Monday, November 28, 2016

छूने तक का अधिकार देने को तैयार नहीं

*झाँसी: कलराज ने मंच पर की केशव मौर्या की बेइज्जती*

झाँसी में परिवर्तन रैली में भाजपा नेताओं ने परिवर्तन का आह्वान करने के साथ-साथ प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या की अच्छी-खासी बेइज्जती कर दी। मंच पर जब सारे नेता एकजुटता का संदेश देने के लिए खड़े होकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर उठाने लगे तो केंद्रीय लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्रा ने केशव प्रसाद मौर्या का हाथ ही झटक दिया। मंच पर हुई बेइज्जती से अकबकाए केशव मौर्या को जब कारण समझ नहीं आया तो कलराज मिश्रा ने डाँटकर उनसे दूर रहने की हिदायत दे दी।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा इस बात पर ध्यान लगाए रहे कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उनके ही बगल में रहें। इसमें तो वे कामयाब रहे लेकिन वे यह नहीं देख पाए कि उनकी दूसरी तरफ  कोई राष्ट्रीय या ब्राह्मण नेता नहीं, बल्कि केशव प्रसाद मौर्या ही आ गए हैं।

इसके बाद जब उत्साहित होकर सभी नेता एक दूसरे का हाथ पकड़कर एकजुटता का संदेश देने लगे तो अपने को बड़ा नेता मानने की गफलत में पड़े केशव मौर्या ने बगल में खड़े कलराज मिश्रा का हाथ पकड़कर ऊपर उठाने की कोशिश की। जब कलराज ने देखा कि केशव प्रसाद मौर्या उनका हाथ पकड़कर रहे हैं, तो वे बुरी तरह बिफर गए। उन्होंने गुस्से और हिकारत से केशव का हाथ झटक दिया, और डाँट दिया। 

मजबूर होकर केशव को अपनी झेंप मिटाने की कोशिश करते हुए अपना एक ही हाथ ऊपर करना पड़ा। मंच पर मौजूद नेताओं का तो इस घटना पर उस समय ध्यान नहीं गया, लेकिन नीचे से सब देख रहे लोगों को ये घटना बहुत बुरी लगी।

केशव प्रसाद मौर्या एक ओर जहाँ अपने को प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रहे हैं, और इस बहाने कुशवाहा, मौर्या वोटों को लुभाने में लगे हैं, वहीं ब्राह्मणी संस्कृति में पले-बढ़े कलराज मिश्रा उन्हें छूने तक का अधिकार देने को तैयार नहीं हुए, और मंच पर ही उनकी बेइज्जती कर बैठे।

अगले दिन जब अखबारों में तस्वीर और खबर छपी, तो केशव प्रसाद मौर्या को अपनी बेइज्जती का अहसास हुआ, लेकिन वो अब कुछ करने की स्थिति में नहीं रहे। भाजपा के सवर्ण नेताओं ने भी इसे सामान्य घटना मानकर इसकी अनदेखी कर दी है।

रैली में कुशवाहा और अन्य ओबीसी नेताओं का भी पर्याप्त अपमान हुआ। प्रतिष्ठित नेता हरगोविंद कुशवाहा को कुछ ही दिन पूर्व बहुजन समाज पार्टी छोड़कर भाजपा में आए थे, लेकिन उन्हें भी कोई तवज्जो नहीं दी। खास बात ये है कि बुंदेलखंड में कुशवाहा समाज की संख्या काफी है, और वो जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक महेंद्र नारायण सिंह यादव का कहना है कि स्थानीय कुशवाहा समाज के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर भी कुशवाहा और ओबीसी समाज में इस घटना को लेकर काफी नाराजगी और अपमान की भावना देखी जा रही है।  बाबूसिंह कुशवाहा के जनाधिकार मंच के कार्यकर्ता सबसे तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं और कह रहे हैं कि भाजपा में कुशवाहा नेताओं का अपमान हो रहा है।

हालाँकि, खुद केशव प्रसाद मौर्या भी अपनी ही पार्टी के दलित नेताओं का अपमान करते रहे हैं। पिछले दिनों सोनभद्र जिले में वे भाजपा के दलित सांसद छोटेलाल खरवार की अच्छी-खासी बेइज्जती कर चुके हैं। इस खबर के अखबारों में आने के बाद और अपमानित छोटेलाल खरवार की तस्वीरें वायरलहोने के बाद भाजपा की अच्छी-खासी बेइज्जती हुई थी। सोशल मीडिया पर भी भाजपा की अच्छी-खासी फजीहत हुई थी।

पत्रकार महेंद्र नारायण सिंह यादव ने पूरे घटनाक्रम पर व्यंग्य करते हुए फेसबुक  पर लिखा है- "ओबीसी होकर ब्राह्मण को छूते हो? पंडितजी को अपवित्र कर दिया! सर्दी के दिनों में पंडित जी को तुरंत नहाना पड़ गया होगा! "75" साल पारकर चुके पंडित जी ठंड लग जाए तो कौन जिम्मेदार होगा?  बड़े आए मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले, दूर हटो

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