Saturday, January 30, 2016

चक्रव्यूह और मकडजाल

चक्रव्यूह और मकडजाल
महाभारत में चक्रव्यूह में प्रवेश करने व बाहर निकलने का मार्ग नहीं बताया गया है।
मगर चक्रव्यूह है क्या?  इसका भी विस्तृत विवरण महाभारत में  नहीं है। आओ जानें की चक्रव्यूह है क्या और इसमें प्रवेश करने व बाहर निकलने का उपाय क्या है:-
चक्रव्यूह की रचना मकडी द्वारा बनाए मकडजाल से प्रेरित है और संस्कृत भाषा में चक्रव्यूह को मकडजाल बताया गया है।
मकडी की अधिकतम आठ आंखें होती हैं। जब्कि   चक्रव्यूह के आठ सेनापति बताये गये हैं।
मकडी के न्यूनतम आठ घेरे होते हैं और चक्रव्यूह में आठ स्तर के सेना के सुरक्षा घेरे  बताए गये हैं।
मकडी के अधिकतम  आठ पैर होते हैं। जब्कि चक्रव्यूह में आठ सुरक्षा सूचना स्तम्भ बताए गये हैं।
सामान्यत मकडी के मकडजाल के केन्द्र में आठ सुरक्षा स्तम्भ एक केन्द्र में जाकर मिलते हैं। जहां मकडी आठ स्तर की सूचना, आठ आंखें, आठ पैर की सहायता से जीव को मौत के घाट उतारती है। जब्कि चक्रव्यूह के  आठ स्तम्भों के केन्द्र में, आठ सूचना केन्द्र द्वारा  आठ सेनापति मिलकर आठ स्तर पर आक्रमण कर दुश्मन को मौत के घाट उतारते हैं।
चक्रव्यूह में सुरक्षित प्रवेश करने व बाहर निकलने का मार्ग क्या है :-
क्योंकि मकडजाल पर हवा, पानी, बरसात, धूल, तलवार  आदि का कोई असर नहीं होता है। जंगलों में प्रवेश के दौरान व्यक्ति को विभिन्न पेड-पौधों के जाल व जंगली जानवरों  का सामना करना पडता है। पेड-पौधों के जाल को लोहे की खुरकी से हटाया जाता है। इसलिये जंगल में प्रवेश के लिये पेड-पौधों के जाल काटने व जंगली जानवरों से आमना-सामना होने पर, व्यक्ति को समुचित हथियारों से लैस होना जरूरी है। मगर व्यापक मात्रा में  हथियार रखना एक व्यक्ति के लिये असंम्भव है।  जंगल में व्यापक रुप में फैले, मकडी के मकडजाल ,पेड-पौधों के जाल,  विभिन्न  जानवर  व छोटे-मोटे  भयानक जहरीले जानवरों  को हथियारों से हटाना नामुमकिन है।
अत: घने जंगले में व्यापक रुप से फैले, मकडी के जाल, छोटे-मोटे जहरीले जानवर व भयानक जानवरों  को भगाने व खत्म करने के लिये, एक लोहे की खुरकी व जलती मशाल का सहारा लिया जाता है। आग ही एकमात्र उपाय है, जिससे हर प्रकार के दुश्मन को दूर-दूर भगाया व जलाया जा सकता है।
जब व्यक्ति आग की सहायता से जंगल में प्रवेश कर, निवास कर सकता है तो चक्रव्यूह भला क्या चीज है। क्योंकि भडकती दावानल  से हर जीव दूर भागता है और मकडजाल तहस-नहस हो जाता है । फिर द्रोणाचार्य द्वारा बनाए  चक्रव्यूह व  सेनापति, सुरक्षा कवच आपका क्या बिगाड लेंगे । आप एक सामान्य हथियार व अग्निबाण के द्वारा  आसानी से चक्रव्यूह भेदकर, जहां-तहां  आवागमन कर सकते हैं।
ST, SC व OBC के  आर्थिक, सामाजिक, मानसिक , शैक्षणिक, व्यवसाय, शासन-प्रशासन व कोर्ट-कचहरी  पर विजय प्राप्त  करने के लिये, हम और हमारे बच्चों को  , बाबासाहेब अम्बेडकर के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों से जागरूक व संगठित  होकर,  वोटबाण द्वारा मनुवादियों  के गढ को आसानी से ध्वस्त कर सकते हैं। फिर न चक्रव्यूह रहेगा न मकडजाल 
बाबा-राजहंस
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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