Tuesday, January 5, 2016

भदंत आनंद कोशल्यान जी की 111वी जयंती

क्रांतिकारी जय भीम सबको💐💐💐💐💐🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आज Dr.भदंत आनंद कोशल्यान जी की 111वी जयंती है उस अवसर पर Dr.बाबासाहेब आंबेडकर साहब के अनूयायी मे से एक अनूयायी थे.उन्होने अंत तक बौद्ध धम्म का प्रचार और प्रसार किया.उन्होने बहुत बौद्ध धम्म के पुस्तक लिखे.महान Dr.आनंद कौशल्यान जी के जयंती के अवसर पर उनको कोटी कोटी नमन💐💐💐💐💐💐💐🙏�🙏�🇮🇳🇮🇳
डॉ भदन्त आनन्द कौशल्यायन (05 जनवरी 1905 - )निर्वान(22 जून 1988) बौद्ध भिक्षु, पालि भाषा के मूर्धन्य विद्वान तथा लेखक थे। इसके साथ ही वे पूरे जीवन घूम-घूमकर राष्ट्रभाषा हिंदी का भी प्रचार प्रसार करते रहे। वे 10 साल राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रधानमंत्री रहे। वे बीसवीं शती में बौद्ध धर्म के सर्वश्रेष्ठ क्रियाशील व्यक्तियों में गिने जाते हैं।

जीवन परिचय
उनका जन्म ०५ जनवरी १९०५ को अविभाजित पंजाब प्रान्त के मोहाली के निकट सोहना नामक गाँव में एक खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता लाला रामशरण दास अम्बाला में अध्यापक थे। उनके बचपन का नाम हरिनाम था। १९२० में भदन्त जी ने १०वी की परीक्षा पास की, १९२४ में १९ साल की आयु में भदन्त जी ने स्नातक की परीक्षा पास की। जब वे लाहौर में थे तब वे उर्दू में भी लिखते थे। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भी भदन्त जी ने सक्रिय रूप से भाग लिया।    बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर, महापंडित राहुल संकृत्यायन, भिक्षु जगदीश कश्यप, भिक्षु धर्मरक्षित आदि लोगो के साथ मिलकर वे भारत की आज़ादी की जंग में सक्रिय रहे। वे श्रीलंका में जाकर बौद्ध भिक्षु हुए। वे श्रीलंका की विद्यालंकर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्यक्ष भी रहे। भदन्त जी ने जातक की अत्थाकथाओ का ६ खंडो में पालि भाषा से हिंदी में अनुवाद किया। धम्मपद का हिंदी अनुवाद के आलावा अनेक पालि भाषा की किताबों का हिंदी भाषा में अनुवाद किया। साथ gही अनेक मौलिक ग्रन्थ भी रचे जैसे - 'अगर बाबा न होते', जातक कहानियाँ, भिक्षु के पत्र, दर्शन : वेद से मार्क्स तक, 'राम की कहानी, राम की जुबानी', 'मनुस्मृति क्यों जलाई', बौद्ध धर्म एक बुद्धिवादी अध्ययन, बौद्ध जीवन पद्धति, जो भुला न सका,  महान भदंत को मेरा कोटी कोटी नमन और अभिवादन.💐💐💐💐💐💐💐💐🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳from adv.सचिन पटटेबहादुर वाशिम💐💐💐💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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