Monday, January 18, 2016

आरक्षण कौन से वर्ष की जनगणना पर आधारित है

जय भीम 🙏 जय मूलनिवासी

✒ मित्रो आश्चर्य किन्तु सत्य 
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मैंने आज एक छोटा सा सवाल देश के आरक्षित वर्ग के छात्र, प्रबुद्ध वर्ग के समक्ष रखा कि आज देश में SC ST का आरक्षण कौन से वर्ष की जनगणना पर आधारित है। मेरा मकसद किसी की परीक्षा लेना नहीं था। उक्त प्रश्न कई ग्रुप में डालने के बाद अव्वल तो लाइक ही मिले। कुछ ने ही जवाब देने की हिम्मत की। मात्र एक भाई चरण सिंह मीणा ने ही इसका सटीक जवाब दिया। घोर आश्चर्य है की दिन रात सोशल मिडिया पर हम सक्रिय रहने के बावजूद अपने मुलभूत अधिकारों और तथ्यों के प्रति अत्यन्त लापरवाह हैं। आप इसे अन्यथा न ले मैं स्वयं भी इसमें ही शामिल हूँ। 

भाइयों आपको आश्चर्य होगा कि आज भी देश के SC ST वर्ग का आरक्षण अंग्रेजों द्वारा 1931 में करवाई गयी पहली जातिगत जनगणना पर ही आधारित है।
अब प्रश्न उठता है की देश 1947 में आजाद भी हो गया और हर 10 साल में जनगणना भी हो रही है तो फिर भी SC ST का आरक्षण 1931 की जनगणना से क्यों तय हो रहा है।
देश के 3% ब्राह्मण वर्ग का हम 90% लोगों पर राज करने का रहस्य बस इसी में छुपा हुआ है। ब्राह्मण वर्ग (गांधी+नेहरू) ने 1931 में ही ये ताड़ लिया था की कालांतर में देश के बहुसंख्यक दलित वर्ग, जो कि संख्या में 90% है,  को यदि ये पता लग गया की वे बहुमत में है। लेकिन हासिल उन्हें मात्र रत्तीभर ही हो रहा है तो वे कुछ ही समय में हमें (बणिया, बामण, ठाकुर) को देश से बाहर निकाल फेंकेंगे। अपने मूल देश यूरेशिया ले जा पटकेंगे।

इसलिए न केवल इन ब्राह्मणों के वर्ग ने अम्बेडकर जी का विरोध ही किया बल्कि अंग्रेजों, जो कि भारत में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए लोकल गवर्नेस, आधुनिक शिक्षा, चुनाव प्रणाली, दलितवर्ग को अधिकार दिलाने के लिए आरक्षण व्यवस्था को लागू करने सहित अन्य सामाजिक सुधार लागु कर रहे थे, का तीव्र विरोध किया। और चालाकी से अंग्रेजो को भारत से जल्दी से जल्दी बाहर निकालने के लिये अपनी (ब्राह्मण + बणिया की) आजादी के लिए आंदोलन को तीव्र किया। 

जब 1947 में देश आजाद तो हुआ लेकिन हम आजाद नही हुए ? आजाद हुए सिर्फ ब्राह्मण और उनके पिछलग्गू। यदि हम आजाद हुए होते तो आज भी हमारे साथ छूआछूत न होती और न ही भुखमरी हमारी संगदिल होती, न ही रोजाना हमारे वर्ग की 10-20 महिलाओं को बलात्कार का शिकार होना पड़ता। देश के चौराहों पर रोजाना रोजगार की आस में हमारे मेले नहीं लगते। मरे हुए जानवर उठाने और सर पर मैला ढोने की परम्परा का निर्वाह भी हमें नही करना पड़ता। न ही हमारे जंगल, खेत, खलिहान, नदी, नाले हमसे जबरदस्ती ही छिनते।

1947 की आजादी को हमारे लोग सिर्फ "TRANSFER OF POWER " से ज्यादा कुछ नहीँ मानते। क्योंकि एक शोषक ने दूसरे शोषक वर्ग को सत्ता सौपी। यदि हम आजाद हुए होते तो हमें भी गरिमामयी जीवन जीने का अधिकार मिलता जो आज तक नही मिला है।
साथियों अब सवाल वहीं कि
आजादी के बाद जातिगत जनगणना क्यों नही की गयी? कौन इसका विरोधी है और क्यों??

मित्रों जैसे ही चालाक ब्राह्मणों के हाथों में देश की बागडोर आयी उन्होंने सबसे पहले देश की कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका, के हर महत्वपूर्ण हिस्से को अपनी जकड़ में ले लिया। अपनी जमात के अयोग्य लोगों को भी महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया। चूँकि उस समय हमारे गिनती के लोग ही पढे लिखे थे। इसलिए इनकी तरफ कुछ टुकड़े फेंक दिए गए।
तत्पश्चात प्रति 10 साल की जनगणना में ये हमारी (SC ST) गणना तो करते आ रहे हैं। मगर आंकड़े उजागर नही करते। कारण साफ है। हमें हमारी ताकत का अंदाजा न होने देना। ताकि हम हमारे संवैधानिक आरक्षण को हमारी अनवरत बढ़ती आबादी के अनुपात में बढ़ाने की मांग न कर बैठे और उनका देश पर राज अनवरत रूप से बना रहे।
देश की चालाक मनूवादी न्यायपालिका जिस पर देश की 1 अरब जनसंख्या का विश्वास टिका है उसने भी देश की जनता से गद्दारी ही की है। वो 1952 से ही हमारे आरक्षण को खत्म करने के लिए वाद तो लेती रही लेकिन उसके सामने जब कभी भी हमने आरक्षण को बढ़ाने के लिए हमारे लेटेस्ट आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए सरकार को निर्देश देने के लिए आग्रह किया गया वे बेशर्मी से अपनी लुटेरी जमात BBT (ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर) का साथ देते रहे। हमारे हकों को लूटने में सहायक बनते रहे और आज भी बने हुए हैं।

