प्रत्येक बुद्ध के अनुयायी के कर्तव्य:
1. बौद्धों के घरों में तथागत बुद्ध, सम्राट चन्द्रगुप्त, सम्राट अशोक, बोधिसत्व क्रान्तिवीर ज्योतिबा फुले एवं बौद्ध / विद्वानों के अलावा अन्य किसी भी देवी-देवताओं के कलैन्डर, तस्वीरें, मूर्तियां आदि नहीं होने चाहिये.
2. किसी भी परिस्थिति में शराब, गांजा, अफीम, नस, तम्बाखू, बीडी, सिग्रेट, ड्रग्स आदि नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है.
3. किसी जीव की हत्या न करें और न इसके लिये किसी को प्रेरित करें.
4. मद्यपान, नशीले पदार्थ, जहर एवं हथियार का व्यापार निषिद्ध है.
5. गले, कमर या बांह में काला धागा, गंडा, ताबीज आदि अछूतपन एवं अंधविश्वासी होने का प्रतीक है अतः उक्त का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये.
6. किसी नदी, तालाब या समुद्र को पवित्र मानकर उसमें पैसे डालना, नहाना या हाथ जोड़ना अन्धविश्वास का द्योतक है तथा नदियों आदि में पैसे डालना राष्ट्रीय मुद्रा का दुरुपयोग है, अतः ऐसे कार्य न करें.
7. भूत-प्रेत, टोना-टोटका, झाड़-फुक, पीर-फकीर, सूर्य-ग्रहण, चन्द्र-ग्रहण, अंधेरी-उजाली या ग्रह शान्ति हेतु यज्ञ एवं हवन करना, संध्या को बत्ती जलने पर प्रणाम करना, ग्रह, नक्षत्र के हिसाब से अंगूठी में नग पहिनना, छींक आने पर भगवान का नाम लेना आदि अंधश्रद्धा के प्रतीक हैं, अतः ऐसे कार्य नहीं करने चाहिये.
8. किसी भी धार्मिक, सामाजिक विवाह आदि में नारियल, सिन्धूर, तिलक, अष्टगंध, चावल आदि का प्रयोग न करें. चावल एक खाद्य पदार्थ है अतः इसका दुरुपयोग न करें.
9. विवाह के समय वर-वधू के पैर छूना दासता का प्रतीक है अतः ऐसा न करें.
10. भिक्खू शील व मैत्री देते हैं अतः वैवाहिक कार्य बौद्ध भिक्खु से न करवायें वर्ना पण्डा, पादरी, पुजारी, पुरोहित, और भिक्खु में कोई फर्क नहीं रह जायेगा.
11. बौद्ध त्योहारों के दिन अपने व्यक्तिगत आयोजन यथा गृह-प्रवेश आदि न करायें. इन्हें अन्य तिथियों में करायें वरना हमारे धार्मिक त्योहारों का महत्व कम हो जायेगा.
12. विधुर एवं विधवा विवाह को प्रोत्साहित करें.
13. विवाह रात्रि में न करें. विवाह में नाच-गाना, मांसाहार, मदिरापान वर्जित है. दहेज लेना और देना अनुचित है. विवाह के अवसर पर सिर्फ वर-वधू को ही त्रिशरण एवं पंचशील लेना चाहिये, विवाह में उपस्थित सभी को नहीं. चावल का प्रयोग टीका बनाने या फेंकने हेतु न करें.
14. विवाह मंडप में नाच-गान आदि नहीं करना चाहिये.
15. दान राशि 11, 21, 51, 101, 151, 201, 501 आदि आंकड़ों में न दें. बौद्ध परम्परा में इसका कोई स्थान नहीं है.
16. शवयात्रा में खाड पूजना अर्थात अर्थी के चारों कोनों में धान, कौड़ी, पैसा आदि रखना, शव को गुलाल हल्दी आदि लगाना, लाही, पैसा आदि फेंकना अंध श्रद्धा है.
17. मृतक के मस्तक पर सिक्का रखना, सदगति हेतु मुह में गंगाजल डालना, परित्राण का पानी, सोने का पानी, तुलसी जल आदि डालना अंध श्रद्धा है.
18. सामूहिक भोज खुशियों को प्रदर्शित करता है. किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पर दुःख होता है. अतः तेरहवीं (मृतक भोज) बन्द करना अनिवार्य है.
19. किसी भी धार्मिक स्थल के सामने गाड़ी का हार्न बजाना अन्ध श्रद्धा है.
20. वंदना के समय सिर पर टोपी, पगड़ी, मुकुट या साड़ी का पल्लू आदि नहीं होना चाहिये. किसी व्यक्ति के प्रति सम्मान प्रकट करने की यह हिन्दू परंपरा है.
21. महिला के रजस्वला / प्रसव होने पर उसे छूत न मानें अपितु इस दौरान सफाई का पूर्ण ध्यान रखें क्योंकि ये प्राकृतिक / शारीरिक क्रियायें हैं.
22. किसी भी परस्थिति में अपशब्दों / गाली का प्रयोग नहीं करना चाहिये.
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