Monday, January 18, 2016

बाबासाहेब और भारतीय

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प्रशन: भारतीय संविधान कौनसे धर्म पर आधारित है ❓❓❓❓❓

उत्तर निम्न प्रकार है ----
 मैं भारत बौद्धमय करूंगा - बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर  

14 अगस्त रात्रि 12.02 बजे सन 1947 को भारत देश का सत्ता-हस्तांतरण  हुआ। 

26 नवम्बर 1949 को संविधान को अंगिकार किया गया ।

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था।  

भारतीय संविधान के कारण महात्मा  बुद्ध तथा सम्राट अशोक के देश का, एक नये रूप में संविधान के निर्माता बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर जी ने दुनिया के सामने पेश किया। 

बाबासाहेब ने भारतीय संविधान के माध्यम से, दुनिया के सामने भारत देश को पुन: स्थापित किया। 

भारत को "बुद्ध का देश" के नाम से जाना जाता रहा है। 

०१ बुद्ध धर्म का प्रतीक - आकाशीय नीला रंग. है

०२ बुद्ध-धर्म का प्रतीक -"कमल का फूल"  राष्ट्रीय फूल है।

०३ बोधि वृक्ष - "पिपल के वृक्ष" को राष्ट्रीय वृक्ष की मान्यता दी गई है।

०४ बुद्ध-धर्म धर्म  के "धर्म-चक्र" को राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता दी गई और राष्ट्रीय झंडे में  धर्म चक्र अंकित किया गया है।

०५ सम्राट अशोक की राजधानी चार सिंह वाली मुद्रा के प्रतीक को भारत देश की राजमुद्रा घोषित की गई है।

०६ बुद्ध-धर्म के मार्ग  समता, स्वातंत्र्य, न्याय व विश्व बंधुत्व  को भारतीय संविधान ने स्वीकृति दी है । 

०७ सम्राट अशोक के "सत्यमेव जयते" को भारतीय शासन व्यवस्था मे ब्रीद वाक्य कि स्वीकृति दी है ।

०८ विश्व में  भारत को पहचान बौद्ध संस्कृति के कारण मिली है।

०९ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में  पहला रंग जिसे हम लाल, केशरी, भगवा, आँरेंज कहते हैं। उस कलर को भारतीय संविधान में एक विशेष नाम वर्णित किया गया है।  अंग्रेजी में उसे  आेशर कहा जाता है। आेशर - लाल, पिला मिट्टी जैसा होता है, जो बौद्ध भिक्षु के चिवर का रंग है और यह त्याग का प्रतीक है। 

१० दुसरा सफेद रंग  - सफेद रंग को बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। सफेद रंग शांति एवं सत्य का प्रतीक है, बौद्ध उपासक /उपासिका शील ग्रहण करते समय सफेद वस्त्र पहने जाते हैं। 

११ तीसरा हरा रंग  - जो कि निसर्ग, प्राणियों पर प्रेम करना, बुद्ध धर्म के पंचशील का आचरण करना है। 

१२ तिरंगे के बीच में बुद्ध धर्म का प्रतीक धर्मचक्र नीले रंग में अंकित किया गया है। 

१३ समस्त ब्रह्मांड में   बौद्ध-धर्म की पहचान दिलाता है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है।
 संविधान मसोदा समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने देश को समर्पित किया। 

१४ भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का नाम बुद्ध-धर्म  से सम्बन्धित  हैं। भारत रत्न भी बुद्ध-धर्म  की पदवी, बुद्ध, धर्मसंघ तीनों बुद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं।
 बुद्ध धर्म में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को रत्न के नाम पर पदवी दी जाती है। अनेक बौद्ध भिक्षु के नाम के साथ  रत्न शब्द का उल्लेख मिलता है । उदाहरणार्थ  भन्ते ज्योतीरत्न, भन्ते संघरत्न, भन्ते शांतीरत्न वगैरे। महान रत्न शब्द का बाबासाहेब पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है।

बाबासाहेब ने अपने एक लाडले पुत्र का नाम भी राजरत्न रखा था, "रत्न" महान शब्द से देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का नाम भारत रत्न रखा है। 

१५ "भारतरत्न"  चिन्ह का भी बौद्ध धर्म से गहरा सम्बन्ध है। बोधि वृक्ष के पिपल के "सोनेरी पान" जिस पर पुरस्कार स्वीकारने वाले व्यक्ति का नाम सोनेरी में अंकित किया जाता है  और दुसरे बाजु में  चार सिंह वाली राजमुद्रा व धर्मचक्र रहता है। 

