आज duty के दौरान में station round पर गया। Ground level ( near station entry) पर देखा कि ISKON के कुछ गोरे चिट्टे प्रचारक गीता नामक पुस्तक का प्रचार कर रहे थे और आने जाने वाले लोगो को रोक रोक कर गीता का ज्ञान बाँट रहे थे।
एक महानुभाव ने मुझे भी गीता का ज्ञान देना चाहा। जैसे ही मन्द मन्द मुस्कान के साथ उसने मेरी तरफ गीता बढ़ाई, मैंने भी उसी मुस्कान के साथ तुरन्त उनसे प्रश्न किया क्या इस किताब में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है ? उसने बहुत उत्साह के साथ कहा - जी, बिलकुल। ये किताब मनुष्य को जीने का मकसद सिखाती है और संसार की सच्चाई से मनुष्य को रूबरू कराती है। फिर उसने कृष्ण की महिमा का बखान करना शुरू कर दिया।
मैंने उसे तुरन्त रोकते हुए कहा - ये बताइये अगर इस पुस्तक में विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है तो कृष्ण ने इस ज्ञान को आम जनमानस से दूर क्यों रखा और ये ज्ञान सिर्फ अर्जुन को ही क्यों दिया ? जिस तरह बुद्ध, नानक, ईसा, पैगम्बर, कबीर, रविदास, आदि महान सन्तों महापुरुषो ने अपने ज्ञान को सभी के लिये खोल दिया था उसी तरह कृष्ण ने अपने ज्ञान को आम जनता के लिए क्यों नही प्रस्तुत किया ? उसे आम जनता से दूर क्यों रखा ?
मेरे प्रश्नो को सुनकर वो थोडा सकुचा सा गया। उसने बड़े जोरदार शब्दों में कहा कि उत्तम ज्ञान सिर्फ उसी को दिया जाता है जो उसके काबिल हो। सिर्फ अर्जुन ही गीता के ज्ञान के काबिल थे। उसकी बात सुनकर मैंने हँसते हुए कहा - महोदय तो फिर अब इस ज्ञान को सड़क पर रखकर क्यों बाँट रहे हो। क्यों लोगो को रोक रोक कर गीता दिखा रहे हो। जो इस ज्ञान के काबिल होगा वो खुद तुम्हारे पास तुम्हारे मन्दिर में आ जाएगा।
फिर मैंने थोडा गम्भीर स्वर में कहा -
सुनो भाई, अगर इस ज्ञान को शुरू से ही सभी को समानता पूर्वक प्रदान किया होता तो आज तुम्हे यूँ सड़क पर खड़े होकर लोगो को रोक रोक कर इतने मोटे मूल्य पर इस किताब को बेचने की आवश्यकता नही होती। क्या कभी बुद्धधम्म की त्रिपिटकों को, गुरुग्रन्थ साहब को, कुरआन आदि गर्न्थो को सड़को पर हाथ में लिये बिकते देखा है ? हमारा भला जिस पुस्तक से होगा वो हमने पहले ही खरीद ली है और हम उसी को पढ़ते है और उसे भारत का संविधान कहते है। और रही बात आध्यात्म के ज्ञान की तो उसके लिये हमारे पास बौद्ध त्रिपिटक है।
जब हमने पढ़ना चाहा तब तो हमारी आँखे फोड़ दी गयी, हमारी जीभ काट दी गयी और आज जब हम इसे पढ़ना नही चाहते तो अब तुम इसे लेकर हमारे पीछे पीछे दौड़ रहे हो।
मेरी बात को सुनकर वो महाशय थोडा confuse सा हो गए और अजीब सी नज़रो से मुझे देखते रहे.
~ एक मित्र की पोस्ट से
Fb : Bahujan Parivar
Fb : DALIT Parivar - The Rising Shudra
जय भीम । जय भारत ।।
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