Monday, January 18, 2016

साहब डा अंबेडकर ने अछूतो के लिए दलित शब्द का विरोध किया था

शायद ज़्यादातर लोगो को यह बात पता नहीं है कि बाबा साहब डा अंबेडकर ने अछूतो के लिए दलित शब्द का राउंड टेबल कान्फ्रेंस मे विरोध किया था तब ब्रिटिश सरकार ने अछूतो के लिए नया शब्द अनुसूचित जाति रखा । बाकी क्या कहना आप लोग खुद होशियार है और अंबेडकर वादी भी है ही। अछूत कौन और कैसे पुस्तक की प्रस्तावना मे बाबा साहब ने लिखा है कि अछूतो को Depressed Classes का नाम अंग्रेज़ो द्वारा दिया गया। what congress and Gandhi have done to Untouchables पुस्तक के पेज संख्या 306-308 पर Appendix-II दी गयी है। जो कि डॉ भीमराव आर अम्बेडकर और राव बहादुर आर श्रीनिवासन द्वारा अछूतो के विशेष प्रतिनिधित्व के दावे के लिए राउंड टेबल कांफ्रेस को डिप्रेस्ड क्लासेस के तरफ से लिखित मांग अनुपूरक ज्ञापन के रूप मे दी गयी की मूल प्रतिलिपि है। इसमे बाबा साहब ने चौथी लिखित मांग रखी कि अछूतो को Depressed Classes के नाम के स्थान पर किसी अन्य सम्मानजनक नाम से पुकारा जाय। उनकी बात मान कर ही गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 मे अछूतो के लिए नया शब्द अनुसूचित जाति रखा गया। Appendix-II का संबन्धित 4th पार्ट as it is हिन्दी एवं English भाषा मे आप लोगो के जानकारी के लिए reproduce किया जा रहा है।

Appendix-II

POLITICAL SAFEQUARDS FOR DEPRESSED CLASSES

Supplementary Memorandum on the claims of the Depressed Classes for Special Representation, submitted to the R, T. C, by Dr, Bhimrao R. Ambedkar and Rao.Bahadur R.
Sriniwasan

Ref: Dr Baba Saheb Writing and Speeches Vol. 9, Page no 304-306, Book – what congress and Gandhi have done to Untouchables

दलित वर्ग के लिए राजनीतिक सुरक्षा
दलित वर्ग के विशेष प्रतिनिधित्व के दावे के लिए राउंड टेबल कांफ्रेस को डॉ भीमराव आर अम्बेडकर और राव बहादुर आर श्रीनिवासन द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक ज्ञापन

(4) NOMENCLATURE

In dealing with-this part, of the question we would like to point out that the existing nomenclature of Depressed Classes is objected to by members of the Depressed Classes who have given thought to it and also by outsiders who take interest in them. It is degrading and contemptuous, and advantage may be taken of this occasion for drafting the new constitution to alter for official purposes the existing nomenclature. We think that they should be called "Non-Caste Hindus," "Protestant Hindus," or "Non-Conformist Hindus," or some such designation, instead of "Depressed Classes." We have no authority to press for any particular nomenclature. We can only suggest them, and we believe that if properly explained the Depressed Classes will not hesitate to accept the one most suitable for them. We have received a large number of telegrams from the Depressed Classes all over India, supporting the demands contained in this Memorandum.
Nov. 4th 1931.
( 4) नाम
सवाल के इस हिस्से को हल करते हुये हम यह बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि, दलित वर्ग का जो मौजूदा नामकरण है उस पर दलित वर्ग के सदस्यों, जिन्होने ने इस पर चिंतन मनन किया है एवं बाहरी लोगों जो उनमे रुचि लेते हैं को इस नाम पर आपत्ति है। यह अपमानजनक और तिरस्कारपूर्ण है, और मौजूदा नामकरण मे परिवर्तन करने के लिए नए संविधान का मसौदा तैयार करने के शासकीय प्रयोजन के इस अवसर का लाभ लिया जा सकता है। हमे लगता है कि उन्हे "दलित वर्ग" कहने के बजाय "नॉन कास्ट हिंदु," " प्रोटेस्टेंट हिंदू," या "नॉन कंफ़मिस्ट हिंदु," या ऐसे किसी दूसरे नाम से कहा जाना चाहिए। हमे किसी विशेष नामकरण के लिए दबाव देने के लिए कोई अधिकार नहीं है। हम केवल उन्हें सुझाव दे सकते हैं, और हम मानते है कि यदि दलित वर्ग को ठीक से समझाया तो वे अपने लिए सबसे उपयुक्त एक नाम स्वीकार करने में संकोच नहीं करेंगें।
हमे इस ज्ञापन में निहित मांगों के समर्थन में भारत भर से दलित वर्ग से एक बड़ी संख्या में टेलीग्राम प्राप्त हुये है।

