Tuesday, January 5, 2016

जब अयोध्या ही नही थी तो राजा हरिश्चंद्र और राजा भगीरथ कहाँ के राजा थे

👇👇👇👇👇👇👇👇👇
सत्यवादी हरिश्चंद्र और राजा भगीरथ
पौराणिक कथाओ में दो राजाओ की कथा सुनने को मिलती है।

अयोध्या के राजा हरिश्चंद्र ने विश्वामित्र के कहने पर सब कुछ दान कर दिया था। अंत में उन्होंने स्वयं को और अपनी पत्नी-बच्चे को भी बेच दिया था। अंतिम दिनों में वे काशी में गंगा नदी के किनारे शमशानघाट पर मुर्दे जलाते थे। इसका अर्थ ये हुआ कि गंगा नदी राजा हरिश्चंद्र के काल में थी।इस कहानी में दो ब्राह्मण ऋषियों( विश्वामित्र और वशिष्ठ) का जिक्र होता है।

दूसरी कहानी अयोध्या के राजा भगीरथ की है जो हरिश्चंद्र की 13 वी पीढ़ी के बाद पैदा हुए थे। इन्होंने तपस्या की थी और वे शिव की तपस्या के बाद गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाये थे।

टिप्पणी-1) ऋग्वेद में पाञ्चजन्य का वर्णन है जिनके पुरोहित विश्वामित्र थे। भरत नाम के एक जन(कबीले)का भी वर्णन ऋग्वेद में है जिसके पुरोहित वशिष्ठ थे। 
इन पाञ्चजन्य  और भरत जन का निवास वर्तमान सिंध और पंजाब के क्षेत्र में था और इनके समय आर्यो का वैदिक धर्म केवल इसी क्षेत्र तक सीमित था।

2)अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत है । इसका यह नाम मौर्य शासनकाल तक था। ब्राह्मण राजा पुष्यमित्र शुंग ने साकेत को अपनी राजधानी बनाया और इसका नाम बदलकर अयोध्या किया। अयोध्या=बिना युद्ध के बनाई गयी राजधानी...



प्रश्न-1)जब अयोध्या ही नही थी तो राजा हरिश्चंद्र और राजा भगीरथ कहाँ के राजा थे ?
प्रश्न-2) राजा हरिश्चंद्र की कहानी के अनुसार उनके समय में काशी में  गंगा नदी थी। जब गंगा नदी पहले से थी तो राजा भगीरथ को गंगा ,धरती पर लाने की ज़रूरत क्यों पड़ी ?
प्रश्न-3) क्या तपस्या करके किसी नदी को अपनी इच्छानुसार  धरती पर  लाया जा सकता है ?
जो लोग ऐसा मानते है वे तपस्या करके  अपने खेतो में पानी देने के लिए नाली बनाकर दिखाएँ।
प्रश्न-4) गंगा नदी के अलावा बहुत सी नदियां हिमालय से निकली है। उन नदियों को कौन धरती पर लाया है ?
प्रश्न-5)ऋषि विश्वामित्र और वशिष्ठ के समय में आर्य(ब्राह्मण) वर्तमान सिंध और पंजाब के क्षेत्र तक ही रहते थे। विश्चामित्र और वशिष्ठ इसी क्षेत्र में थे तो  अयोध्या के राजाओ से उनका सम्बन्ध कैसे ?

5 comments:

  1. Bhosdikey ये कहाँ लिखा है घाट गंगा नदी के किनारे थे जिसपर हरिश्चन्द्र जी दाह संस्कार करते थे ? कहाँ पढ़ लिया ये तूने भड़वे ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. Tumne to Sara Gyan pa liya bhosdi ke koi h India me baba saheb ke alawa jiske pass itni degree ho gandu sale manuwadi keede

      Delete
  2. jis tarah ambedkar alpgyani tha usi tu bhi alpgyani hain ambedkar times se or expect hi kya kiya ja akta hain. adh jal gagri chhalkat jaye.

    ReplyDelete
  3. गंगा अवतरण
    ​सूर्य वंश के प्रतापी राजा व विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम की वंशावली को देखें तो आप पाएंगे कि उनके वंश की 36वीं पीढ़ी में महान सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र व 48वीं पीढ़ी में गंगा अवतरण हेतु प्रसिद्ध भागीरथ का जन्म हुआ था।

    राजा हरिश्चंद्र के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने काशी में पवित्र गंगा के तट पर शमशान घाट पर डोम का कार्य किया था व अपने पुत्र रोहिताश्व की मृत्यु पर उसके दाह संस्कार हेतु अपनी ही पत्नी से उसकी साड़ी का आधा टुकड़ा प्राप्त किया था।

    अब प्रश्न यह है कि जब हरिश्चन्द्र के समय में पृथ्वी पर गंगा थी, तो उनकी 12 पीढ़ी के बाद ऐसी क्या परिस्थिति आ गयी कि पृथ्वी से गंगा विलुप्त हो गयी, फलस्वरूप भागीरथ के पूर्वजों का तर्पण नहीं हुआ और भागीरथ को गंगा पुनः पृथ्वी पर लानी पड़ी?

    सिंचाई विभाग से सेवानिव्रत एक मुख्य अभियंता से इस संबंध में मेरी वार्ता हुई जिनके तर्क से मै सहमत हुआ। उनका कथन इस प्रकार है कि-

    राजा हरिश्चंद्र के पश्चात किसी भू स्खलन के कारण गंगोत्री के मार्ग में कोई विशाल शिला गिर गयी जिसने गंगा का प्रवाह रोक दिया व ऊपर गंगा के जल का एक विशाल भंडार एकत्र हो गया। यदि शिला हटाई जाती तो एकत्र गंगा जल के प्रवाह से पृथ्वी पर त्राहि त्राहि मच जाती। इसलिए भागीरथ ने अभियंत्रण तकनीक का सहारा लेकर एकत्र जल को छोटी छोटी शाखाओं द्वारा निर्गत कराया। इसीलये कहा जाता है कि स्वर्ग से आती गंगा को शंकर जी ने अपनी जटाओं (शिखाओं) पर लिया। यहाँ जटाओं का आशय छोटी छोटी शाखाओं से लिया जाना चाहिए, जिनके द्वारा एकत्र विशाल जल भंडार को खाली किया गया।

    उनके अनुसार इसी लिए गंगा का प्रवाह अन्य नदियों के प्रवाह से भिन्न है व आधुनिक नहर निर्माण से मिलता है।

    ReplyDelete