Wednesday, January 6, 2016

मुझे मेरे पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया - डॉ.बी.आर.अम्बेडकर

मुझे मेरे पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया - डॉ.बी.आर.अम्बेडकर
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अनुसूचित जाति के एक प्रिंसिपल साहब 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद रिटायरमेंट हुए हैं , अफसोस है कि उनको मिशन की ABCD तक मालूम नहीं है।


बाबा साहेब अम्बेडकर की नजर में यह प्रिंसिपल साहब किसी भी सूरत में शिक्षित (जागरूक) नहीं हैं बल्कि यह महोदय केवल साक्षर मात्र हैं।

बाबा साहेब अम्बेडकर की नज़रों में शिक्षित व्यक्ति वह है जो किसी बात को केवल इसलिये नहीं मानता की बहुत से लोग उस बात को मान रहे हैं या फिर वो परंपरा से चली आ रही है बल्कि शिक्षित व्यक्ति उस बात को तब मानता है जब उसे अपने ज्ञान, अनुभव, बुद्धि एवं तर्क की कसौटी पर खरी उतरती है।
लेकिन प्रिंसिपल महोदय जी तो उन सभी  बातों को मानते हैं जो बातें अनपढ़, गंवार ,रूढीवादी लोग मानते हैं।
प्रिंसिपल साहब स्वंय 60 वर्ष के हैं लेकिन ब्राह्मण के  25 वर्ष के बेटे को दादा मानते हैं एवं उसके चरण स्पर्श भी करते हैं।
प्रिंसिपल साहब स्वंय एम ए,एम् एड हैं लेकिन आठवीं फ़ैल ब्राह्मण को पंडित मानते हैं।

प्रिंसिपल साहब की लम्बाई पूरी 6 फीट है लेकिन केवल साढ़े पांच फीट लम्बे ब्राह्मण को अपने से बड़ा मानते हैं ।

प्रिंसिपल साहब का परमोशन आरक्षण की वजह से हुआ था लेकिन इसके लिये यह साहब इसको बालाजी की कृपा होना बता रहे हैं, तथा बालाजी को खुश करने के लिये 50 हजार रुपये खर्च करके सालासर जाकर  सवामणी करके आये थे।

प्रिंसिपल साहब जैसे बेवकूफ पढ़े लिखे लोगों की वजह से ही बाबा साहेब आंबेडकर को रोते हुए कहना पड़ा था की मुझे इन पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया है।


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