4 नवंबर 1931
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बाबा साहब के परिनिर्वाण के उपरांत किसी योग्य नेतृत्व के अभाव मे अछूत जतियों को हरिजन और पंचमाज कहने वाले गांधी जी के शिष्य बाबू जगजीवन राम जी ने अनुसूचित जाति को उसके संवैधानिक नाम के स्थान पर दलित वर्ग कह कर संबोधित किया। उन्होने दलित वर्ग संघ की स्थापना की। बाद मे महाराष्ट्र के कुछ लेखको ने इस शब्द को आगे बढ़ाया। हरिजन या दलित के रूप मे अनुसूचित जाति की पहचान, एक अपमान जनक पहचान है इस लिए इस पहचान को छोड़ना होगा। बाबा साहब ने शैड्यूल कास्ट फ़ैडरेशन का गठन किया था। बाद मे उन्होने आरपीआई बनाने की पूरी योजना बनाई जिसमे की वो अदर बैकवर्ड क्लास (ओबीसी) को भी शामिल करना चाहते थे। बाबा साहब का मत था कि आजादी के बाद अनुसूचित जाति और अन्य पछड़ी जाति(ओबीसी) एक दूसरे के बिना अधूरे है और दोनों मिलकर ही आंदोलन चला सकते है और राजनैतिक सत्ता भी प्राप्त कर सकते है। नानक चन्द्र रत्तू जी को पढे। (Last 25 Years with Dr Ambedkar)। बाबा साहब ने दलित शब्द नहीं इस्तेमाल किया। जिन्हे बाबू जगजीवन राम जी का अनुयाई बनना है उन्हे दलित शब्द मुबारक पर जिन्हे बाबा साहब, तथागत बुद्ध, मान्यवर कांशी राम एवं डी के खापर्डे साहब का अनुयाई बनना है उन्हे बैकवर्ड क्लास(अनुसूचित जाति/जन जाति अन्य पिछड़ी जाति) , बहुजन, बुद्धिस्ट एवं मूलनिवासी बहुजन ही बोलना होगा। अनुसूचित जाति/जनजाति ब्राह्मणवादी व्यवस्था का दुःख भोगी(Sufferer) है वही अन्य पिछड़ी जाति (OBC ) सह-दुःख-भोगी(Co-Sufferer) है. मान्यवर कांशी राम कहते थे की संगठन हमेशा दुःख भोगी(Sufferer) और सह-दुःख-भोगी(Co-Sufferer) का बन सकता है. शोषित और शोषक का संगठन कभी नहीं बन सकता है. देश में जब भी दुःख भोगी(Sufferer) और सह-दुःख-भोगी(Co-Sufferer) का ध्रुवीकरण एक साथ होने लगता है तो ब्राह्मणवाद का सिंघासन हिलने लगता है. और फिर सिंहासन बचाने के लिए वे नया ब्राह्मणी षड़यंत्र तैयार करते है जिससे की अन्य पिछड़ी जाति (OBC) और अनुसूचित जाति/जनजाति ध्रुवीकरण को रोका जा सके और उनके बीच दुरी और नफ़रत को बढाया जा सके. दलित शब्द दुःख भोगी(Sufferer) अर्थात SC और सह-दुःख-भोगी(Co-Sufferer) अर्थात OBC इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक का एक साथ ध्रुवीकरण की प्रक्रिया को रोकता है। अन्य पिछड़ी जाति (OBC ) के लोग अपने को कभी भी दलित पहचान के साथ नहीं जोड़ना पसंद करेंगे। इस लिए मान्यवर कांशी राम साहेब ने बहुजन पहचान के साथ 6743 जातियों में बिखरे लोगो को इकठ्ठा किया। इसी बहुजन पहचान को और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से और मजबूत करने के लिए मूलनिवासी बहुजन पहचान पर लोगो को संगठित किया जा रहा है।
जय भीम- जय मूलनिवासी 
MC Jatav 

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