Friday, January 8, 2016

गांधीजी का बकरी प्रेम

🐐 गांधीजी का बकरी प्रेम 🐐

गाँधीजी याने एक बड़ा जोक है। गाँधीजी जब विदेश में "राउंड टेबल कॉन्फरन्स" में हिस्सा लेने केलिए गए तब एक हास्यास्पद घटना घटी ।गाँधीजी अपने पाँच लोगोंसहित लंदन की धरतीपर पैर रखते ही तब पत्रकारोंने उन्हें देख प्रश्न पूछने केलिए रोक लिया।पत्रकारोंने उनके साथ आए हुए दो बकरियों को देख उन्हें कुछ प्रश्न पूछे। उसमे से एक प्रश्न था। " गांधीजी आप राउंड टेबल कॉन्फरन्स में आये हो और साथ में बकरियॉ किस लिए लाइ हे ?"
गाँधीजी ने आपने 'स्वदेशी' भक्ति के गुणगाण गा कर विदेशी हर चीज से दूर रहने का सन्देश अपने उत्तर में दिया। "लन्दन का पत्रकार बुद्धिमान था उसने उन बाकरीयों को देख झट से जवाब दिया की ये तो इटली की बकरीयॉ हे और उनका यहां क्या काम हे ?"
गांधीजी बहोत डर गए उन्हें क्या बोले और क्या न बोले ये समझरा ही नही था। तब वहा के पत्रकार से छुटकारा पाने केलिए गाँधी बोले " मुझे बकरी का ताजा दूध रोज लगता हे इसलिए मैंने ये बकरियाँ यहाँ लाइ है"।
पत्रकार ने कहा..
1)" गाँधीजी इन बकरियों को देशी घास खिलाएंगे की विदेशी?"
2)"लन्दन के दूध और भारतीय बकरी के दूध में क्या फर्क हे"?
गांधीजी का ढोंगी महात्मापण इन प्रश्नों से सब के सामने आया क्यू की गांधीजी महात्मा न होकर एक शैतान थे।
-डॉ. बाबासाहब आंबेडकर 
जय मूलनिवासी
👊🏻भारत मुक्ती मोर्चा

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