Monday, February 1, 2016

अहमदाबाद की दलित महिला उद्योगपति सविताबेन परमार

दलित भाइयो  को  अहमदाबाद  की  दलित  महिला उद्योगपति सविताबेन  परमार  से  प्रेरणा लेनी चाहिए... जिन्होंने  ठेले पर कोयला  बेचा...मजदूरी  की..और  आज चार  सौ  करोड़  का टर्नओवर  करने वाली  स्टर्लिंग सिरेमिक्स लिमिटेड  की  मालकिन  है... उनके  पास  ओडी, पजेरो, बीएमडब्ल्यू, मर्सीडीज जैसी लक्जरी कारो का काफिला है... और अहमदाबाद के  पॉश एरिया में १० बेडरूम का  विशाल  बंगला है... 

और हाँ   ..सविताबेन परमार  ने कभी  दिलीप मंडल जैसे  तथाकथित  उन दलित  एक्टिविस्टो  के  ब्रेनवाश के चक्कर से  दूर रहकर  समाज  में  मेहनत करके  अपने  दम  पर  आज  विशाल  साम्राज्य  खड़ा किया  .. वो भी उस गुजरात  में  जिसे  वामपंथी दोगले  हिंदुत्व की  प्रयोगशाला  कहते  है... 

क्या कोई वामपंथी दोगला  ये बता सकता  है की यूपी बिहार , बंगाल आदि राज्यों में जहाँ  कई दलित नेता अपने  आपको दलितों कारहनुमा बताते है वहां कितने  दलित उद्योगपति है? 

सविताबेन के  पति देवजीभाई सिटी बस में  कन्डक्टर थे  .. बेहद  मामूली  सेलेरी मिलती थी.. जिसमे  गुजारा  नही होता था  ..इसलिए मजबूरी  में  सविताबेन  ने मिलों  में  से  जला हुआ कोयला बीनकर उसे ठेले   पर लेकर  घर घर बेचना  शुरू किया  .. इसलिए उन्हें सब  कोलसावाला [गुजराती  में कोयला को कोलसा  कहते है ]  कहने लगे  ... फिर उन्होंने कोयला  की  एक छोटी दूकान शुरू की... एक सिरेमिक  वाले  ने उनसे  अर्जेंसी  में कोयला खरीदा.. कोयला की डिलेवरी  औरपेमेंट लेने कई बार सविताबेन  कारखाने में गयी ..और उन्होंने  अपनी छोटी सी सिरेमिक  भट्टी डाल  दी ... सिरेमिक  की क्वालिटी  अच्छी थी ,..धंधा चल निकला .. फिर उन्होंने 1989 में प्रीमियर सिरेमिक्स और 1991 में स्टर्लिंग सिरेमिक्स लिमिटेड  नामक कम्पनी बनाई.. और कई देशो में  आज  सिरेमिक्स  प्रोड्क्स  एक्सपोर्ट करती है ...

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