चमार मूलत बौद्ध है-ओशो
यह जान कर तुम हैरान
होओगे कि चमार मूलत:
बौद्ध हैं! जब भारत से
बौद्ध धर्म उखाड़ डाला
गया और बौद्ध भिक्षुओं
को जिंदा जलाया गया
और बौद्ध दार्शनिकों को
खदेड़ कर देश के बाहर कर
दिया गया, तो एक
लिहाज से तो यह अच्छा
हुआ। क्योंकि इसी कारण
पूरा एशिया बौद्ध हुआ।
कभी—कभी दुर्भाग्य में
भी सौभाग्य छिपा होता
है।
जैन नहीं फैल सके क्योंकि
जैनों ने समझौते कर लिए।
बच गए, लेकिन क्या
बचना! आज कुल तीस—
पैंतीस लाख की संख्या
है।
Chamar Troops
पांच हजार साल के
इतिहास में तीस—पैंतीस
लाख की संख्या कोई
संख्या होती है! बच तो
गए, किसी तरह अपने को
बचा लिया, मगर बचाने में
सब गंवा दिया।
बौद्धों ने समझौता नहीं
किया, उखड़ गए। टूट गए,
मगर झुके नहीं। और उसका
फायदा हुआ। फायदा यह
हुआ कि सारा एशिया
बौद्ध हो गया। क्योंकि
जहां भी बौद्ध—
दार्शनिक और मनीषी
गए, वहीं उनकी प्रकाश
—किरणें फैलीं, वहीं
उनका रस बहा, वहीं लोग
तृप्त हुए। चीन,
कोरिया…… दूर—दूर तक
बौद्ध धर्म फैलता चला
गया। इसका श्रेय हिंदू
पंडितों को है।
जो भाग सकते थे भाग गए।
भागने के लिए सुविधा
चाहिए, धन चाहिए। जो
नहीं भाग सकते
थे— इतने दीन थे, इतने
दरिद्र थे— वे हिंदू
जमात में सम्मिलित हो
गए। लेकिन हिंदू जमात में
अगर सम्मिलित होओ तो
सिर्फ शूद्रों में ही
सम्मिलित हो सकते हो।
ब्राह्मण तो जन्म से
ब्राह्मण होता है, और
क्षत्रिय भी जन्म से
क्षत्रिय होता है, और
वैश्य भी। सिर्फ अगर
किसी को हिंदू धर्म में
सम्मिलित होना है तो
एक ही जगह रह जाती
है
— शूद्र, अछूत। वह असल में
हिंदू धर्म के बाहर ही है,
मंदिर के बाहर ही है। हो
जाओ शूद्र अगर बचना है
तो।
तो जो बौद्ध बच गए और
नहीं भाग सके और
मजबूरी
में सम्मिलित होना पड़ा
हिंदू धर्म में, वे ही बौद्ध
चमार हैं, वे ही बौद्ध
चमार हो गए। और क्यों
चमार हो गए? एक कारण।
कभी किसी ने सोचा
भी न
होगा बुद्ध के समय में कि
यह कारण इतना बड़ा
परिणाम लाएगा।
जिंदगी बड़ी रहस्यपूर्ण
है।-
ओशो (रैदाशवाणी.मन हि पुजा मन हि
धूप)
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