Tuesday, January 5, 2016

जरूर पढे

जरूर पढे. ...............

सारा शहर साफ ये करते, 
अपना ही घर गंदा रखते। 
शिक्षा से रहें कोसों दूर, 
दारू के नशे मे रहते चूर
बोतल महँगी है तो क्या हुआ,
थैली खूब सस्ती है। 
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

यहाँ जन्मते हर बालक को,
पकड़ा देते हैं झाडू।
दूजा काम इन्हें ना भाता इसी काम में मस्ती है।। 
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

ब्रह्मा विष्णु इनके घर में, 
कदम कदम पर जय श्रीराम।
रात जगाते शेरोंवाली का, 
करते कथा सत्यनारायण।।
पुरखों को जिसने मारा
उसकी ही कैसिट बजती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

तू चूहड़ा और मैं चमार हूँ,
ये खटीक और रेगर
एक तो हम कभी बन ना पाये,
बन गई जगह जगह टोली।।
अपना मुक्तिदाता भूले,
गैरों की झांकी सजती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।।

हर महीने वृंदावन दौड़े, 
माता वैष्णो छ: छ: बार।
गुडगाँवा की जात लगाता, चारधाम को अब तैयार।
बेटी इसकी चार साल से,
दसवीं में ही पढ़ती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

बेटा बजरंगी दल में है, 
बाप बना भगवाधारी,
भैया विश्व हिन्दू परिषद में है, 
बीजेपी में महतारी।
मंदिर मस्जिद में गोली,
इनके कंधे चलती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

आर्यसमाजी इसी बस्ती में,
वेदों का प्रचार करें 
लाल चुनरिया ओढ़े, 
पंथी वर्णभेद पर बात करें
चुप्पी साधे ये वर्णभेद पर,
इनकीआधी सदी गुजरती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

नकली बौद्धों की भी सुनलो,
कथनी करनी में अंतर।
बात करें बौद्ध धम्म की, 
घर में पढ़ें वेद मंतर।।
बाबा साहेब की तस्वीर लगाते,
इनकी मैया मरती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

औरों के त्यौहार मनाकर, 
व्यर्थ खुशी मनाते हैं।
हत्यारों को भगवान मानकर, 
गीत उन्हीं के गाते है।
चौदह अप्रैल बुद्ध जयंती, 
याद ना इनको रहती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

डोरीलाल इसी बस्ती का, 
आरक्षण से अफसर बन बैठा।
उसको इनकी क्या पड़ी अब, 
वह दूजों में जा बैठा।।
बेटा पढ़ लिखकर शर्माजी,
बेटी बनी अवस्थी है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

भूल गए अपने पुरखों को,
बुद्ध,नारायणा गुरु,बिरसा मुण्डे, ज्यितिबा फूले,आंबेडकर जैसे महामानव याद नहीं।
आला ऊदल,एकलव्य जैसे वीरों की याद नहीं।
झलकारी को ये क्या जानें, 
इनकी वह क्या लगती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

आत्मकथा चरित्र इतना ही पढ़ते, 
ना अपने पिंजरे की चाह।
दफ़ा 302 की भांति,
वर्दी वाला गुण्डा 
गुलशन नंदा की सीरीज, 
ये तो रातदिन पढ़ती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है ।

मैं भी लिखना सीख गया हूँ,
गीत कहानी और कविता।
इनके दु:ख दर्द की बातें,
मैं भी भला कहाँ लिखता था।।
कैसे समझाऊँ अपने लोगों को मैं,
चिंता यही खटकती है।
क्योंकि ये शोषितों की बस्ती है।। 

जय भीम🌹🙏

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