Friday, January 15, 2016

आत्महत्या या सत्ता द्वारा की गई हत्या "

सोचिये :- "आत्महत्या या सत्ता द्वारा की गई हत्या "
समस्त बुद्धिजीवी प्रबुद्धजनों, मिडिया, जनसंगठनों, विद्यार्थियों और नौजवानों से अपील कि सुरेंद्र की मौत व्यर्थ न जाए और फिर से किसी घर का चिराग यूँ बुझ न पाए..... 


"बेरोजगारी से तंग आकर जेएनवियू के अंग्रेजी साहित्य का छात्र मालगाड़ी से कटा "

बेरोजगारी से युवाओं में किस कदर हताशा है कि होनहार छात्र को अपनी जीवन लीला खत्म करनी पड़ती है, जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अंग्रेजी साहित्य में नियमित अध्ययन कर रहे छात्र सुरेन्द्र ने बुधवार तङके जोधपुर में मालगाड़ी के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली,उसका सिर धङ से अलग हो गया, सुरेंद्र ने एक पंक्ति के सुसाइड नोट में बेरोजगारी के प्रति हताशा जताई । बालेसर के सेखाला निवासी छात्र रातानाडा स्थित छात्रावास की रहकर पढाई कर रहा था। 


छात्र के शव का पोस्टमार्टम कर के परिजनों को सौंप दिया है, परिजन और मित्रगण शव को लेकर गांव रवाना हो गए हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत पिता पर जैसे पाहङ टूट पड़ा हो, उनको सुरेंद्र से बहुत आशाएं थी। 

सुरेंद्र के सहपाठियों का कहना है कि सुरेंद्र मंगलवार रात को खूब हंसी मजाक कर रहा था, सभी ने साथ में मिलकर खाना खाया, उसने बाकी साथियों को अच्छा पढने की हिदायत भी दी उस समय किसी को आभास ही नहीं हुआ कि इसके दिमाग क्या चल रहा हैं? 
सुरेन्द्र की मौत ने बहुत सारे सवाल खड़े कर दिये, यूँ कहें कि सत्तासीन लोगों के मूँह पर तमाचा मारती हैं सुरेंद्र की मौत, 

ये मौत नहीं शासन द्वारा की गई हत्या है.... शासन को जिम्मेदारी ओढनी चाहिए, कितने युवाओं की बली रोज चढती है, इनको क्या फर्क पड़ता है, सत्ता में बैठे लोग चेहरा बदल बदल कर आते हैं और बङे कोओर्पोरेट घरानों की सेवाओं में लग जाते हैं इन्हें अडानी, अम्बानी, टाटा, बिङला, डालमियाओं की चिंता रहती है उनके लिए बैकों के दरवाजे हर समय खुले रहते हैं परन्तु किसी बेरोजगार युवा के लिए कोई योजना नहीं बनती है, लाखों नौकरियों का झांसा देकर चुनाव में युवाओं को ठगने वाली सत्ताधारी पार्टी ने अच्छे दिन मुहैया कराये है। 
हम इन अच्छे दिनों को एंजॉय कर रहे हैं। 
किसी एक भर्ती के लिए ट्रेनों और बसों में भेङ बकरियों की तरह ढूंढकर अपना भविष्य तलाशने निकलने वाले नौजवान भीषण दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, टोंक की ताजी घटना पर सरकार को कहीं शर्म महसूस हुई??? 

युवाओं से आग्रह है कि हताशा में मौत को गले मत लगाओ, इससे बेशर्म सत्ता को कोई फर्क नहीं पङने वाला, 
यदि मरना ही है तो इस प्रकार की सत्ताओं से टकराते हुए मरो, शहीदों की मौत मरो, इस तरह की शहीदी मौत मरने वाले 100-50 युवा तैयार हो गये तो हजारों -लाखों की मौतों को बचाया जा सकता है। 

साथियों संघर्ष करो , आवाज उठाओ, 
सुरेंद्र के लिए सच्ची श्रद्धांजलि ये ही है कि ये हालात बदलने के लिए लङो और कोशिश करो कि फिर से किसी को सुरेन्द्र जैसी मौत नसीब न हो, सत्ता की गोली सीने में खाना कबूल करना परंतु ऐसा कदम मत उठाना। 

सुरेंद्र के परिवार के प्रति मेरी संवेदनाऐं है, हमारे सभी वामपंथी जनवादी संगठन इस घटना पर गहरे दुख का इजहार करते हैं, सुरेंद्र के पिताजी मेरे व्यक्तिगत मित्र भी है, सुरेंद्र मेरे बेटे के समान था और एसएफआई का सदस्य भी रहा था, कुछ दिन पहले उससे मिलने उसके कमरे में गया तब उसने बोला कि सर एक दिन कुछ बनकर दिखाऊंगा , परंतु अफसोस कि निरंकुश सत्ता ने इसकी हत्या कर दी। 

नम आँखों से फिर से श्रद्धांजलि... 


किशन मेघवाल 
(शोषणकारी व्यवस्था से जंग लड़ रहा एक सिपाही)
एडवोकेट 
राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर 
09460590286

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