वेमुला रोहित की मौत पर )
!! शम्बूक तुम हर युग में आते रहना
शम्बूक तुम फिर आ गए नाम रूप बदल कर
इस बार वेमुला रोहित बन कर आये
लेकिन ढूंढ ही लिए गए ना
जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम ने
त्रेता युग में खोज ही लिया था तुम्हें
भूल गए तुम कि नारद ने राजसभा में क्या कहा था
याद दिलाऊँ..
नारद ने कहा था- कोई शूद्र तपस्या कर रहा है
इसलिए ब्राह्मण बालक की अकाल मृत्यु हुयी है
त्रेता क्या द्वापर में भी शूद्र का तप निषेध है
यह भी तो कहा था महर्षि ने
मर्यादा पुरुषोत्तम ने पुष्पक पर
चढ़ कर ढूंढ लिया था तुम्हें शैवाल पर्वत पर
पेड़ पर उल्टे लटक तपस्या करते तुम
झूठ भी तो नहीं बोले थे
तुम शूद्र हो ये जानकर श्रीराम ने सिर काट लिया
त्रेता से कलि काल तक
तुम बिना सिर के धड़ लिए भटकते ही रहे
और अब आ गए वेमुला रोहित का नाम धर कर
लेकिन अब भी तुम्हारी तपस्या
आँख का काँटा बन गयी उनके लिए
मूँज की रस्सी बट कर दे दी तुम्हें
इस बार तुम्हारे वध का दोष भी
'मर्यादा' की तलवार पर नहीं आने पाये
इसलिये अपने हाथों ही करो अपना वध
हे तापस , तुम तब भी
देवलोक नहीं जा सके
अब भी लेखक नहीं बन सके
कार्ल सगान की तरह
तुम्हें सितारों से प्रेम है न
तो जाओ वहीँ रहो
अभी इस धरती पर
तुम्हारे लिए जगह नहीं बन पायी है
लेकिन तुम्हें कसम है शम्बूक
इसी तरह हर युग में आते रहना
करना तप मनुष्यता के लिए
किसी से प्रेम करना बिना आहत हुए
लिखना खूब जितना लिख सको
बनाना प्रकृति के चित्र
बच्चों को सुनाना विज्ञान की कहानियां
शायद किसी युग में ये पृथ्वी
वैसी बन जाये जैसी तुम्हारे स्वप्न में आती है
शम्बूक , तुम हर युग में आते रहना।
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