नेपोलियन बोनापार्ट ने कितना सही कहा था कि ....
ABILITY IS NOTHING WITHOUT OPPORTUNITY
-प्रतिभा मौके के बिना कुछ नहीं ,
ये बात कोरेगाव के युद्ध से साबित होती है|
भारत में अंग्रेज़ी राज़ की स्थापना के विषय में सामान्यतः लोग यह मानते हैं कि अंग्रेज़ के पास आधुनिक हथियार और सेना थी इसलिए उन्होंने आसानी से भारत पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया.
लेकिन सच्चाई यह है कि अंग्रेजों ने भारत के राजाओं-महाराजाओं को अंग्रेज़ी सेना से नहीं बल्कि भारतीय सैनिको की मदद से परास्त किया था.
अंग्रेजों की सेना में बड़ी संख्या में भर्ती होने वाले ये सैनिक कोई और नहीं बल्कि इस देश के अछूत और पिछड़े कहलाने वाले बहुजन लोग थे जो ब्राह्मणवादी राजाओं के जुल्मों से त्रस्त थे |
1 जनवरी 1818 को कोरेगांव के युद्ध में ५०० बहुजन महार सैनिकों ने ब्राह्मणवादी पेशवाओं को धूल चटा दी थी.
इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए डॉ बाबासाहेब आंबेडकर प्रतिवर्ष 1 जनवरी को कोरेगांव जाकर उन वीर बहुजनों का नमन किया करते थे. बाबासाहब अम्बेडकर ने 1 जनवरी १९२७ के दिन बहुत बड़ा संमेलन आयोजित किया था ताकि बहुजनो को उनके गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जाय.
डॉ आंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेस (अंग्रेज़ी) के खंड 12 में 'द अनटचेबल्स एंड द पेक्स ब्रिटेनिका' में इस तथ्य का वर्णन किया है, जो यहाँ पर प्रस्तुत है
ब्रिटिशों की भारत की जीत में वर्ष 1757 और 1818 का बड़ा महत्व है.
1757 में ईस्ट इण्डिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला के बीच युद्ध हुआ. इसे प्लासी की लड़ाई के नाम से जाना जाता है. यह पहला युद्ध था जिससे अंग्रेजो भारत की भूमि पर अपना अधिकार प्राप्त किया था. प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजी सेना में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में लड़े बहुजन लोग दुसाध (पासवान) थे
अंग्रजों ने भारत के अन्य भू-भाग पर अधिकार प्राप्त करने के लिए अंतिम युद्ध 1818 में किया, यह कोरेगाँव की लड़ाई थी, जिसके माध्यम से अंग्रेजों ने मराठा साम्राज्य को ध्वंस्त कर भारत में ब्रिटिश राज स्थापित किया.
यहाँ 500 महार सैनिकों ने ब्राह्मण/ पेशवा के 28 हजार सैनिको की सेना की जिसमे २०००० घुड़सवारों और ८००० पैदल सैनिकों की फौज को हराकर देश से पेशवाई का अंत किया|
पेशवाई राज ने ही बहुजनों को अछूत बनाकर गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांध कर रखने का आदेश दिया था|
इन दोनों ही युद्धों में अंग्रेजों की जीत सिर्फ बहुजनों के कारण हुई.
प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजी सेना में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में लड़े बहुजन लोग दुसाध (पासवान) थे और कोरेगांव के युद्ध में शामिल बहुजन लोग महार थे.
इस तरह ब्रिटिशों के पहले और आखिरी युद्ध दोनों ही में अंग्रेजों को विजय दिलाने वाले लोग बहुजन ही थे.... जे डी चन्द्रपाल
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