Monday, February 8, 2016

हिन्दू-धर्म के धर्माधिकारी के कर्ताधर्ता सामाजिक, मानसिक व आर्थिक तौर पर भ्रष्ट, अत्याचारी व अन्यायी थे।

समाज के अधिकांश परिवारों को हिन्दू व हिन्दू-धर्म होने  पर बहुत गर्व है और उन्हें चाहिए कि  मनुवादी हिन्दू-धर्म के मनुवादी धर्मग्रंथों व मनुस्मृति के नियमों को आस्था में लोटपोट होकर कडाई से पालन करना चाहिए । वरणा आपका धर्मभ्रष्ट हो जावेगा । आप हिन्दू हैं, इसलिए हिन्दू-लॅा आप पर लागू है, ना की अन्य धर्म के लोगों पर
पढें व पालन करें 
उदाहरण के लिए-
०१ ऐतरेय ब्राह्मण (3/24/27) ;- वही नारी उत्तम है जो पुत्र को जन्म दे। (35/5/2/47) पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे।
** बच्चे पैदा करते रहें, पुत्र को जन्म जरूर देगी और
** पतियों को अनेक पत्नी हासिल करने के लिये एडवांस बुकिंग करवाएं और छूट में  पडौसन व प्रेमिका पर डोरे डालें  ।
०२ आपस्तब (1/10/51/52), बोधयान धर्म सूत्र (2/4/6) व शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) जो नारी अपुत्रा है उसे त्याग देना चाहिए। 
** गाय, भैंस व बकरी से व्रत व प्रार्थना कर औलाद  पैदा करने गुजारिश करें 
०३ तैत्तिरीय संहिता (6/6/4/3):- पत्नी आजादी की हकदार नहीं है। 
**माँ, पत्नी, वधु व पुत्री को चारदीवारी में बंद कर दें। और प्रेमिका के लिये दरवाजा खुला रखें 
०४ शतपथ ब्राह्मण (9/6):- केवल सुन्दर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारिणी है।
**पति बलात्कारी, हत्यारा, नपुंसक, कुबडा, अंधा, लूला-लंगडा, जाहिलगंवार, पागल, नशेडी  जैसी सुविधा सम्पन्न हो सकता है
 ०५ बृहदारण्यक उपनिषद् (6/4/7):- यदि पत्नी सम्भोग के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे पीट-पीट कर वश में करो।
**पति को सिरहाने हथौडा, तलवार व स्टेनगन रखनी चाहिए 
०६ मैत्रायणी संहिता (3/8/3) :- प्रत्येक  नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शुद्र को नहीं देखना चाहिए। अर्थात् नारी और शुद्र कुत्ते के समान हैं। (1/10/11) नारी तो एक पात्र (बरतन) समान है। 
**आपको बहरा, गूंगा व अंधा होकर माँ पत्नी, पुत्री को तिलांजलि दे देनी चाहिए ।
** अंग्रेजों ने अपने कल्बों पर साफ लिखा था कि Indian & Dog not allowed 
०७ महाभारत (12/40/1) :- नारी से बढ़कर अशुभ कुछ नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए। (6/33/32) पिछले जन्मों के पाप से नारी का जन्म होता है ।
**कृपया ऋषि भारद्वाज की तरहं अपने  बच्चों को परखनली में पैदा करें और घर की प्रत्येक नारी का परित्याग करें 
०८ मनुस्मृति (100) :- पृथ्वी पर जो भी कुछ है, वह  ब्राह्मण का है। 
**आप झोपडपट्टी, घर आदि त्याग कर मन्दिर के बाहर बैठकर घंटा बजाएं 
०९ मनुस्मृति (101):- दूसरे लोग ब्राह्मणों की दया के कारण सब पदार्थों का भोग करते हैं।
