▶भाजपा और कांग्रेस जैसी ब्राह्मण – बनिया पार्टियां अब अंबेडकर जयन्ती मना रही है ?◀
मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगो मे और विशेष कर राजनीतिक लोगो मे इससे खलबली मची है। मचनी भी चाहिए क्योकि यदि आप के विरोधी आपकी बात करने लगे तो थोड़ा शजग होना जरूरी हो जाता है।
➡ क्या ये सारी पार्टिया वास्तव मे अंबेडकर को मानने लगी है? या फिर यह केवल अंबेडकर जयंती मनाने लगी है? यदि ये सारी पार्टिया अंबेडकर जयंती मनाने लगी है तो इसके पीछे उनकी मंशा क्या है?
➡ यदि उपरोक्त सारी पार्टिया वास्तव मे बाबा साहब अंबेडकर को मानने लगे तो यह वास्तव मे हर्ष का विषय होता लेकिन वास्तव मे उपरोक्त सारी पार्टिया या तो केवल बाबा साहब अंबेडकर जयंती मनाने लगी है या फिर अपने पार्टी के पोस्टरो मे उनकी फोटो लगाने लगी है।
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डॉ अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र के शिलान्यास:- इस शिलान्यास के मौके पर बोलते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'निजी तौर पर मुझे लगता है कि अगर अंबेडकर नहीं होते तो नरेंद्र मोदी कहां होते।' उन्होंने आगे कहा कि, "अगर अंबेडकर को केवल वंचित और शोषित समाज के मसीहा के तौर पर देखा जाएगा तो यह उनका अपमान होगा। भारत के पहले कानून मंत्री अंबेडकर ने पूरे मानव समाज के कल्याण के लिए काम किया था।" श्रीमान जी आप को एहसास है कि आप बाबा साहब के बनाए समतामूलक संबिधान के कारण विषमता मूलक समाज के वावजूद और पिछड़े वर्ग से होने के वावजूद भी देश के हुक्मरान बने है तो सुन कर तो अच्छा लगता है। चलो आप ने इतना तो स्वीकार किया। क्योकि पिछड़े वर्ग के कई नेता जो केंद्र मे मंत्री एवं राज्यो मे मुख्य मंत्री तो बाबा साहब के बनाए संबिधान और उसमे दिये गए "एक व्यक्ति - एक मत और एक मत - एक महत्व" के सिद्धान्त के कारण बने, परंतु उनको इतना स्वीकार करने मे भी बहुत शर्म आती है।
✅आप बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते है और उनके जयंती का 125 वां वर्ष मनाना चाहते है तो उनके बनाए गए संबिधान को उसकी मूल भावना मे लागू कर दीजिये।
▶ आप के पास अवसर भी है। यही आप की बाबा साहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यदि आप बाबा साहब के विचारो पर चलना चाहते है तो भारत मे जातिविहीन समतामूलक समाज का निर्माण, प्रबुद्ध भारत का निर्माण, कर्मकांड एवं पाखंड छोड़कर तर्क बिज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण वाले भारत का निर्माण , सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रो मे गैर बराबरी समाप्त कर सबको न्याय दिलाने का काम करे।
▶आप के सरकार दो वर्ष पूर्ण करने जा रही है लेकिन आप ने आप की सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं किया है जो यह सिद्ध कर सके कि आप ड़ा अंबेडकर का अनुशरण कर रहे है। आप की 27 की कैबिनेट मे अनुसूचित जाति के मात्र 2, एवं अनुसूचित जन जाति के मात्र 1 मंत्री है जो कि आजादी के बाद बनी सभी केंद्रीय सरकारो मे इन वर्गो का सबसे कम प्रतिनिधित्व है।
▶आप के नेतृत्व वाली वर्तमान भारत सरकार मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति का कोई भी सचिव नहीं है। जबकि ड़ा अंबेडकर ने स्पष्ट कहा है कि, "A representative Government is better than an efficient Government- सभी वर्गो के समुचित प्रतिनिधित्व युक्त सरकार कुशल सरकार से बेहतर है"
▶इससे तो सिद्ध होता है कि आप भी उन ढेर सारे लोगो मे शामिल है जो बाबा साहब को केवल वोट लेने के लिए ही याद करते है और यही काम करते रहते है कि "मूर्ति पर माला और विचारो पर ताला"।
▶क्या इन पार्टियों का बाबा साहब अंबेडकर के मिसन से भी कुछ लेना देना है:- क्या इन पार्टियों का बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा से भी कुछ लेना देना है? इन पार्टियों की नीतियों एवं कार्यक्रम का विश्लेषण करे तो पाते है कि इनका बाबा साहब अंबेडकर के मिसन एवं विचारधारा से कुछ भी लेना देना है? यदि इनको बाबा साहब अंबेडकर के मिसन एवं विचारधारा से कुछ भी लेना देना होता तो ये सत्ता प्राप्त होने के बाद संबिधान को उसकी मूल भावना अनुसार अमल कर देते। परंतु ये ऐसा नहीं करते है बल्कि उल्टे उद्योगपतियों के हित मे एवं मजदूर, किसान अर्थात मूलनिवासी बहुजन समाज के विरोध मे संबिधान के मूल भावना के ठीक विपरीत आर्थिक नीतियाँ बनाते है। तो फिर ये केवल बाबा साहब बाबा साहब अंबेडकर जयंती मना कर या अपने पोस्टरो मे उनकी फोटो लगा कर क्या हाशिल करना चाहती है और कैसे?
