Wednesday, January 27, 2016

भारतीय संविधान की जमकर धज्जियां उड़ाई गई

67 वें गणतंत्र दिवस पर राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा विधान सभा क्षेत्र की कांकड़ा ग्राम पंचायत में भारतीय संविधान की जमकर धज्जियां उड़ाई गई।
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यक्रम में अनुसूचित जातियों के अलग टेन्ट लगाये गये एवं बात टेन्ट पर ही खत्म नहीं हुई बल्कि वहाँ भोजन करने के लिए उनको खाने के बर्तन भी नहीं दिए गए,  दलितों को अपने घरों से बर्तन लाने पर मजबूर किया गया।
भारत का संविधान सभी को बराबरी का अधिकार देता है लेकिन मनुवादी सरकारों के सामने भारत का संविधान कोई मायने नहीं रखता है।
सरकारों द्वारा एक ओर तो गणतंत्र दिवस मनाने पर अरबों रूपये पानी की तरह बहाया जाता है वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी खूला जातिवादी भेदभाव किया जाता है साथ ही मूल निवासी महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता है, मोदी सरकार की यह कैसी दोगली नीति है।
बीकानेर जिले की नोखा विधानसभा क्षेत्र की कांकड़ा ग्राम पंचायत में दलितों का अपमान तो हुआ ही है लेकिन साथ में भारतीय संविधान  का भी मजाक उड़ाया गया है क्योंकि उनकी नजर  में यह एक दलित का लिखा हुआ संविधान है इसलिए उसका पालन कोई जरूरी नहीं है।
इस घटना से पूरे राजस्थान के दलितों में रोष व्याप्त है इसलिए राजस्थान सरकार के विरूद्द विरोध प्रदर्शन किए जाऐंगे।
रोहित वेमुला की मोत के विरोध मे पूरे देश के दलित लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं लेकिन मोदी सरकार के कानों की। जूं तक नहीं रेंगी है।
3 फरवरी को भारत की प्रथम अध्यापिका माता सावित्री बाई फुले के जन्म दिन के साथ ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज किये जायेंगे और तब तक जारी रहेंगे जब तक रोहित वेमुला के मामले मे HRD मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी तथा नोखा के कांकोड़ा मामले में दोषियों को सजा नहीं मिल जाती है।
वसुंधरा सरकार होश में आओ
संविधान का मजाक मत उड़ाओ।

दलितों से जो भी छूआछूत करेगे
वो कुते की मोत मरेगा ।

जन जन की पूकार है
अपमानित होकर जीना धिक्कार है।

दलितों का अपमान और संविधान का मजाक, अब बिलकुल नहीं सहेंगे।

भारत में हमारी कोई नहीं सुन रहा है
अब संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर यह बात कहेंगे।

रोहित वेमुला के मामले में पूरे देश के दलितों ने अपनी पूरी ताकत झोंकदी

किसी के खिलाफ कुछ नहीं करूँगा, नरेन्द्र मोदी ने यह ताल ठोक दी।

बाबा साहेब अम्बेडकर का नाम तो वोट पाने के लिए लेते हैं

लेकिन उनके द्वारा लिखे हुए संविधान की तो खूले आम धज्जियां उड़ाते हैं।

यदि दलितों को जोश आ गया
तो समझो नरेन्द्र मोदी को होश आ गया।

यु एन ओ में जब दलितों की अर्जी लगेगी
तभी मोदी की हट धर्मिता छूटेगी।

दलितों ने अब सबको जान लिया
इस बार आरपार की लड़ाई लड़ेंगे ऐसा मन में ठान लिया।
🙏🙏🙏💪💪💪👏🏻👏🏻👏🏻

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