इस बाबा के नेटवर्क में शामिल थीं 600 हाई प्रोफाइल लड़कियां, मंदिर में बने तहखाने में चलता था सेक्स रैकेट
इच्छाधारी संत के नाम से मशहूर स्वामी भीमानंद उर्फ राजीव रंजन उर्फ शिवा द्विवेदी सांप के साथ घूमने और नागिन डांस को लेकर हमेशा चर्चा में रहता था। भीमानंद का असली चेहरा तब सामने आया जब 2010 में सेक्स रैकेट में फंसने के बाद पुलिस ने उसको गिरफ्तार किया। भगवा चोला पहनकर आस्था की आड़ में इच्छाधारी बाबा प्रवचन के बहाने लड़कियों को फंसाकर सेक्स रैकेट का कारोबार चलाता था। उसके पास 2500 करोड़ की संपत्ति थी और उसके नेटवर्क में करीब 600 हाई प्रोफाइल लड़कियां शामिल थीं। बाबा का असली चेहरा रात में नजर आता था जब वो गेरुआ वस्त्र उतारकर जींस और फैशनेबल टीशर्ट पहनकर, हाथों में मोबाइल और महंगी कार से रात के अंधेरे में जिस्मफरोशी का धंधा चलाता था। इस इच्छाधारी संत का ये चेहरा कभी सामने न आ पाता अगर दिल्ली पुलिस की चौकसी की वजह से वो पकड़ा न जाता।
ऐसे खुली स्वामी भीमानंद की पोल
26 फरवरी 2010 में दक्षिण दिल्ली में दिल्ली पुलिस की टीम ने जाल बिछाकर दो कारों को रोका। इसके साथ ही एक हाईप्रोफाइल रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। आठ लोग पकड़े गए। इनमें छह लड़कियां भी थीं। दो लड़कियां एयरहोस्टेस थीं। जिसमें से एक यूरोपियन एयरलाइंस में तो दूसरी एक भारतीय एयरलाइंस में काम करती थी। पुलिस ने जिन दो दलालों को पकड़ा उन्हीं में से एक था शिवमूरत द्विवेदी। शिवमूरत का रिकॉर्ड खंगालना शुरू किया तो पुलिस भी ये जानकर चौंक गई कि वो कोई और नहीं बल्कि बदरपुर में साधू के तौर पर मशहूर इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद था।
इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद की गिरफ्तारी की खबर दिल्ली के खानपुर के लोगों के लिए भी चौंकाने वाली रही। आम श्रद्धालु यकीन ही नहीं कर सके कि सात्विक जीवन का पालन करने की सीख देने वाले गेरुआ वस्त्र धारी जिस शख्स को वो साधु समझते थे, वो शैतान निकला। दिल्ली ही नहीं देश में सेक्स रैकेट का सबसे बड़ा दलाल निकला।
हाई प्रोफाइल लड़कियां शामिल थी सेक्स रैकेट में
अपने आश्रम की आड़ में भीमानंद सेक्स रैकेट चलाता था। उसके नेटवर्क में करीब 600 हाई प्रोफाइल लड़कियां शामिल थीं, जिनमें कॉलेज गर्ल, मॉडल, एयरहोस्टेस, एक्जक्यूटिव हर तरह के पेशे से जुड़ी कॉलगर्ल थीं। पुलिस को भीमानंद के ठिकाने से उसकी 6 लाल डायरियां भी मिलीं। इन डायरियों में देश के 100 हाईप्रोफाइल लोगों के नाम दर्ज थे। इनमें कई सांसद, नेता, पुलिसवाले, बिजनेसमैन और बड़ी हैसियत वाले सफेदपोश लोग थे। इच्छाधारी संत भीमानंद के सेक्स रैकेट का लंबा-चौड़ा नेटवर्क देखकर पुलिस भी हैरान रह गई।
दिल्ली पुलिस ने भीमानंद पर संगठित अपराध के खिलाफ बने सख्त कानून मकोका के तहत मामला दर्ज किया। उसकी गिरफ्तारी के करीब 6 महीने बाद पुलिस ने भीमानंद के खिलाफ अदालत में 1215 पन्नों की चार्चशीट दायर की। मामला अदालत में है, लेकिन सवाल ये भी है कि भीमानंद के हाईप्रोफाइल ग्राहकों तक कानून के लंबे हाथ क्यों नहीं पहुंचे। मोटे तौर पर माना जाता है कि जिस्मफरोशी के धंधे, धर्म को कारोबार में बदलकर किए गए धंधे और पैसे ब्याज पर देने के धंधे से भीमानंद ने 2500 करोड़ रुपए की जायदाद और काला खजाना जुटाया।
तहखाने में था सेक्स के धंधे का हेडक्वार्टर
शिवमूरत द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी संत भीमानंद ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। लेकिन जिस्मफरोशी के धंधे में कूदने के बाद उसने किसी प्रशिक्षित मैनेजर की तरह क्लाइंट और लड़कियों का नेटवर्क तैयार किया। धंधा चलाने के लिए उसने स्पेशल ऑपरेशन प्रोसीजर की तरह तय तौर-तरीके बनाए। इस धंधे का संचालन वो उस आश्रम से करता था, जहां बने तहखाने में था सेक्स के धंधे का हेडक्वार्टर।