😳इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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मिसन एवं विचारधारा को दरकिनार कर सिर्फ जन्मदिन समारोह मनाने वाले मूलनिवासी जिम्मेदार: - बाबासाहेब ने अपने 50 वें जन्मदिन समारोह पर अपने अनुयायियों को दिये संदेश में कहा था, कि "आप लोग मेरे नाम की जय-जयकार न करे। इसके बजाय मेरे द्वारा बताये गए मिशन/उद्देश्य पूर्ति के लिए अपना जीवन अर्पित करे" "Don't cheer my name. Instead wage your life for the mission undertaken by me"। बाबासाहेब के इस महत्वपूर्ण संदेश को हमारे ज़्यादातर लोग भूल गए और वे केवल बाबा साहेब के नाम की केवल जयकार करने में व्यस्त हो गए जैसे कि हमारे पूर्वजो द्वरा प्रारम्भ किया गया आंदोलन मुक्ति का आंदोलन न होकर कोई भक्ति आंदोलन है। बाबा साहेब का सन्देश था कि हम अपने मानवीय सम्मान को पुनः प्राप्त करे एवं मानसिक गुलामी अर्थात ब्राहमणवाद से मुक्ति पायें। इस लिए ब्राहमण-वाद उन्मूलन के बिना हमारा सम्मान बहाल नहीं किया जा सकता है परंतु कुछ गुमराह एवं अज्ञानी अनुयायी इस आंदोलन को भक्ति आंदोलन में परिवर्तित करने मे लगे रहे। मूलनिवासी लोगो मे भी हर जगह जयंती कार्यक्रम को विचारधारा के प्रचार-प्रसार के स्थान पर इसे उत्सव के रूप मे मनाने का प्रचलन बढ़ता रहा। मूर्ति पर माला और विचारो पर ताला का प्रचलन बढ़ता रहा। अब इसका दुष्परिणाम सामने है।
✅हमारे विरोधियों मे यह संदेश चला गया कि मूलनिवासी समाज का एक बड़ा वर्ग तो केवल बाबा साहब अंबेडकर की जयंती मनाने, या उनकी मूर्ति पुजा मे ही लगा है और इस वर्ग को बाबा साहब अंबेडकर के मिसन या विचारधारा से कुछ भी लेना देना नहीं है? इसी वर्ग को टार्गेट कर ये सारी पार्टिया बाबा साहब अंबेडकर जयंती मनाने लगी है। इनको लगता है कि यदि बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा मानने की बजाय केवल उनकी जयंती मनाना है या अपने पोस्टरो मे बाबा उनकी फोटो लगाना है और इसके बदले मूलनिवासी बहुजन समाज का एक वर्ग या उसका कुछ हिस्सा उनके समर्थन मे आ जाय तो वे इसके लिए सहर्ष तैयार है।
▶इसमे गलती मूलनिवासी बहुजन समाज के उन लोगो की है जो बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा मानने की बजाय केवल उनकी जयंती मनाते रहे। यदि बाबा साहब अंबेडकर की बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा पर अमल करते और बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा के आधार पर संगठित होते तो यह लोग बाबा साहब अंबेडकर जयंती मनाने या अपने पोस्टरो मे बाबा साहब अंबेडकर का फोटो लगाने के बारे मे सोचते भी नहीं।
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बाबा साहब के विचारो पर वे अमल का मतलब है ब्राह्मणवाद अर्थात गैर-बराबरी की भावना को जड़ से उखाड़ फेकना :-🅾
1. अभी तक मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगो ने बाबा साहब की फोटो लगाया अब वे लोग भी लगा रहे है तो हम इसे गलत कैसे कहेंगे?
