मार्टिन लूथर ने कहा था...
"अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो !
अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !
अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !
पर आगे बढ़ते रहो !"
अपनी सोच ओर दिशा बदलो
सफलता आपका स्वागत करेंगी.......
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है..
लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।
यानी -
"बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों से हारते हैं"
डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने भी हमसे इसी संघर्ष की बात कही थी जिसे हम सीधे रूप में समझ नहीं पा रहे है और बेवजह के तर्क देकर समाज को किसी अन्य दिशाओं में मोड़कर गुमराह कर रहे है ।
रास्ते उन्ही के लिए बनते है जो संघर्ष की भूमिका रखते है, वर्ना जिन्दा मुर्दो की फौज तो नजरों के सामने है ।
डॉ.बाबासाहब ने यूँही नहीं कहा कि "मेरा जीवन, मेरा सन्देश है" इस सन्देश में उस संघर्ष की बात कही जिसे प्रत्येक समाज को अंगीकृत कर अपने सामाजिक अधिकारों को हासिल करने के लिए लड़ना होगा और इसमें कामयाबी हासिल करना होगा ।
आज 25 दिसम्बर को हमने डॉ.बाबासाहब द्वारा जलाई गई मनुस्मृति की उस आजादी का जश्न मनाया है जो बाबासाहब ने हमें दी है सामाजिक रूप में आगे हमें संघर्ष से अपने अधिकारों को लेने का हौसला भी दिखाना होगा तभी हम इस मनुस्मृति दहन जो बाबासाहब ने किया था उस जश्न को मनाने के सही हक़दार साबित हो सकेंगे ।
🙏🙏जय भीम🙏🙏🙏
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