साथियो,
आरक्षण
बहुत सही गणित है
जरा ध्यान दे हमारे गणित पर ।
वैसे तो मेरी गणित बहुत कमजोर रही है पर फिर भी मैं अपनी बात आप लोगों तक गणित के माध्यम से ही पहुंचाना चाहता हूं।।
माना कि 100 व्यक्ति हैं।।
और इन 100 व्यक्तियों कोे खाने के लिए 100 रोटियां हैं।।
वर्तमान में पिछड़ी जाति OBC के 60 व्यक्तियों को खाने के लिए 27 रोटियों की व्यवस्था है।।
इसी तरह अनुसूचित जाति SC व जनजाति ST के 25 व्यक्तियों के एक समूह के लिए 22.5 रोटियों की व्यवस्था है।।
अब सामान्य वर्ग के तकरीबन 15 आदमियों के लिए 50 रोटियां शेष बचती हैं।
पर समस्या ये है कि सामान्य वर्ग GENERAL के 15 आदमियों में से 3% ब्राम्हण जाति के आदमी बेहद शक्तिशाली हैं जो शेष बची 50 रोटियों में से लगभग 45 रोटियां खा जा रहे हैं।
अब समस्या ये है कि सामान्य वर्ग के 12 आदमियों के लिए मुश्किल से सिर्फ 5 रोटियां ही मिल पा रहीं है।
इसी कारण सामान्य जाति के जाट, मराठा, लिंगायत, पटेल या पाटीदार अपने लिए ओबीसी OBC की 27 रोटियों में हिस्सेदारी मांग रहे हैं।
अब समस्या ये है कि ओबीसी OBC के 60 लोग वैसे ही सिर्फ 27 रोटियों पर गुजारा करके अपनी जिंदगी चला रहे हैं ऐसे में वो जाट, मराठा और लिंगायत में अपने हिस्से की 27 रोटियां बांटने को हरगिज तैयार नही हैं।।
इस समस्या का एक ही समाधान है कि कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई 50% आरक्षण की सीमा रेखा को लांघा जाऐ और जाट, मराठा, और लिंगायत के साथ साथ सभी जातियों को उनकी संख्या के अनुपात में शिक्षा & नौकरियों में आरक्षण दिया जाऐ।।
अब 60 लोगों के हिस्से की 27 रोटियों पर झपट्टा मारने से बात नही बनेगी ।। जरूरत इस बात की है कि सारी पिछड़ी जाति OBC के लोग और जाट, गूजर , अहीर , यादव , गडरिया , सुनार, लोहार , कुम्हार , कश्यप , निसाद , कुशवाहा , सैनी माली , मराठा, लिंगायत, पटेल आदि एक मंच पर आऐं और उन 3% ब्राम्हण लोगों से अपना हिस्सा छीने जो सिर्फ 3% होकर 45 रोटियां तोड़े जा रहे हैं।।
अगर ये ब्राह्मण जाति के 3 लोग सिर्फ 3 रोटी खाकर जीना सीख ले तो समाज मे कोई भी भूखा नहीं रहेगा।।
अच्छा लगे तो हर ग्रुप में, SC/ST व पिछड़ा वर्ग OBC के प्रत्येक कॉन्टेक्ट पर कई बार रिपीट करो । सभी में जागरूकता पैदा करने का अभियान चलाओ ।
जय मुलनिवासी .....जय भारत।।
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