यदि बीजेपी पार्टी, कांग्रेस पार्टी की विरोधी होगी तो बीजेपी सरकार डॉ.बाबासाहब आम्बेडकर जी के हत्या का अहवाल सार्वजनिक करके दिखाए । - एक गंभीर मंथन(पार्ट-1)
बीजेपी और कांग्रेस पार्टिया एक ही विचारधाराओ पर आधारित पार्टिया है । कांग्रेस की नीतियों में और बीजेपी की नीतियों में कुछ भी अंतर नहीं है । लेकिन हमारे देश में ऐसे दिखाया जाता है की कांग्रेस यह बीजेपी की विरोधी पार्टी है । यदि वास्तव में ये पार्टिया आपस में विरोधी है तो कांग्रेस ने डॉ.बाबासाहब आम्बेडकर जी के हत्या के सन्दर्भ में गठित डी.आय.जी.सक्सेना रिपोर्ट इतने सालो तक छुपाकर रखी है, वह रिपोर्ट बीजेपी ने सार्वजनिक करकर दिखाना चाहिए । यदि बीजेपी सरकार ऐसा करती है तो माना जा सकता है की यह दोनों परस्पर विरोधी पार्टिया है । नहीं तो यह माना जाएगा की कांग्रेस और बीजेपी की नीतिया, उद्देश् एक है और यह पार्टिया मुलनिवासी बहुजन समाज के लोगो को मुर्ख बनाकर बारी-बारी से इस देश पर आपसी समझदारी के साथ सत्ता हासील कर रही है ।
बीजेपी और कांग्रेस यह परस्पर विरोधी पार्टिया नहीं है और उनकी नीतिया एव उद्देश् एक ही है इसके हम उदाहरण देखेंगे । कांग्रेस ने ओबीसी के आरक्षण सन्दर्भ में मंडल कमीशन लागू नहीं होना चाहिए इसके लिए काफी प्रयास किया और ओबीसी के आरक्षण को नकारा । मंडल कमीशन के समय विरोधी पार्टी के रूप में काम करनेवाली बीजेपी और उनकी सहयोगी संघटनाओ ने मंडल कमीशन को मतलब ओबीसी आरक्षण को विरोध करने के लिए बाबरी मस्जिद गिराई । दूसरी महत्वपूर्ण बात की कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से ओबीसी को आरक्षण के सन्दर्भ में क्रिमिलेयर की समस्या खड़ी की जो की असंवैधानिक थी । और कांग्रेस द्वारा सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से लगाईं हुई क्रिमिलेयर की समस्या को विरोधी पार्टी बीजेपी ने भी समर्थन दिया । तीसरी महत्वपूर्ण बात की कांग्रेस (ब्राम्हणो की पार्टी) ने महिलाओ को 33% राजकीय आरक्षण देने की वकालत की और विरोधी पार्टी बीजेपी(ब्राम्हणो की पार्टी) ने भी इस सन्दर्भ में अपनी सहमति जताई । उसी के साथ-साथ कम्युनिस्ट पार्टी (ब्राम्हणो की पार्टी) ने भी इस सन्दर्भ में अपनी सहमति जताई । मतलब कांग्रेस, बीजेपी और कम्युनिस्ट इन ब्राम्हणो की पार्टियो की नीतिया एक ही है । इन तीनो पार्टियो के लोग कहते है की महिलाओ के सशक्तिकरण के लिए उन्हें राजकीय आरक्षण की जरुरत है । महिलाओ को राजकीय आरक्षण संयुक्त निर्वाचन प्रणाली (Joint Electorate) के माध्यम से देकर यह लोग महिलाओ के सशक्तिकरण की भाषा करते है । पिछले 68 सालो से SC/ST/OBC को संयुक्त निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से ही राजकीय आरक्षण है । लेकिन इससे SC/ST/OBC के लोगो का सशक्तिकरण तो दूर उल्टा उनका सत्यानाश ही हुआ है, तो महिलाओ का सशक्तिकरण क्या खाक होगा? फिर भी इन मुद्दों पर बीजेपी, कांग्रेस, कम्युनिस्ट यह ब्राम्हणो की पार्टिया एकमत है मतलब यह तीनो पार्टियो की नीतिया एव उद्देश् एक ही है ऐसा माना जाना चाहिए । ब्राम्हणो ने खुद को विभाजित करने के लिए अलग-अलग पार्टिया नहीं बनाई बल्कि SC/ST/OBC/Minority को विभाजित करने के लिए अलग-अलग पार्टिया बनाई । ब्राम्हण कभी भी विभाजित नहीं होते है, तो वे न्यायव्यवस्था, संसद में क़ानून बनाने के लिए एकसाथ आते है । लेकिन फील्ड में, समाज में खुद को अलग-अलग होने का नाटक करते है, इस बात की मिडिया में कोई चर्चा नहीं होती है । बामसेफ ने हमेशा ब्राम्हणो को चुनौती दी है की SC/ST/OBC के लोग "हिन्दू" है यह सिद्ध करकर दिखाओ, ब्राम्हणो ने उनके धर्मग्रंथो के आधार पर यह सिद्ध करकर दिखाना चाहिए । SC/ST/OBC यह ब्राम्हणी धर्मग्रंथा नुसार, वर्णव्यवस्थेनुसार शुद्र है । इतना ही नहीं तो कायस्थ यह भी ब्राम्हणी धर्मग्रंथानुसार शुद्र है । मतलब कायस्थ यह भी मुलनिवासी बहुजन समाज के लोग है ।