** अन्न-जल, कपडे त्याग कर श्मशानघाट में बैठकर जागरण व कीर्तन करें ।
१० मनुस्मृति (11-11-127):-  मनु ने ब्राह्मण को संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष अधिकार दिये हैं। वह तीनों वर्णों से बलपूर्वक धन छीन सकता है अथवा चोरी कर सकता है।
** आप अपने घर की चोरी करवाना सीखें और सआदर सहित ब्राह्मण पर घर, धन, पत्नी पुत्री, पुत्र आदि  सबकुछ न्यौछावर कर दें 
११  मनुस्मृति (4/165 - 4/166):- जान बूझकर क्रोध से जो ब्राह्मण को तिनके से भी मारता है वह इक्कीस जन्मों तक बिल्ली योनि में पैदा होता है।
**आप सांड की योनि से पैदा होने की प्रार्थना व कोशिश करें और ब्राह्मण पर धनदौलत की बरसात करें ।
 १२ मनुस्मृति (5/35):- जो मांस नहीं खाएगा वह इक्कीस बार पशु योनि में पैदा होगा । 
**आप घास-फूस खाकर चूहे की योनि में प्रवेश कर फिर हाथी के मुंह से बाहर निकलें 
१३ मनुस्मृति (64 श्लोक) अछूत जातियों के छूने पर स्नान करना चाहिए। 
**आपका स्नान करना धर्म-विरुद्ध है। अत: गाय का गोबर तन-बदन पर लगाकर गाय का मूत पीयें
१४ गौतम धर्म सूत्र (2-3-4):- यदि शुद्र किसी वेद को पढ़ते सुन ले तो उसके कानों में पिंघला हुआ शीशा या लाख डाल देनी चाहिए।
** आप ग्रन्थ सूंघ लें और आंखें बन्द कर जीभ से चाटकर कानों से खुशबू  बाहर निकालें 
१५ मनुस्मृति (8/21-22):- ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो उसे न्यायाधीश बनाया जाए नहीं तो राज मुसीबत में फंस जाएगा।
**आप सनातन-काल की तरहं बेवकूफ बने रहें 
यदि कोई ब्राह्मण को दुर्वचन कहेगा तो वे मृत्युदण्ड के अधिकारी हैं।
आपके बोलने मात्र से ही ब्राह्मणदेवता को भारी दुर्घटना व क्षति पहुंच सकती है। अत: गूंगे-बहरे बनने के लिये हमेशा  मौनव्रत धारण करें 
१६ मनुस्मृति (8/270):- यदि कोई ब्राह्मण पर आक्षपे करे तो उसकी जीभ काट कर दण्ड दें।
**आप जीभ को हरीसन ताले से पिरोकर ताला लगा दें और चाबी ब्राह्मणदेवता के हवाले कर दें
 १७ मनुस्मृति (5/157):- विधवा का विवाह करना घोर पाप है।
**आप मरना कैंसिल करें और विधवा को विधवावन में भेज दें।
 विष्णुस्मृति में स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है तो, 'शंख स्मृति' में दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है।
**विधवा-मां, विधवा-पत्नि, विधवा-वधु  विधवा-कन्या व सुकन्या  को ब्राह्मणदेवता के हवाले कर दें । क्योंकि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी 
१८ 'देवल स्मृति' में किसी को भी बाहर देश जाने की मनाही है। 
**आप चौबीस घंटे मन्दिर के बाहर पडे रहें 
१९ 'बृहदहरित स्मृति' में बौद्ध भिक्षु तथा मुण्डे हुए सिर वालों को देखने की मनाही है।
**आप नाई के पास बाल कटवाने की बजाय मन्दिरों में बाल उखडवा सकते हैं।
 '२० गरुड़ पुराण' में ब्राह्मण को गाय दान, कन्यादान, पुत्रदान, पत्निदान,  स्वर्णदान, भूमिदान, अस्थिदान, वस्त्रदान, अन्नदान, फलदान, मेवादान, मिठाईदान, केशदान आदि करने से आपके व आपके खानदान का विश्व में जोर-जोर से नगाडा व घंटे बजेंगे । 
