Monday, January 11, 2016

सरकार शिक्षा को चन्द लोगो तक सिमित रखना चाहती है

एक देश है जापान जहाँ साल भर
पहले जापान के रेलवे ने पाया
कि कामी-शीराताकी स्टेशन
पर यात्रियों की संख्या कम
हो गई है और ट्रेन से कोई
फायदा नहीं हो रहा है। रेल प्रशासन ने तय किया कि स्टेशन
को अब बंद कर दिया जाएगा।
लेकिन सर्वे में पाया कि स्कूल में
पढऩे वाली एक छात्रा अभी
भी रोजाना इसका इस्तेमाल
कर रही है। इसके बाद रेल प्रशासन ने छात्रा के ग्रेजुएट
होने तक जारी रखने का फैसला
किया। छात्रा 26 मार्च, 2016
को अपना ग्रेजुएशन पूरा कर
लेगी। इसके बाद इस स्टेशन को
बंद कर दिया जाएगा। ट्रेन स्टेशन पर रोज दो बार
चलती है एक सुबह 7 बजे छात्रा
को स्कूल पहुंचाने के समय और
दूसरा शाम 5 बजे उसे स्कूल से
लाने के समय। इस बच्ची के
अलावा ट्रेन में न कोई चढ़ता है न कोई उतरता है।
एक हमारा देश है जहां की
74.5% आबादी मात्र 5000
रूपये मासिक आय पर जीवन
निर्वाह कर रही है जिसमे
आदिवासी, दलित,पिछड़े, मुस्लिम बहुतायत है इनकी पहुंच
से स्कूल-कॉलेज आज भी दूर है।
एक अपनी सरकार है हमको पढ़ने
ही नही देना चाहती, सरकार,
पग पग पर बाधा खड़े करती है।
जहाँ हमारी सरकार फेलोशिप और रिसर्च के लिए स्कालर शिप
बन्द कर देती है,स्टूडेंट प्रोटेस्ट
करते है तो उस पर डण्डा
बरसाती है। प्राथमिक शिक्षा
की फ़ीस 150 गुना बढ़ गई है,
NIT, IIT की फ़ीस 300 गुना बढ़ गई।मेडिकल की पढ़ाई
दिवास्वप्न गरीब होता जा
रहा है।छत्तीसगढ़ में ट्राइबल
बेल्ट में 3000 स्कुल एक झटके में
बन्द कर दिए गए।
अब सरकार ऐसा क्यों करती है । कयो शिक्षा को चन्द लोगो
तक सिमित रखना चाहती है।
जान्ने के लिए लौटीए 26
जनवरी 1950 के पहले के दौर में,
अंग्रेजो के आने के पहले का भारत
पढ़िए, गुरुकुल व्यवस्था पढ़िए। सविंधान सभा की डिबेट
पढ़िए।

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