
D.Litt., Barrister-at-La w.
B.A.(Bombay University)
Bachelor of Arts,
MA.(Columbia university) Master
Of Arts,
M.Sc.( London School of
Economics) Master
Of Science,
Ph.D. (Columbia University)
Doctor of
philosophy ,
D.Sc.( London School of
Economics) Doctor
of Science ,
L.L.D.(Columbia University)
Doctor of
Laws ,
D.Litt.( Osmania University)
Doctor of
Literature,
Barrister-at-La w (Gray's Inn,
London) law
qualification for a lawyer in
royal court of
England.
Elementary Education, 1902
Satara,
Maharashtra
Matriculation, 1907,
Elphinstone High
School, Bombay Persian etc.,
Inter 1909,Elphinston e
College,Bombay
Persian and English
B.A, 1912 Jan, Elphinstone
College, Bombay,
University of Bombay,
Economics & Political
Science
M.A 2-6-1915 Faculty of Political
Science,
Columbia University, New York,
Main-
Economics
Ancillaries-Soc iology, History
Philosophy,
Anthropology, Politics
Ph.D 1917 Faculty of Political
Science,
Columbia University, New York,
'The
National Divident of India - A
Historical and
Analytical Study'
M.Sc 1921 June London School
of
Economics, London 'Provincial
Decentralizatio n of Imperial
Finance in
British India'
Barrister-at- Law 30-9-1920
Gray's Inn,
London Law
D.Sc 1923 Nov London School
of
Economics, London 'The
Problem of the
Rupee - Its origin and its
solution' was
accepted for the degree of D.Sc.
(Economics).
L.L.D (Honoris Causa) 5-6-1952
Columbia
University, New York For HIS
achievements,
Leadership and authoring the
constitution of
India
D.Litt (Honoris Causa)
12-1-1953 Osmania
University, Hyderabad For HIS
achievements,
Leadership and writing the
constitution of
India!

@AshaAmbedkar

हिंदु मंदिर में नारियल क्यो फोड़ा जाता है?

हिंदु मंदिर में नारियल क्यो फोड़ा जाता है??इसके बारे में यह ऐतिहासिक जानकारी होना जरूरी है.......

मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में चक्रवर्ति सम्राट अशोक के वंशज मोर्य वंश के बौद्ध सम्राट राजा बृहद्रथ मोर्य की हत्या उसी के सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से की थी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।
उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था।
*इसके बाद ब्राह्मण* *पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी साकेत को बनाया।
पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी*…
*राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, भगवाधारी बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।

*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ।

राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे ।

इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात “सरयू” हो गया*।
*इसी “सरयू” नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने “रामायण” लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।
*इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में “सरयू” नदी के किनारे हुई।
*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा’ कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी*।
*ध्यान रहे उक्त ब्रह्दथ मोर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था ना ही इस तरह की संस्क्रति थी।वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है*।
*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी ” सच्ची रामायण” पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया !
की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।
*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है!
कि ” रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।
*अथार्त् फर्जी है*।
[7:37AM, 11/3/2017] Sonic: दुर्गा  से शक्ति मिलती तो दालरोटी खाने की क्या जरूरत।
छठ्ठी माई से बच्चे मिलते तो पति बनाने की क्या जरुरत ।
विश्वकर्मा सब बनाते तो जापान से मेट्रो लाने की क्या जरुरत।
लक्ष्मण रेखा कोई पार नही कर सकता तो सीमा पर सिपाही की क्या जरुरत।
ईन्द्र की कृपा से वर्षा होती तो किसान को आत्महत्या करने की क्या जरुरत।
सभी  कार्य ईश्वर की कृपा से होता तो कार्यालय की क्या जरुरत।
देवी देवता की कृपा से रोग ठीक हो जाता तो औषधालय की क्या जरुरत।
लक्ष्मी ही धन देती तो ATM की क्या जरुरत।
सरस्वती विध्या देती तो विद्यालय की क्या जरुरत।
भगवान न्याय करता तो न्यायलय की क्या जरुरत।
जय प्रकृति
जय ज्ञान
जय विज्ञान
जय संविधान
जय अखण्ड भारत।
इसीलिए.........
*दिखावे पर न जाओ*
*अपने दिमाग की बत्ती जलाओ*