Friday, January 8, 2016

जयभीम के जनक बाबू हरदास

डॉ.सुरेश घरडे--*--"जयभीम के जनक बाबू हरदास....!!!
जयभीम के जनक हरदास लक्ष्मणराव नगराळे उपाख्य बाबू हरदास इनका जन्म 6 जनवरी 1904 को नागपूर जिले के कामठी तहसील में हुआ. बाबू हरदास शुरू से ही डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के आंदोलन से जुडे हुए थे.. इंग्लंड के गोलमेज परिषदे जब गांधी ने अस्पृश्यों के नेता हम ही है.. डॉ. आंबेडकर नही.. तो बाबू हरदास ने हजारों टेलीग्राम इंग्लंड भेजकर कहा की अस्पृश्यों के नेता गांधी नहीं डॉ. आंबेडकर है. ऐसा कहकर अंग्रेजों के मन में डॉ. आंबेडकर के प्रति सहानुभूती पैदा की.. अकोला में जब स्वतंत्र मजदूर पक्ष की बैठक थी तब कामठी में उनके पुत्र का देहांत हुआ.. तब उन्होंने कहा.. मेरा समाज दुःखी है.. और उनके दुः ख दुर करने के लिए मैंने बैठक में हिस्सा लिया.. मेरे पुत्र पर अंतिम संस्कार मेरा समाज करेंगा.. यह बोलकर उन्होंने अपनी निष्ठा जाहीर की. नाग विदर्भ के महार समाज के लोग अपने उपजातीमें विभाजित होकर आपस में नफरत के नजर से देखते थे.. गरिबी और दारिद्री की पीढ़ा के अंतर्गत रहनेवाले महार समाज को इकठ्ठा करके उनमें बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों की बीज डालने का महत्त्वपूर्ण कार्य बाबू हरदास नगरकर इन्होंने बहुत की समर्पित भाव से किया.. उपजातियों की दीवार तोड़ने के लिए बाबू हरदास इन्होंने नाम के पीछे का सरनेम की पूछ काटकर महार समाज में उपजातिविहन कृतीका नया आदर्श निर्माण किया.. तब से उन्हे बाबू हरदास नाम से ही जाना जाता है.."जयभीम के जनक अम्बेडकर वादी बाबु एल.एन.हरदास जी के जन्म दिन (6 जनवरी 1904) पर सभी अम्बेडकरवादी भाई, बहनो,को सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !! 
सप्रेम जयभीम !!!

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