2. अभी तक मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगो ने बाबा साहब की जयन्ती मनाया अब वे लोग जयन्ती मना रहे है तो हम इसे गलत कैसे कहेंगे?
3. मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगो ने बाबा साहब की फोटो लगाया अब वे लोग भी लगा रहे है तो हममे और उनमे अंतर क्या है?
4. अभी तक मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगो ने बाबा साहब की जयन्ती मनाया अब वे लोग जयन्ती मना रहे है तो हममे और उनमे अंतर कहाँ है ।
5. अंतर हो सकता था यदि हमने बाबा साहब की जयन्ती मनाने के साथ उनका बिचार भी मान लिया होता।
6. अंतर हो सकता था यदि हमने बाबा साहब के सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा करने के संदेश पर अमल किया होता।
7. अंतर हो सकता था यदि हमने बाबा साहब की दी हुई 22 प्रतिज्ञाओं पर अमल किया होता।
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क्योकि कुछ भी हो जाय लेकिन ब्राह्मण वादी शक्तियाँ बाबा साहब का फोटो तो लगा सकती है लेकिन उनके विचारो पर वे अमल कभी भी नहीं कर सकती है। क्योकि उनके विचारो पर वे अमल का मतलब है ब्राह्मणवाद अर्थात गैर-बराबरी की भावना को जड़ से उखाड़ फेकना।
ब्राह्मण वादी पार्टियों को बाबा साहब की फोटो लगाने मे परेशानी नहीं है न ही उनको बाबा साहब की जयन्ती मनाने मे परेशानी है बल्कि उनको बाबा साहब के बिचार और उन विचारो के प्रचार एवं प्रसार एवं उन पर अमल से परेशानी जरूर है।
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अब जब हमने भी बाबा साहब का बिचार नहीं माना तो हम किस मुह से उन्हे बाबा साहब का बिचार मानने के लिए कहेंगे। यदि हमने बाबा साहब के सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा करने के संदेश पर अमल किया होता तो वे आज बाबा साहब जयंती नहीं मनाते । हमने बाबा साहब की दी हुई 22 प्रतिज्ञाओ पर अमल किया होता तो वे आज बाबा साहब की जयंती नहीं मनाते। लेकिन अमल के बजाय जहां हमारे कुछ राजनेताओ ने बाबा साहब को राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने एवं अपने को एमपी/एमएलए बनाने तक सीमित कर दिया वही कुछ अधिकारियों और कर्मचारियो ने केवल आरक्षण प्राप्त करने तक उनको सीमित कर दिया। विरोधियों को खबर है कि हम लोगो मे से ज़्यादातर लोग केवल बाबा साहब का फोटो लगाते है और उनकी जयंती मनाते है या चुनाव और आरक्षण के आंदोलन के समय याद कर लेते है लेकिन उनका मिसन, उनकी बिचार धारा न तो जानते और न हीं मानते है। इसलिए ऐसे ही लोगो का वोट प्राप्त करने के लिए भाजपा एवं कांग्रेस जैसी ब्राह्मण – बनिया पार्टियां अब अंबेडकर जयन्ती मना रही है। इस लिए अब मूलनिवासी बहुजन समाज के पास केवल एक ही उपाय है और वह यह कि अब जयंती मनाने के साथ
✅1. जयंती मनाने के बाबा साहब का बिचार को जानिए और मानिए और उसका प्रचार एवं प्रसार करिए और प्रचार एवं प्रसार करने वालो को साथ एवं सहयोग दीजिये
✅2. बाबा साहब के जाति विहीन समाज की स्थापना के लिए सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा करने के संदेश पर अमल करिए और सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को प्राप्त करने क लिए कार्यरत व्यक्तिवादी/परिवार वादी नहीं लोकतान्त्रिक संगठनो को साथ एवं सहयोग दीजिये ।
✅3. बाबा साहब की दी हुई 22 प्रतिज्ञाओं पर अमल करिए और कराईये।
यदि मूलनिवासी बहुजन समाज ने उपरोक्त पर अमल किया तो या तो या तो भाजपा और कांग्रेस जैसी ब्राह्मण – बनिया पार्टियां या तो ब्राह्मणवाद छोड़ देंगी या फिर अंबेडकर जयन्ती नहीं मनायेँगी
MC Jatav
Jai Bhim Jai Mulniwasi
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