मोहम्मदपुर और हुमायूंपुर में भी आश्रम की आड़ में जिस्म का बाजार चल रहा था। शिवमूरत द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद का मंदिर बिल्कुल अलग था। यहां एक गुफानुमा रास्ता था। रास्ता, तहखाने जैसे एक अंधेरे कमरे में जा कर खत्म होता था। देह के धंधे के इस पाताललोक में आकर अच्छे घरों की पढ़ी-लिखी लड़कियां रास्ता भूल जाती थीं। वो इच्छाधारी संत की इच्छा की गुलाम बन जाती थीं। स्वामी भीमानंद के गुप्त ठिकाने पर गुफा, खुफिया निगाह रखने के लिए बने झरोखों को देखकर ये समझने में परेशानी नहीं होती है कि मंदिर में ये सारे बदलाव क्यों किए गए।
ऐसा था स्वामी भीमानंद का मंदिर
ये मंदिर दरअसल दो मंजिल की एक इमारत थी। ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर बना था। फस्र्ट फ्लोर पर सेक्स रैकेट का कंट्रोल रूम। यहां एक झरोखा भी था। इस झरोखे से भीमानंद मंदिर में आने-जाने वाले लोगों पर निगाह रखता था। ढोंगी बाबा की मायावी दुनिया में 14 सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए थे। पहली मंजिल में झरोखे के बाद शुरू हो जाती थी वो गुफा जिसके जरिए इच्छाधारी के तहखाने तक पहुंचने का रास्ता था। वो करीब 20 मीटर लंबा था।
इसी गुफा के पीछे एक छोटा कमरा था। इसी छोटे से कमरे में इच्छाधारी के राज छुपे थे। इसी कमरे में ही हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल से लेकर बड़े-बड़े दलाल तक जुटते थे। इसी पाताललोक से वो लाल डायरियां मिली थीं जिससे शिवमूरत द्विवेदी उर्फ इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद के जिस्म के धंधे के सारे राज खुल गए। राज खुले तो वो भक्त भी हैरान रह गए जो लगभग रोजाना मंदिर आते थे। भीमानंद का प्रवचन सुनते थे। भीमानंद यहीं उन्हें प्रवचन सुनाता था। मंदिर की आड़ में भीमानंद के प्रवचन का खेल लंबे वक्त तक चला। बाद में ये मालूम चला कि भीमानंद दक्षिण दिल्ली के तीन इलाकों आर के पुरम, मोहम्मदपुर और हुमायूंपुर में भी आश्रम की आड़ में जिस्म का बाजार चल रहा था।
अमेरिका तक फैला था कमाई का नेटवर्क
इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद एक आश्रम से सेक्स रैकेट का नेटवर्क चलाता था, लेकिन उसके तार सात समंदर पार दुनिया में जुए के सबसे बड़े शहर लास वेगास तक जुड़े हुए थे। यही नहीं जांच के दौरान पुलिस को ये भी पता चला कि इच्छाधारी सिर्फ सेक्स रैकेट से ही कमाई नहीं कर रहा था। उस पर हवाला नेटवर्क से जुड़े होने का शक भी था। इन मामलों में सजा पाने से बचना अब इच्छाधारी के लिए लगभग नामुमकिन हो गया है। हैरानी की बात है कि उसके धंधे में साथी रहे ज्यादातर लोग कानून के शिकंजे से आजाद ही रहे।
धार्मिक समारोह में डांस और भक्तों की भीड़ जुटाना। उसके पाखंड का एक और चेहरा था। नृत्य कार्यक्रम में इच्छाधारी पटाखे की लंबी लड़ी में आग लगाकर पाखंड का डांस करता था। जैसे-जैसे पटाखें की लड़ी जलती जाती- ढोल- नगाड़े की आवाज के साथ बाबा के बदन की थिरकन बढ़ती जाती। धार्मिक समारोहों में डांस परोसने का बाबा भीमानंद का मकसद पैसा कमाना होता था, क्योंकि भीमानंद अच्छी तरह से जानता था कि सिर्फ प्रवचन से ही वो पैसे नहीं कमा सकता। इस पाखंडी की पैसे कमाने की भूख इतनी ज्यादा थी कि वो ब्याज पर पैसे देने से लेकर, कई तरह के ऐसे धंधे में मशगूल था। जिससे उसे करोड़ों की कमाई होती थी।
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