Tuesday, January 5, 2016

गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,

गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए...
लाओ वो हमारा कोहिनूर कहाँ है?
सोमनाथ का पन्ना व पुखराज कहाँ है?
गुप्तकाल का शांति अमन-चैन कहाँ है?
न होना अब बहाना कोई आज चाहिए,
हिसाब पाई-पाई का भरपायी चाहिए....
गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए...
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए ...
गोरी को भारत में बुलवाया किसने?
नादिर से दिल्ली को लुटवाया किसने?
व्यापार इजाजत गोरोँ को दिलायी किसने?
वर्ण व्यवस्था जहर, है फैलाया किसने?
ऊँच-नीच का भेद है बनाया किसने?
हमें इन सवालों का जवाब चाहिए,
गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए...
हिसाब पाई-पाई की भरपायी चाहिए,
माँ-बहनों की लाज हमें वापस चाहिए,
सदियों से लुटा वो सुहाग चाहिए,
एकलव्य का अँगूठा हमें वापस चाहिए,
गला हमें शभ्बूक का भी वापस चाहिए,
ना होना अब बहाना कोई आज चाहिए,
हिसाब पाई-पाई- की भरपायी चाहिए ...
गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए ...
ना भाग्य व भगवान ना ही राम चाहिए,
ना निराकार-साकार हमें आज चाहिए,
बाबा साहेब केवल हमें आज चाहिए,
मंदिर-मस्जिद ना ही गुरुद्वारा चाहिए,
संसद पर पूरा कब्जा हमें आज चाहिए,
गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए ...
ना सूअर, भेड़, बकरी का अनुदान चाहिए,
न असर बंजर वाले पट्टे हमें आज चाहिए।
कन्या से कश्मीर धरती आज चाहिए,
गोहाटी से गुजरात का हिसाब चाहिए,
भारत की सारी धरती हमें आज चाहिए,
जिसके लिए करना अब ईँकलाब चाहिए,
गाँधी नही देश को अब भीम चाहिए,
आरक्षण नही सदियों का हिसाब चाहिए........
"जय भीम जय भारत"

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