१६ बुद्ध धर्म  के, मैत्री, प्रेम, व करूणा का प्रतीक कमल के फूल को संविधान कमेटी ने "राष्ट्रीय पुष्प " की मान्यता दी है। 
 थाईलैंड, श्रीलंका, मयमार बोद्ध देश में .  तथागत  बुद्ध के चरणों में कमल के फूल को अर्पित किया जाता है।

१७ पाली भाषा में कमल के फूल को पदम कहा जाता है। 
भारत रत्न पुरस्कार के बाद तीन प्रमुख पुरस्कार है जिसका नाम पदम माने कमल होता है। कमल के एक बाजु में विभूषण, भूषण अथवा श्री लिखा होता है। 

१८ युद्ध-शौर्य में तीन प्रमुख पुरस्कार हैं

परमवीर चक्र, महावीर-चक्र व वीरचक्र  पुरस्कारों में  कमल का फूल विराजमान  है ।

१९ प्रमुख पुरस्कार का नाम "अशोक चक्र" है। 

२० राष्ट्रपति भवन के प्रमुख हाल का नाम  * अशोक हाल  * है। 

२१ हमारे केन्द्रीय मंत्री मंडल के निवास स्थान के परिसर का नाम बुद्ध सस्कृति पर रखा गया है, सम्राट अशोक के मंत्रीमंडल के नगर का नाम भी * जनपथ *  था । इसलिए जनपथ नाम रखा है। 

२२ भारत की पहचान करने वाली प्रत्येक प्रतीक  का बुद्ध धर्म से सम्बन्ध है। घटना समिति के सदस्यों में से प्रत्येक सदस्यों ने स्वीकृति दी है।

क्योंकि वह सत्य है और सत्य कभी भी अमान्य नहीं हो सकता , इस प्रकार बाबासाहेब ने भारत देश  बौद्धमय किया है। 
 बुद्ध धर्म की  विजय। 
 सम्राट अशोक महान की विजय। 
 बोधिसत्व, भारत रत्न बाबासाहेब की  विजय। 
 भारतीय संविधान की विजय है।

आज जरूरत है बाबासाहब के कारवां को आगे बढ़ाने की और इतिहास के सही जानकारी की जिससे हमारे समाज के लोग आजतक  अनभिज्ञ है । बाबासाहब ने सारी सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, शैक्षणिक व कानूनी  व्यवस्था संविधान के माध्यम से हमारे लिए कर रखी है । जरूरत है बस उसे अमलीजामा पहनाने की ।

हमारे समाज के लोगो ने बाबासाहब के उस कोटेशन को कभी भी गम्भीरता से  नहीं लिया है 
राष्ट्रपति भवन पर  आदिवासी गोंड , सारणा, भील आदि   के धर्म का प्रतीक चिन्ह "टोटम " का प्रतीक राजचिन्ह भी स्थापित है

विडम्बना है कि समस्त प्रतीक चिन्ह, रंग, भाषा, आदि अद्वेतवाद धर्म के शंकराचार्य व मनुवादियों ने अपना कहकर प्रचारित व प्रसारित  कर रखा है। इसके अतिरिक्त मूलनिवासियों के देवी देवताओं व ग्रंथों के मूल कहानियों को प्रवर्तित कर मनुवादियों ने ब्राह्मणीकरण कर  दिया है।
देश के मूलनिवासियों को समझना व जानना होगा कि मनुवादियों ने हमारे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से देश,सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक  खानपान, व मानसिकता पर कब्जा कर रखा है और विदेशी यूरोपियन अंग्रेज , वर्णशंकृत  दूसरे विदेशी  मनुवादी यूरेशियन को शासन व, प्रशासन सौंप गये हैं । क्योंकि हमारा समाज सदियों  से लेकर आज तक मुंगेरी लाल के हसीन सपनों की दुनिया  में खोया हुआ है ।
हे मानव:- बच्चों को शिक्षित बनाएं, संगठित रहें  व मिलकर  संघर्ष कर, शासन प्रशासन, व्यवसाय, सेनाधिकारी, हाईकोर्टों, मीडिया   में सहभागीदार बनें l 
जय-भीम जय-भारत 

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