Monday, January 4, 2016

पुरूषोतम मीणा की निष्ठा के प्रति संदेह

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मुझे HRD MOST  के प्रमुख श्रीमान पुरूषोतम मीणा की निष्ठा के प्रति संदेह होने से ये लेख मे लिख रहा हु.....

1)) ग्रुप मे "राम राम सा" लिखने व बोलने वालो से उन्हें कोई आपत्ति नहिं पर...     👉 किसिके "जय भीम" लिखने पर उन्हें कडा ऐतराज हे। जबकी रामराज मे शुर्दो को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार ही नही था। अगर कोई चुपके से शिक्षा प्राप्त करभी लेता तो उसकि हत्या करदी जाती थी।
2)) इस देश के मूलनिवासी (अनाँयो) को शिक्षा से वंचित कर गुलाम बनाने वाले ब्राह्मणों को दो चीजों से सदैव भय रहा हे, ऐक बुघिझम और आंबेडकरीझम.....
👉 और मीणा जी का भी इन दोनों इझम के प्रचार और प्रसार पर बहुत बडा विरोध रहता हे
3)) दक्षिण भारत मे "द्रविड" आंदोलन वाले लोग भी आज बामसेफ द्रारा SC,ST,OBC, Minorities ही "मुलनिवासी" भारतीय  होने की थियरी को स्वीकृत करके ऐकजुट हो रहे हे...
👉 लेकिन मीणा जी देश के ये शोषित वंचित लोग ही  मुलनिवासी हे ऐसीे बामसेफ की थियरी को वो नकारते हे और,  'इसके प्रचारक वामन मेश्राम जी को वे गधा' बताते हे।।
4)) अमरीकी और भारतीय वैज्ञानिको द्वारा किये गये DNA संशोधन से ये साबित हो चुका हे कि ब्राह्मण विदेशी युरेशियन हे। इस बात को आधार बनाकर शोषित वंचित समाज ही इस देश का मुलनिवासी हे ऐसी बामसेफ कि मुहिम....
👉 मीणा जीको केवल मुखँता लगती हे।।
5)) शोषित वंचित समुदाय जब "मुलनिवासी" जैसे आधिकारिक और सकारात्मक शब्द से ऊर्जा प्राप्त कर जब संगठीत होकर अपने आत्म गौरव और अधिकार की लडाई लडने ऐकजुट हो रहे हे तब...
👉 साहब मीणाजी द्वारा अनायँ जैसे नकारात्मक शब्द का प्रयोग करने का ही कायँकरो पर जोर डालना कितना उचित हे ?
6)) मीणा जी ने HRD news Bulletin शुरू किया हे, जिसके प्रारंभिक वाताँलाप मे वो आरक्षण गांधी के आमरण अनशन की वजह से पुना पेकट के तहत 1930 से लागू हुआ ऐसा वो बताते हे, बाद मे उसे संविधान निमाताँ ओने आधिकारिक बनाया जिसमें वो जयपाल मुडां जी का जिँक करते हे मगर बाबासाहब को वो अनदेखा करने की कोशिश करते हे।
👉 जबकि इस देश के इतिहास मे अगर डो भीमराव आंबेडकर नामकी शख्सियत का जन्म ना होता तो शायद इस देश मे आज भी वणाँश्रम धमँ का आंतक चल रहा होता।
7)) मीणा साहब ये मानते हे कि जयभीम महज ऐक नारा मात्र हे.. वो... हमें हमारे संवैधानिक अधिकार नहीं दीला शकता।
👉 जबकि सत्य ये हे कि "जयभीम" वो केवल नारा ही नहीं बल्कि करोड़ों शोषित वंचित लोगों को एकजुट करनेवाला ऐक "महामंत्र" हे..जब जब भी शोषित वंचित लोगों के संवैधानिक अधिकार खतरे मे पडते है तब यही महामंत्र की दहाड से मनुवादीयो को हम पराजित करते हे और आनेवाले वषोँ मे भी करेगें।।।
          ये वो महामंत्र भी हे जो मुलनिवासी समुदाय को शिक्षा का महत्व समझाता हे और उसकि और आकँषित करता हे।।।
  "जयभीम" शब्द महज ऐक नारा ही नहीं बल्कि स्वतंत्रता, समानता, बंघुता, ज्ञान, प्रगति और शोषण विहीन समाज का भी प्रतिक हे और हंमेशा रहेगा जबतक सुरज-चादं रहेगा।।।।
        और अंत मे ऐक बात ओर भी, दंभी मनुवादीयों ने संविधान दिवस हर साल मनाया जायेगा ऐसा निणँय किया इसके पीछे उनकी मंसा साफ हे कि संविधान निमाँता कि स्मृति को जनमानस से मिटाने के लिए संविधान की जय जयकार करवाई जाय जैसे कि संसद मे ज्यादातर मनुवादीयों ने नारे लगाये थे...
जय हिंद...जय संविधान...
और आप भी.... बस ऐसा ही कुछ आग्रह करते हे....
।।।।।।।।।।।।।।।।
जय भीम....जय भारत....
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Note: मे किसी भी राजकीय पक्ष या संगठन से संलग्न नहीं हुं।।
आभार.....

हषँद परमार
राजकोट, गुजरात

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