Monday, January 18, 2016

धर्म के नाम पर लूटी गई कितनी दौलत मौजूद है इसका सबूत

धर्म के नाम पर लूटी गई कितनी दौलत मौजूद है इसका सबूत 
दैनिक भास्कर अखबार की यह रिपोर्ट पढ़िए.....

पहले भारतीय मंदिरों से जुड़े इन 4 फैक्ट्स को जान लीजिए...

1- देश के मंदिरों के पास 50 लाख करोड़ रुपए की कीमत का कुल 22 हजार टन (करीब 20 लाख क्विंटल) सोना है।
2- इतने पैसे में पूरा देश 60 साल (21 हजार दिन) तक फ्री में अनलिमिटेड इंटरनेट यूज कर सकता है। (एक साल में भारतीय 82 हजार करोड़ रुपए का इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।)
3- इतने पैसे में टाटा जैसी 8 और रिलाएंस जैसी 80 कंपनियां खरीदी जा सकती हैं। (13 अगस्त 2015 तक टाटा ग्रुप की कुल वैल्यु 7.49 लाख करोड़ थी।
4- देश भर में 80 बुलेट ट्रेन चलाई जा सकती हैं। (एक बुलेट ट्रेन को चलाने में 62 हजार करोड़ रुपए की लागत आती है।)

अब जरा ये बताइए, क्या अापने कभी सोचा इन मंदिरों के पास आखिर पैसा आता कहां-कहां से है और ये इतने पैसे का करते क्या हैं? 
देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) के माध्यम से dainikbhaskar.com अापको बताने जा रहा है कि मंदिर आपके दान किए हुए पैसों का कैसे करते हैं इस्तेमाल..

चारों मंदिरों की ऑडिट रिपोर्ट : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मंदिर के खजाने की जांच के लिए बनाई कमेटी के चेयरमैन और पूर्व कैग विनोद राय। कर्नाटक के पूर्व देवस्थान (Muzrai) मंत्री प्रकाश बब्बाना हुकेरी। तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट के चीफ अकाउंट ऑफिसर एस. रविप्रसादन, सिद्धि विनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणा, काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी सीईओ वी. के. द्विवेदी, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विराग गुप्ता, गोपाल सुब्रमण्यम की मंदिर पर आधारित रिपोर्ट और इंटरनेट रिसर्च।
इन 4 इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स को भी जान लीजिए...
1- देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) की एक दिन की औसत कमाई 8 करोड़ रुपए है।
2- अकेले तिरुपति तिरुमला मंदिर की कुल संपत्ति (1.30 लाख करोड़) देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अबांनी की कुल दौलत (फोर्ब्स 2015 के मुताबिक 1.29 लाख करोड़) से ज्यादा है।
3- देश के मंदिरों के पास कुल 22 हजार टन (करीब 20 लाख क्विंटल) सोना है, जो अमेरिकी गोल्ड रिजर्व (8133.5 टन) का ढाई गुना और भारतीय गोल्ड रिजर्व (557.7 टन) का 40 गुना है।
4- मंदिरों के इस स्वर्ण भंडार की कीमत करीब 50 लाख करोड़ रुपए है। इतने पैसे से पूरा देश 500 साल तक फ्री में पेट्रोल भरवा सकता है। (एक साल में भारतीय 10,200 करोड़ का पेट्रोल भरवाते हैं।) या 100 साल तक ट्रेन में फ्री में सफर सकता है। (2015 के रेल बजट के अनुसार, 2014 में देश के लोगों ने ट्रेन में सफर करते हुए रेलवे को 42,000 करोड़ रुपए की कमाई कराई।) या 2 साल तक फ्री में खाना खा सकता है। (तेंडुलकर कमेटी में प्रति व्यक्ति सालाना भोजन की लागत 18000 रुपए बताई गई है।)

अब ज़रा यह भी जान लीजिये कि 33 करोड़ देवी-देवताओं के निवास करने और हर गली-चौराहे पर मंदिर होने के बावजूद भारत का क्या हाल है ,ज़रा एक नजर इधर भी ....

''मिलेनियम डेवलपमेंट रिपोर्ट'' के अनुसार दुनिया के एक-तिहाई गरीब भारत में ही बसते है !!
भारत में 40.2% बच्चे कुपोषित है मतलब उनको पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है !!(इस मामले में भारत, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशो से भी आगे है )
भारत में 36.3 करोड़ लोग इतने गरीब है की वो 2 वक्त का पर्याप्त भोजन नहीं पाते !!
''ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स'' में भारत सबसे नीचे के पायदान पर है,187 देशो की लिस्ट में उसका नंबर 153 वा है !!
कुल ''जीडीपी'' का भारत स्वास्थ्य पर केवल 1.2% खर्च करता है !!
''पुरुष महिला समानता'' के मामले में भारत का नंबर 153 देशो की लिस्ट में 127 वे पायदान पर है !!
''पीस इंडेक्स'' में 162 देशो की लिस्ट में 143 वे पायदान पर है !!
''आतंकवाद इंडेक्स'' में भारत आगे है 159 देशो की लिस्ट में 4 नंबर पर !!
भुखमरी से पीड़ित आबादी 17.5% है !!
महिलाओं पर भारत में हर 3 मिनट में एक बलात्कार होता है !

अब ज़रा सोचिये की सारे तीर्थ स्थान भारत में ही हैं और कदम कदम पर देवताओं का वास है फिर भी देश की यह हालात क्यों...क्या देवी-देवता इतने चढ़ावे के बावजूद भी अपनी कृपा देशवासियों पर नहीं बरसाते...यदि नहीं बरसाते तो गलती किसकी है....हम तो सब करने को तैयार रहते हैं....कई किलोमीटर पहाड़ चढ़ जाते है...कई कई दिन भूखे रहते हैं....कोई भी ऐरा गैरा आकर बता देता है कि फलां कार्य करो तो भगवान खुश हो जायेंगे...काले कुत्ते को रोटी खिलाओ..क्यों भाई बाकी कुत्तों का क्या कसूर है....
फलाने दिन नॉन वेज न खाओ....क्यों भाई बाकी दिन क्या भगवान जी permission दे देते हैं...अगर नहीं खाना है तो बिलकुल न खाओ...दिन के हिसाब से दिखावा क्यों...
ऐसी ही तमाम बातें हैं...
सार यह है कि ईश्वर ने हम मनुष्यों को सबसे बुद्धिमान इसलिए नहीं बनाया है कि हम ईश्वर के नाम पर ही बिना दिमाग लगाये कोई काम करें...
आप मंदिर अवश्य जाइये लेकिन वहां जो हज़ारों रुपये दान देना है वो वहां न देकर उसका 25% भी बाहर ही बैठे भूखे नंगों पर खर्च कीजिये...आपके ईश्वर आपके इस कार्य से वाकई में प्रसन्न होंगे और आप पर तब ही सही मायने में उनकी कृपा बरसेगी....

याद रखिये धर्म को इंसान ने ही बनाया है...
धर्म ने इंसान को नहीं बनाया.....

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