कांग्रेस ने सन 2004 एव 2009 का लोकसभा चुनाव EVM मशीन में घोटाला करकर जीता । इससे सम्बंधित सबूत सुब्रम्हन्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किये । उसी के आधार पर 8 ओक्ट,2013 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया की EVM मशीन में घोटाला होता है । EVM मशीन को पेपर ट्रेल किये बगैर चुनाव में उसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए । फिर भी 2014 का लोकसभा चुनाव में भारत सरकार ने (कांग्रेस ने) एव चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया । इसपर शायद किसी को विस्वाश नही होगा की सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भारत सरकार पालन तक नहीं करती है । लेकिन ऐसा हुआ है । इस बात पर बामसेफ एव भारत मुक्ति मोर्चा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई और सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में लाया गया की आपके आदेश का भारत सरकार ने और चुनाव आयोग ने पालन ही नहीं किया । चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया की, भारत सरकार ने एव चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है इससे यह बात साबित होती है की, कांग्रेस ने 2004 एव 2009 के लोकसभा चुनाव EVM में गड़बड़ी करके जीता था । इतना ही नहीं तो वर्तमान में बीजेपी सरकार भी कांग्रेस के साथ आपसी तालमेल करकर EVM मशीन में गड़बड़ी करके सत्ता में आई है । कांग्रेस के गड़बड़ी का भंडाफोड़ नहीं होना चाहिए इसलिए आपसी तालमेल करके जैसे 2004 एव 2009 में कांग्रेस सत्ता में आई ठीक उसी तरह 2014 में गड़बड़ी करके बीजेपी सत्ता में आई । इसीलिए बीजेपी को सर्वसाधारण बहुमतो से ज्यादा 10 सिट अधिक मिली जो की जनता को ताज्जुब हुआ लेकिन EVM में गड़बड़ी करकर चुनाव जीता गया इसका किसी को अंदाजा भी नहीं हुआ । इसी तरह डॉ.बाबासाहब आम्बेडकर जी के हत्या के सन्दर्भ में सक्सेना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की हिम्मत बीजेपी सरकार नहीं कर सकती । दूसरी बात की डी.आय.जी.सक्सेना उस समय की भारत सरकार के गृहमंत्रालय का अधिकारी था । मतलब सरकार के नियंत्रण में ही था । जिससे की उसकी रिपोर्ट में गड़बड़ी की जा सकती थी । जिस प्रकार नेताजी सुभास चंद्र बोस के मृत्यु की जांच उस समय के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के मार्फ़त की गई थी । कांग्रेस के मतानुसार जिस जगह सुभाषचंद्र बोस का "प्लेन क्रैश" हुआ, उस जगह जाकर उस न्यायाधीश ने उस जगह के महापौर को पूछा तो जानकारी मिली की इस शहर के इतिहास में कभी भी प्लेन क्रैश हुआ ही नहीं । मतलब कांग्रेस ने झूठा प्रचार किया और नेताजी सुभासचंद्र बोस को षड्यंत्र के तहत मारा गया इस बात का इंकार नहीं किया जा सकता । इसी प्रकार लाल बहादुर शाश्त्री के हत्या का मुद्दा है । क्योकि लाल बहादुर शाश्त्री के हत्या का सीधा फायदा इंदिरा गांधी को हुआ और वे प्रधानमंत्री हुई । यह सभी इतिहास हमारे सामने है ।
-मा. वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, बामसेफ एव भारत मुक्ति मोर्चा)
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