"यदि सारे हिंदू समान हैं तो सबका नया साल मकर संक्रांत क्यों नहीं? किसी का गुढीपाडवा इत्यादि क्यों? क्योंकि कपटी ब्राह्मणों ने शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज को मुग़लों (मुस्लमान नहीं) द्वारा क़त्ल करवा कर ब्राह्मणी पेशवाई स्थापित की थी और संभाजी महाराज का सर काट कर एक डंडे पे टांग कर सार्वजनिक गाड़ दिया था, जिसके स्वरुप आज भी लोग डंडे पे लोटा लटका कर छत पे बांधते हैं, बिना सोचे समझे कि इसका आशय क्या है.
पेशवाई के पहले यह त्यौहार कभी मनाया न गया और ना ही इसका कहीं कोई उल्लेख है. मराठा साम्राज्य के संभाजी राजे के क़त्ल के पश्चात् ब्राह्मणी पेशवाई का नवोदय हुआ, जिसे वे नवयुग/नये वर्ष की तरह मनाते हैं. इसी उदय के साथ पेशवाओं ने महारों को अछूत घोषित कर दिया क्योंकि मराठा साम्राज्य स्थापित करने वाले महारों ने पेशवाई का जबरदस्त विरोध किया था.
पेशवाओं ने वीर महारों को ना सिर्फ गाँव से बाहर कर दिया अपितु उनके कमर में झाड़ू और गले में कटोरा बांध दिया, ऐसे अमानवीय दंड दिये जो विश्व मानव इतिहास में देखने को नहीं मिलेंगे. इस भयंकर अपमान से प्रताड़ित होकर सन 1818, 1 जनवरी को सिर्फ 500 महारों ने पेशवा साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली सेना के 28000 योद्धाओं को 12 घंटे में काट कर पेशवाई ख़त्म कर डाली.
इसके सम्मान में अंग्रेजों ने उनकी सेना में पहली बार महार रेजिमेंट स्थापित की, अंग्रेज भारत पर कभी पूरी तरह काबिज़ हो न पाते यदि महारों ने उन्हें न जितवाया होता. यह देश कभी अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम न बनता यदि ब्राह्मण पेशवाओं ने महारों को अछूत न बनाया होता."
― राहुल शेंडे.
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