कल परसों मोदी के भारत को बुद्ध का देश कहने पर शंकराचार्य पूछ रहा था कि "बुद्ध का क्या उपकार है भारत पर ?"
पहुँचा दो उसके कानों तक एक शाक्य सैनिक का दिया जवाब-
लुटेरे बनकर जब तुम आर्य भारत भू पर आये थे,
लूटपाट औ' धोखाधड़ी के मेघ सिंधु पर छाये थे |
करके धोखा हमसे तुमने,ब्रह्मा, विष्णु बना लिये,
राम,कृष्ण सरीखे तैंतीस कोटि देव भी गिना दिये |
शूद्र बताकर जब तुमने वर्णों की गुलामी थोपी थी,
भोली-भाली धरती पर कील भेद की रोपी थी |
तिल-तिल मरती मानवता को, तब जिसने बचाया था,
सत्य, अहिंसा, प्रेम, दया का पाठ बुद्ध ही पढाया था |
वेद-पुराणों-महाकाव्यों का जब कुनबा जोड़ा था,
धर्म के नाम पर शूद्रों की आँखों को तुमने फोड़ा था |
त्रेता में तुम बंदरों को भी बिना पंखों के उडा़ते थे,
पत्थर की क्या बात करें, पहाड़ तक उठवाते थे |
तेरे कृष्ण को गोपियां छेड़ने में शर्म तक नही आती थी,
शकुंतला जैसी नारी बिन पति गर्भवती हो जाती थी |
घर में घुटती नारी को जिसने मुक्ति पथ दिखाया था,
सत्य,अहिंसा,प्रेम,दया का पाठ बुद्ध ने ही पढाया था |
अब सुनकर नाम उनका, क्यों पेट में कीड़े चलते हैं,
तेरे जैसे ढोंगी नित लोगों को घर्म नाम पर छलते हैं |
सच सुनकर पचा सके कभी,ऐसी तेरी औकात नही,
भारत बने देश वैज्ञानिक , ये राम-कृष्ण में बात नही |
भारत कैसे भूलेगा,नालंदा-तक्षशिला सब जानता है,
बुद्ध के धम्म से जग सारा,था विश्व गुरु इसे मानता है ।
देव तुम्हारे थे नित लड़ते, उसने महल ठुकराया था ,
सत्य,अहिंसा,प्रेम,दया का पाठ बुद्ध ही पढाया था |
इति
भवतु सब्ब मंगलम्
{जितना छेड़ोगे मुझे, उतना ही पछताओगे ढोंगिओ}
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नहीं तो रहने दीजिये यार ।।
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