गरुड-पूराण में  केवल ब्राह्मण के हाथ से आपके परिवार के मृतकों का गंगा में पिण्डदान(आत्मा का दान) करने के लिए कहा गया है। वरणा आपके परिवार के सदस्य की आत्मा जहां-तहां भारत में भटकती फिरेगी   
 हालाँकि  एक अंग्रेज इतिहासकार एडमंड बर्क लिखते हैं, तथाकथितों के 'हिन्दू-धर्म के धर्माधिकारी के कर्ताधर्ता सामाजिक, मानसिक व  आर्थिक तौर पर भ्रष्ट, अत्याचारी  व अन्यायी थे। अतः मनुवादियों ने आपको व आपके   देश को स्वतन्त्र नहीं रखने दिया और ' इस सम्बन्ध में भारतवर्ष के महान् विचारक तथा विद्वान् ज्योति-बा-फुले,  स्वामी विवेकानन्द, पेरियार  बाबासाहेबजी अम्बेडकर आदि   ने कहा था कि 'एक देश जहां लाखों लोगों को खाने, पहनने व रहने  को कुछ नहीं है, जहां कुछ हजार मनुवादी  ब्राह्मण वर्ग के लोग गरीबों का खून चूसकर रक्तदान, अंगदान, बीफ, हड्डी, बाल-खाल आदि  का व्यापार करते  हैं। 
**हमें यह सब नजर-अंदाज कर देते हैं और करना चाहिए!  क्योंकि यह हमारी अंधभक्ति की अंधीधारणा व अंध-आस्था का सवाल  है।
२१' स्कन्द पुराण ने नारी जाति पर चार चांद लटका दिये हैं कि नारी के विधवा होने पर उसके दराती से बाल काट दें, जीते जी  सफेद कफन के कपड़े में लपेट दें और विधवा को रूखा-सूखा  खाना दें और अल्पमात्रा में  इतना ही खाना दें कि वह जीवित रहे और मरे भी नहीं । क्योंकि  विधवा का पुनः विवाह करना घोरपाप है। ..अत: आप घर को ही  विधवा आश्रम .बना लें और इनके बीच बैठकर बंसी बजाएं 
हमारे समाज के हिन्दू धर्म के आस्थावान व मनुवादी  प्रेमियों को मनुस्मृति के अनुसार स्कूल कालेज में नहीं जाकर मनुवादी ब्राह्मण व बनियों के चरण-कमल में ओंधेमुंह गिरकर उनके चरण-कमल में माथा रगडकर, जीभ से चरण-स्पर्श कर चरणों को शुद्ध वाटर में धोकर चरणामृत के गिलास भर भरकर पीना चाहिए और ब्राह्मणदेवता के चरण-कमल से सिर पर आशीर्वाद लेना चाहिए । 
माना जाता है कि उपरोक्त नियमों का आस्था व विश्वास के साथ अनुगमन व पालन करने से आपका व आपके परिवार को स्वर्गलोक की स्वर्गनगरी में स्वर्गीय होने पर स्वर्गवासी होने की प्रबल सम्भावना बनी रहेगी
हमें दिनरात कर्तव्यनिष्ठ होकर  ज्यौतिषी व राशिफल में अपने-अपने  बच्चों का नसीब ढूंढना चाहिए। 
बाबासाहेबजी अम्बेडकर ने हमें आरक्षण, सामाजिक, शैक्षणिक आदि  दिलवाये हैं। मगर  जब सभी भौतिक सुख-सुविधाएं  ब्राह्मणदेवता के द्वारा देय है तो हमें मनुवादी ब्राह्मण व बनियों को अपना वोटबैंक देकर गर्व व उनके पीछे-पीछे भागने में आनन्द आता है। । क्योंकि हम अपने ही देश में बहुसंख्यक  मनुष्य से आरक्षित जीव की श्रेणी पाकर हम मनुवादियों से आरक्षण मांगकर स्वयं को धन्य समझते हैं। 
ध्यान रहे मनुस्मृति में वेश्य, वेश्या,ओबीसी, SC व  ST को शुद्र माना गया है और मुसलमान, ईसाई आदि अन्य धर्म के लोगों को " मलेच्छ बताया गया है!
तथा-अररस्तु तु 
व्यंग्य
बाबा-राजहंस
जय-भीम जय-मीम जय-जयस

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