Monday, January 4, 2016

कबीर की अन्धविश्वास, पाखंड, भेदभाव, जातिप्रथा, हिन्दू, मुस्लिम पर करारी चोट

कबीर की अन्धविश्वास, पाखंड, भेदभाव, जातिप्रथा, हिन्दू, मुस्लिम पर करारी चोट !!©

1) " जो तूं ब्रह्मण , ब्राह्मणी का जाया !
आन बाट काहे नहीं आया !! "– कबीर

(अर्थ- अपने आप को ब्राह्मण होने पर गर्व करने वाले ज़रा यह तो बताओ की जो तुम अपने आप की महान कहते तो फिर तुम किसी अन्य रास्ते से जाँ तरीके से पैदा क्यों नहीं हुआ ? 
जिस रास्ते से हम सब पैदा हुए हैं, तुम भी उसी रास्ते से ही क्यों पैदा हुए है ?)कोई आज यही बात बोलने की 'हिम्मंत' भी नहीं करता ओर कबीर सदियों पहले कह गए ।। हमे गर्व हैं की हम उस महान संत के अनुयाई हैं । ऐसे महान क्रांतिकारी संत को कोटी कोटि नमन !!!

2) "लाडू लावन लापसी ,पूजा चढ़े अपारपूजी पुजारी ले गया,मूरत के मुह छार !!"– कबीर

(अर्थ – आप जो भगवान् के नाम पर मंदिरों में दूध, दही, मख्कन, घी, तेल, सोना, चाँदी, हीरे, मोती, कपडे, वेज़- नॉनवेज़ , दारू-शारू, भाँग, मेकअप सामान, चिल्लर, चेक, केश इत्यादि माल जो चढातेहो, क्या वह बरोबर आपके भगवान् तक जा रहा है क्या ?? 
आपका यह माल कितना % भगवान् तक जाता है? ओर कितना % बीच में ही गोल हो रहा है ? 
या फिर आपके भगवान तक आपके चड़ाए गए माल का कुछ भी नही पहुँचता ! 
अगर कुछ भी नही पहुँच रहा तो फिर घोटाला कहा हो रहा है ? ओर घोटाला कौन कर रहा है ? 
सदियों पहले दुनिया के इस सबसे बड़े घोटाले पर कबीर की नज़र पड़ी | कबीर ने बताया आप यह सारामाल ब्राह्मण पुजारी ले जाता है ,और भगवान् को कुछ नहीं मिलता, इसलिए मंदिरों में ब्राह्मणों को दान करना बंद करो )

3)‪‬"पाथर पूजे हरी मिले,
तो मै पूजू पहाड़ !
घर की चक्की कोई न पूजे,जाको पीस खाए संसार !!"– कबीर

"मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय |
बार -बार के मुड़ते ,भेंड़ा न बैकुण्ठ जाय ||"– कबीर"

माटी का एक नाग बनाके,पुजे लोग लुगाया !जिंदा नाग जब घर मे निकले,ले लाठी धमकाया !!"– कबीर" 

जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये !मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय !!– कबीर"

हमने देखा एक अजूबा ,मुर्दा रोटी खाए ,समझाने से समझत नहीं ,लात पड़े चिल्लाये !!"– कबीर

4)‪#‎मुसलमानों_पर‬" कांकर पाथर जोरि के ,मस्जिद लई चुनाय |ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ||"– कबीर


5)‪#‎हिन्दू_मुस्लिम_दोनों_पर‬"हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।"– कबीर

(अर्थ : कबीर कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।)

6)‪#‎हिन्दुओ_की_जाति_पर_कबीर_की_चोट‬"जाति ना पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान !मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान !!– कबीर"

काहे को कीजै पांडे छूत विचार।छूत ही ते उपजा सब संसार ।।
हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध।तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे सूद।।"– कबीर"

कबीरा कुंआ एक हैं,पानी भरैं अनेक ।बर्तन में ही भेद है,पानी सबमें एक ॥"– कबीर"

एक क्ष ,एकै मल मुतर,एक चाम ,एक गुदा ।एक जोती से सब उतपना,कौन बामन कौन शूद "– कबीर

7)‪#‎कबीर_की_सबको_सीख‬‪#‎बाकि_समझ_अपनी_अपनी‬"जैसे तिल में तेल है,ज्यों चकमक में आग Iतेरा साईं तुझमें है ,तू जाग सके तो जाग II "– कबीर

मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे ,मैं तो तेरे पास में।ना मैं तीरथ में, ना मैं मुरत में,ना एकांत निवास में ।ना मंदिर में , ना मस्जिद में,ना काबे , ना कैलाश में।।ना मैं जप में, ना मैं तप में,ना बरत ना उपवास में ।।।ना मैं क्रिया करम में,ना मैं जोग सन्यास में।।खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊ,इक पल की तलाश में ।।
कहत कबीर सुनो भई साधू,मैं तो तेरे पास में बन्दे…मैं तो तेरे पास में…..– कबीर

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