1991 में देश में मण्डल आयोग का धमाका। पिछडे वर्ग के नेतृत्व का उदय।
ब्राह्मणों का राजनैतिक पराभव का प्रारम्भ।
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मित्रों 1991 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ब्राह्मणों से परेशान होकर बाबा साहब अम्बेडकर के द्वारा पिछड़े वर्ग के विकास के लिए किये गए प्रावधान को असली जामा पहना कर श्री बी.पी.मण्डल द्वारा तैयार रिपोर्ट को देश में लागु कर दिया। उस समय OBC की आबादी का खुलासा हुआ की ये 52% है। लेकिन आरक्षण स्वीकार किया मात्र 27% । लेकिन आज तक दिया गया 4% से भी कम।

अब आप सोचो कि 52+23 = 75% आबादी OBC+SC+ST की और इसमें 15% आबादी मुस्लिम वर्ग को जोड़ ले तो देश की कुल आबादी 52+23+15=90% किसकी है। SC ST OBC MINORITY की। तो फिर सुप्रीमकोर्ट ने आरक्षण को 50+50% में कैसे बाँट दिया। कहाँ से लाये ब्राह्मणी जज और वकील जनरल की 50% आबादी। हम आज भी जानना चाहते हैं कि देश के किस गांव कस्बे और शहर में है इनकी 50% आबादी। कोई बताये तो सही......

इस पोस्ट का सार
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बस यही वो गणित है जो ब्राह्मण जानबूझकर देश में हमें बाँटने के लिए जातिवाद तो बनाये रखना चाहते हैं। मगर हमारी आबादी के अनुसार हिस्सेदारी नही देना चाहते। इसी कारण से आज भी हमारा आरक्षण आजादी से पूर्व और 84 साल पहले 1931 में की गयी पहली जतिगत जनगणना पर ही आधारित है।
आजाद भारत की पहली 2011 में की गयी आधी अधूरी आधी आबादी की आर्थिक जातिगत जनगणना के आंकड़े अभी भी उजागर क्यों नही किये जा रहे ?

दोस्तों ज्यों ज्यों देश के दलित, आदिवासी, पिछड़ों में चेतना आ रही है। ब्राह्मण वर्ग की परेशानी भी बढ़ रही है। 1991 के मण्डल आंदोलन के बाद से ही देश में ब्राह्मणों का निर्बाध राजनैतिक वर्चस्व टूट गया है। हम लोगों को थोडा ही सही वोट का महत्व समझ में आने लगा है। हमारे मुखर होने से बिहार, UP, MP, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, गुजरात आदि कई राज्यों से ब्राह्मण वर्ग का राजनैतिक वर्चस्व् कमजोर हो गया है। जिसके कारण 2011 में हमारे (पिछड़े वर्ग) के सहयोग से केंद्र में टिकी मनमोहन सरकार को हमारे लोगों के दबाव के कारण 2011 की जनसंख्या को जातिगत जनगणना आधारित मानना पड़ा। लेकिन दुर्भाग्य से वर्ष 2013 में केंद्र में ब्राह्मण पोषित और हितैषी सरकार के मेजोरिटी में आने से ये आंकड़े आज तक उजागर नही किये जा रहे क्योंकि इन आंकड़ो से ब्राह्मण वर्ग के पैरों से जमीं सरक चुकी है। उन्हें पता लग चूका है कि स्वर्ण वर्ग की कुल आबादी 10% से भी कम रह गयी है। इसलिये वे इन आंकडों को दबाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। कभी गाय के नाम पर तो कभी आरक्षण उन्माद फैलाकर,  धार्मिक तनाव फैलाकर दलितों पर अत्याचार बढ़ाकर इस विषय को दफन करना चाह रहे हैं। संसद का पिछला सत्र भी कांग्रेस और बीजेपी के ब्राह्मणों ने आपसी मिली भगत से हो हुल्लड़ में खत्म करवा दिया। क्योंकि मायावती और लालू यादव इस जनगणना पर सरकार को नंगा करने की ठान चुके थे। लेकिन हमारी गुलामी की बेड़िया तोड़ने के लिए हमें इन आंकडों को हर हल में उजागर करवाना है।

 निष्कर्ष    निचोड़   अपेक्षा

मित्रों यह पोस्ट बहुत ही सरल शब्दों में कालक्रम को जोड़ते हुए मैंने बहुत मेहनत से तैयार की है। लेकिन इसकी सार्थकता तभी पूरी होगी जब आप इसे कम से कम 2 बार पढ़ेंगे और अपने विचारों से अवगत कराएंगे।

#गजानंद जाम
राजस्थान।

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