Friday, November 11, 2016

जापान क्यों है हमसे आगे ?

जापानीज भी वर्ण व्यवस्था में विश्वास करते हैं। वहाँ की पाँच वर्णों वाली सामाजिक व्यवस्था इस प्रकार है:-
1. डेमीयो=ब्राह्मण
2. समुराई=क्षत्रिय
3. जुकौनारु=वैश्य
4. नौफू=कारीगर वर्ग, और
5. बुराकुमीन=अछूत

ये बुराकुमीन ऊपर के चारों वर्णों के 1500 सालो से गुलाम थे।.जापान की पूरी आबादी में 10% ये ही लोग हैं। भारतीय अछूतों के साथ जैसा दुर्व्यवहार होता है वैसा ही दुर्व्यवहार बुराकीमीन जाति के लोगों के साथ होता था। जीचिरो मात्सुमोटो नाम के एक महान बुराकीमीन ने 18वीं सदी में एक मजबूत आन्दोलन चलाया "हमें मुक्त करो"। 40 साल तक चले इस आन्दोलन में कई हजार बुराकीमीन शहीद हुए। दुनियाँ के सबसे क्रुर माने जाने वाले जापानी समुराई और डेमियो में इंसानियत जागी तथा उन्हें उनकी गलतियों का अहशास हुआ और  अंतत: उनको झुकना पडा। उन्होने ईमानदारी और सच्चे दिल से बुराकीमीन लोगों को अपना लिया जिससे मैत्री और भाईचारा की ऐसी मिशाल खडी हुई कि आज जापानी सरकार में 15% राजनेता 10% आबादी वाले बुराकीमीन ही है। इस प्रकार जापान के लोगो ने अपना अतित मिटा दिया है जिससे वे संसार में छा रहे हैं।
विश्व की सबसे ज्यादा टु व्हीलर बनाने वाली कंपनी होन्डा का मालिक तथा हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी जिस विदेश मंत्री को गले मिले थे वो बुराकीमीन है।
समाज और सरकार चाहे तो क्या कुछ नहीं हो सकता? तथाकथित उच्च वर्णो के लोगों को देश, धर्म और समाज हित में अहम् और निजि स्वार्थ को त्यागकर समता, समानता और समरसता का मार्ग अपनाना होगा। कमजोर को मान- सम्मान, प्यार, सहायता और सहयोग देना ही होगा। भारतीयों को अच्छे दिन नही अच्छे दिल चाहिये। जब अच्छे दिल होंगे तो अच्छे दिन दौडे दौडे आऐंगे।
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