Thursday, September 29, 2022

नए रूप में आ रही है डाॅ. आंबेडकर जी की लेखनी, बुद्ध का सत्य उजागर और दलित बस्तियों का पर्दाफाश



14 अक्टूबर को धम्म प्रवर्तन दिन पर डॉ. भीमराव आंबेडकर जी लिखित दो पुस्तकें, बौद्ध धम्म व दलित शोषण पर चार नई पुस्तकों को निखिल सबलानिया प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। आईए जानते हैं कि कैसे डॉ. आंबेडकर जी की लेखनी को नए रुप से पेश किया जा रहा है और बुद्ध के सत्य उजागर किया जा रहा है और दलित बस्तियों का सत्य बताया जा रहा है। 

डॉ. भीमराव आंबेडकर जी लिखित व निखिल सबलानिया द्वारा अनुवादित - जाति का संहार (एनिहिलेशन आॅफ कास्ट), भारत में जातियाँ (कास्ट्स इन इंडिया)

डाॅ. आंबेडकर जी चाहते थे कि उनका भाषण - एनिहिलेशन आॅफ कास्ट, और उनका रिसर्च पेपर - कास्ट्स इन इंडिया, को एक साथ प्रकाशित किया जाए। उनकी उस इच्छा को पूरा करने के लिए इन दोनों पुस्तकों को एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है। साथ ही इनके अनुवाद को दो अन्य अनुवादों से बेहत्तर करके और इंग्लिश के मूल लेखों को ज्यों-का-त्यों उतारने के प्रयास से प्रेरित हो कर किया गया है। अनुवाद को सरल हिंदी में तो परिभाषित किया ही गया है ताकि अधिक-से-अधिक लोगों की समझ में आए और साथ ही डॉ. आंबेडकर जी की भावनाओं को भी वैसे ही परिभाषित किया है जैसा इंग्लिश के उनके लेखों में है। अनुवाद को सरल किया है पर हल्का नहीं किया। अनुवादक निखिल सबलानिया ने डॉ. आंबेडकर जी की दो अन्य पुस्तकों को भी अनुवादित किया गया। उनके द्वारा अनुवादित - अछूत और ईसाई धर्म, में डॉ. आंबेडकर जी के धार्मिक दर्शन को बहुत अच्छे से समझाया गया और इसके अनुवाद की प्रशंसा की गई। उनका डॉ. आंबेडकर जी लिखित, एक अन्य अनुवाद - शूद्र कौन थे? वे भारतीय आर्य समाज में चौथा वर्ण कैसे बने? (हू वर द शूद्रास? एंड हाओ दे केम टु बि दि फोर्थ वर्ण आॅफ इंडो-आर्यन सोसाइटी?), डाॅ. आंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण 6 दिसंबर 2022 को प्रकाशित होगा।

निखिल सबलानिया लिखित - दलित की गली

अकालपनिक लघु उपन्यास - दलित की गली, 2012 में प्रारंभ किया गया गया था जिसे 2018 में पूरा किया गया और धन के अभाव व कोरोनावायरस के चलते इसका प्रकाशन रुका। पर अब दस वर्षों के संघर्ष के बाद इसे प्रकाशित किया जा रहा है। यह सत्य घटनाओं पर आधारित है जो दिल्ली की एक बहुसंख्यक दलित काॅलोनी, मादी पुर, में उनके जीवन का दर्द बताता है। दिल्ली में दलितों के साथ हुए राजनैतिक षड्यंत्रों की विवेचना भी करता है। दिल्ली के बहुसंख्यक अनुसुचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों और गरीब मुसलमानों को कैसे झुग्गी झोपड़ी (जे. जे.) काॅलोनियों, जैसे मंगोल पुरी, सुल्तान पुरी, मंगोल पुरी, ज्वाला पुरी, डॉ. अम्बेडकर नगर, त्रिलोक पुरी, पांडव नगर आदि में बसाने के नाम पर 1947 के बाद कैसे आर्थिक दोहन किया गया, इस विषय पर प्रकाश डाला गया है। हमारी यह इच्छा है कि इस पुस्तक का इन काॅलोनियों में फ्री वितरण किया जाए। इस बौद्धिक कार्य के लिए कम कीमत पर पुस्तकें खरीद कर वितरण कराने के लिए हमसे संपर्क करें। डाॅ. आंबेडकर जी की लछु जीवनी और उनके प्रमुख संदेशों पर पुस्तक - बाबा साहिब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की अमर कथा, को भी निखिल सबलानिया ने लिखा था और 2019 तक इसकी चार हजार प्रतियां बिक चुकी थी।

निखिल सबलानिया लिखित - बुद्ध का पथ

पुस्तक - बुद्ध का पथ, ऐसी कई भ्रांतियों के उत्तर देती है जो भगवान बुद्ध और उनके धम्म के बारे में दुषप्रचारित किए जाते हैं। यह उत्तर बौद्ध ग्रंथों एवं बौद्ध दर्शन पर आधारित हैं। हर वह व्यक्ति जो बुद्ध और उनके धम्म के बारे में दुष्पचार का शिकार हुआ कई संशय अपने मन में रखता है, उसे यह पुस्तक भेंट करें। इससे सार्थक धम्म दान शायद ही कोई अन्य होगा। आपके संबंधियों को भी यह पुस्तक भेंट करके उन्हें बुद्ध और उनके दुष्प्रचार का शिकार बनने से बचा सकते हैं। विवाह, जन्मोत्सव, किसी उत्सव, व त्यौहार पर भी इस पुस्तक को भेंट करके समाज को एक सही व साकारात्मक दृष्टि दे सकते हैं। स्कूल व काॅलेज के छात्रों में इसका वितरण करके उन्हें बुद्ध और उनके धम्म के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। इससे पहले निखिल सबलानिया ने पुस्तक - डॉ. आंबेडकर और बौद्ध धम्म, लिखी थी जिसमें डॉ. आंबेडकर जी के 1956 में दिए धम्म दीक्षा के भाषण के साथ बौद्ध सांस्कृति जैसे कि बौद्ध त्यौहारों, संस्कारों, धम्म स्थलों व प्रमुख सूत्रों के बारे में बताया है।

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मूल्य : ₹ 550.
छूट के बाद मूल्य ₹ 300 (डाक शुल्क सहित) यह छूट प्रकाशन से पहले की बुकिंग पर है जो केवल 14 अक्टूबर 2022 तक।

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निखिल सबलानिया प्रकाशन
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