Friday, January 8, 2016

डॉ आंबेडकर ने कहा है “जिसे अपने दुखों से मुक्ति चाहिए उसे लड़ना होगा

डॉ आंबेडकर ने कहा है "जिसे अपने दुखों से
मुक्ति चाहिए उसे लड़ना होगा और जिसे
लड़ना है उसे पहले पढ़ना होगा क्योंकि
ज्ञान के बिना लड़ने गए तो हार
निश्चित है|" पढ़ाई भी दो प्रकार की
होती है एक वो जिससे आप शिक्षित होते
है जैसे स्कूल या कॉलेज की शिक्षा और
दूसरी अपने इतिहास की| डॉ आंबेडकर ने
कहा है "जो कौम अपना इतिहास नहीं
जानती वो अपना भविष्य नहीं सुधार
सकती" | अपने इतिहास की जानकारी न
होने की ही वजह से भारत को विश्वगुरु
विश्वविजेता बनाने वाले बौद्ध लोग आज
खुद को शूद्र(नीच) समझकर शोषण सह रहे
हैं, जब भी लड़ते हैं तो हारते हैं| अपने आस
पास देखो, यहाँ कम पढ़े गुलाम और मजदूर
मानसिकता के शूद्र हैं जिनमें से कुछ तो
समझने को ही तैयार नहीं दुसरे वो हैं जो
केवल स्कूल या कॉलेज की शिक्षा तक
सीमित रहने वाले| दुसरे वाले जाने
अनजाने मनुवादी कठपुतली बन रहे हैं,
चाहे वो नौकरी हो या शादी या
राजनीति या धर्म आदि |
इस पर डॉ आंबेडकर ने कहा है "मेरी नज़र
में शिक्षित वही है जो अपने दुश्मन को
पहचानता है"| आपका दुश्मन हर बार रूप
और नाम बदल कर आपको नोचता रहता है
आप हर बार धोखा खा जाते हो, कभी
देवता के नाम पर कभी धर्म के नाम पर
कभी कानून के नाम पर कभी पाप पुण्ये के
नाम पर तो कभी देश के नाम पर, एक
बार इसकी जड़ ही समझ लो लिजिये,
कोई भी आपको नहीं समझा सकता न
आपको आज़ादी दिला सकता है जब तक आप
खुद समझकर आज़ाद न होना चाहे,
इसीलिए गौतम बुद्ध ने कहा है "अत्त
दीपो भव" अपना दीपक खुद बनो| खुद
जानो परखो फिर मानो और आगे बढो !
डॉ आंबेडकर और गौतम बुद्ध की तस्वीर से
आपको कुछ न मिलेगा चाहे दिन रात एक
कर दो , अगर मिलेगा तो उनकी शिक्षा
में, जो इतनी जबरदस्त है की डर के मारे
मनुवादी इस का प्रचार नहीं होने देते|
इनकी एक एक बात आँखे खोलने वाली है,
बस इनसे घृणा छोड़ो, अपने जागने की
चाहत और समझ विकसित करो, कल्याण
निश्चित है ।
जय भीम. .✏
"महाभारत"कहती है - शुद्र राजा नहीं बन
सकता ।
"गीता" कहती है - शुद्र को ब्राह्मण क्षत्रिय
और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए
"रामायण" कहती है - शुद्र को ज्ञान प्राप्त
करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
"वेद" कहते है की - शुद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा
हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन
ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों
वर्णों के चरणों में है ।
"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म
लेते हैं ।
"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना
धर्म है ।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" अब भी इन हिंसक
धर्म ग्रंथो को सीने से लगाए फिरता है !
......यकीन मानिये .. यही आपकी गुलामी का
कारण हैं ।
डाँ बाबासाहेब आंबेडकर
जय भीम. .✏

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