Friday, January 15, 2016

बीजेपी का दलित हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो गया

हंसना मना है!
गुजरात सरकार के सामने एक अजीब मुसीबत आ
गई है. चार लाख की मुसीबत. वजन के हिसाब
से, कई क्विंटल मुसीबत.
गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने आंबेडकर
सालगिरह समारोह पर एक Quiz कराने का
फैसला किया. पांचवीं से आठवीं क्लास के बच्चों
के लिए. इसके सवाल एक बुकलेट से आने थे.
बुकलेट छपी गई. चार लाख कॉपी. इन्हें स्कूलों में
बांटा जाना तय हुआ.
बुकलेट का नाम है- राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न
डॉ. बी. आर. आंबेडकर. लेखक हैं पी. ए. परमार.
किताब सूर्या प्रकाशन ने छापी.
यहां तक दलित हितैषी बनने का एजेंडा सब ठीक
चल रहा था. संघी तो पढ़ते नहीं हैं. छपते समय
तक किसी ने देखा नहीं, या कुछ समझ नहीं
आया. छपने के बाद, किसी की नजर पुस्तिका
पर पड़ी. देखते ही तन - बदन में आग लग गई.
किताब के आखिर में बाबा साहेब की 22
प्रतिज्ञाएं छपी थीं. ये वे प्रतिज्ञाएं हैं, जो
बाबा साहेब ने 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर,
बौद्ध धर्म ग्रहण करते समय लाखों लोगों के
साथ ली थीं.
पहली प्रतिज्ञा - मैं ब्रह्मा, विष्ण विष्णु और
महेश में आस्था नहीं रखूंगा और न ही इनकी पूजा
करूंगा. (बाकी 21 प्रतिज्ञा आप लोग गूगल में
सर्च करके पढ़ लें.)
सरकार ने आनन फानन में सारी पुस्तिकाओं को
समेट लिया.... और इस तरह बीजेपी का दलित
हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो
गया....
यहां तक की खबर तो आप कुछ अखबारों में पढ़
चुके हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती.
अब दिक्कत यह है कि उन चार लाख पुस्तिकाओं
का क्या किया जाए? फेंकना सही नहीं है. जलाने
से भी हल्ला मचेगा. पानी में बहाने में भी वही
दिक्कत है. रद्दी में बेचने से लोगों तक पहुंच
जाएंगी.... आप समझ सकते हैं कि यह कितनी
बड़ी समस्या है! बड़ी ही नहीं, भारी भरकम
समस्या है. कई क्विंटल की समस्या.
आप लोग प्लीज हंसिए मत, और बीजेपी सरकार
को इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता
बताइए. बेचारे!

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