नेपाली दलित मंत्री ने कहा-नेपाल का संविधान बनाने में भारत के अंबेडकरवादियों ने दिया साथ
Updated On: 2016-01-16 10:56:26
लखनऊ। दलित व अंबेडकरवादी लोगों को हिंदूवादी सोच के लोगों से सतर्क रहना होगा, तभी उनको जनसंख्या के आधार पर सत्ता व व्यवस्था में भागीदारी मिल सकेगी। यह बात नेपाल के पर्यावरण मंत्री विश्वेंद्र पासवान ने कही। वह लखनऊ स्थित भारत रत्न बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर महासभा में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में अपने विचार रख रहे थे।
एयू की खबर के मुताबिक पासवान ने कहा कि भारत व नेपाल में दलितों के अधिकार को लेकर एक ही तरह की धारणा व व्यवस्था है। दोनों देशों में वंचित समुदाय को समाज से दूर रखने व हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वंचितों को अधिकार देने की प्रेरणा उनको बाबा साहब व भारत की धरती से ही मिली थी। इस अभियान की शुरुआत भी उन्होंने भारत से ही की थी।
नेपाल में जब संविधान तैयार हो रहा था व उसमें वंचित समाज के भागीदारी का बात चल रही थी तो भारत के अंबेडकरवादियों ने उनका साथ दिया। उसका ही परिणाम है कि वे आज नेपाल के पहले दलित मंत्री हैं।
विश्वेंद्र पासवान ने कहा कि बाबा साहब जनसंख्या के आधार पर दलितों को आरक्षण देने की बात करते थे, लेकिन भारत और नेपाल में सामंती व्यवस्था के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है।
नेपाल में दलितों की संख्या 74.2 प्रतिशत है, लेकिन भागीदारी नहीं है। इसी प्रकार भारत में भी दलितों की जनसंख्या अधिक है और सरकार विरोधियों की है।
नेपाल के कैबिनेट मंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर नेपाल के मामले में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नेपाल में संविधान निर्माण के खिलाफ मधेसियों ने जो आंदोलन किया था, उन्हें इसी धरती से उकसाया जा रहा है, क्योंकि नेपाल में राजशाही व्यवस्था के समाप्त होने स
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