Saturday, November 26, 2016

मोदी के नोट बदलने के तुगलकी फरमान के खिलाफ थे रघुराम राजन

मोदी के नोट बदलने के तुगलकी फरमान के खिलाफ थे रघुराम राजन

जैसे जैसे वक़्त बीत रहा है और नये आर्थिक फ़ैसले आ रहे वैसे वैसे राजनीति के गलियारों में सामने आ रही है रघुराम राजन के छोड़ने की वजह| मोदी सरकार के आने के बाद ही काला धन चर्चा का विषय था, देश को उससे कैसे निजातदिलाई जाए| रघुराम राजन चाहते थे देश के धन्ना सेठो के खिलाफ जाना, लेकिन मोदी चाहते थे ग़रीब, किसानो औरमध्यवर्ग के खिलाफ जाना|सूत्रो के माने तो रघुराम राजन ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगी को अपने रहते 500/1000 रुपये के नोटो को बैन करने से रोक दिया था|
रघुराम राजन ने अपने मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री से बाते की, उन्होने इसके खिलाफ तीन बाते बातये- 20,000 करोड़ नये नोटो की छापने की कीमत कौन देगा| भारत मे सिर्फ़ 28-32% लोगो वित्य संस्थान से जुड़े है| पूरी बैंकिंग व्यवस्था के 138,626 मे 33% ब्रांच सिर्फ़ 60 बड़े शहरों और छोटे शहरों मे है| उत्तर पूर्व के 38 ज़िलो मे सिर्फ़10 बैंक ब्रांच है| इस से भी बड़ी बात ये है की हर 10 हज़ार व्यक्ति पर सिर्फ़ एक बैंक है भारत में|
दूसरा कारण जो राजन ने प्रधानमंत्री को बताया था वो था की कोई भी काला धन जमा करके नही रखता उसे सोने, चाँदी,ज़मीन, फ्लैट, हीरा, डॉलर या विदेशो के बैंक मे रखता है| इसलिए नोटो के बदलने से सिर्फ़ आम आदमी को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा| उन्होने बताया की भारत मे 60 फीसदी लोग किसान है, जिनको इनकम टैक्स नहीं देना होता है| ये लोग रुपयों मे कारोबार करते हैं| 500 और 1000 का नोट बदलने से इनपर बुरा असर पड़ेगा| ये बताना ज़रूरी हैभारत मे 97% कारोबार रुपयो मे होता है|
तीसरा और सबसे बड़ा कारण- राजन कॉर्पोरेट इंडिया के पीछे जाना चाहते थे| जो सरकार को अरबो का चूना लगा रहे थे| सरकार से अरबो का लोन लेकर बैठे थे| इस मुहिम से कॉर्पोरेट इंडिया मे खलबली मच गयी| माल्या जैसे उद्योगपति सरकार को चूना लगाकर देश छोड़कर भाग गये| इसके अलावा राजन के उन 56 धन्नासेठो पर भी नज़र थी जो सरकार का 85000 करोड़ पिछले सालों मे लेकर बैठ गये| कोई भी बजट उठाकर देख लीजिए तकरीबन 8 लाख करोड़ का कॉर्पोरेट इंडिया का टैक्स सरकार माफ़ कर देती| राजन का तर्क था, देश की अर्थ व्यवस्था सुधारने के लिए इनसे टैक्स वसूला जाए

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|http://upkhabar.in/2016/11/12/raghuram-rajan-was-against-note-ban/

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