Tuesday, January 5, 2016

बाजीराव मस्तानी में कोरेगांव युध्द क्यों नही दिखाया गया ?

बाजीराव मस्तानी में कोरेगांव युध्द क्यों नही दिखाया गया ?

बाजीराव पेशवा 2 एक नम्बर का मक्कार और हरामी ब्राह्मण राजा था ।
उसने मनु के कानून का बखूबी पालन कर वंचितों/ शुद्रो के साथ नरकीय अमानवीय अत्याचार किया था
महाराष्ट्र में पेशवाओ के राज्य में दलितों के ऊपर अति से महाअति अन्याय कर प्रताड़ित किया गया । शायद ऐसा अत्याचार अब तक विश्व के किसी राजा ने नही किया होगा ।
 उनमे से दो प्रमुख है ।
1. पेशवाओ के राज्य में दलितों को जमींन पर थूकने तक की पाबंदी थी ।इस ब्राह्मण पेशवा राजा की ऐसी धरना थी कि, दलितों के थूक को कोई स्वर्ण पैर से स्पर्श के दे तो उसे अपवित्र माना जाता था । दलितों लोग जमींन पर न थूके, इसलिए दलितों के गले में मिट्टी का बर्तन बँधा रहता था ताकि दलित सड़को पर नही गले में लटके बर्तन में ही थूके ।
2. पेशवा राज्य में दलितों को चलने पर भी पाबन्दी थी । उसका कारण यह था कि दलित सड़क पर चलेंगे तो उनके धूल पर पैरो के निशान को कोई स्वर्ण छु लेगा तो वह अपवित्र हो जायेगा । दलितों के पैर के निशान सड़को पर न रहे , इसलिये उनके कमर के पीछे झाड़ू बंधी होती थी, ताकि उनके धूल पर उतरे पदचिन्ह (पैरो के निशान) झाड़ू से मिट जाय। 
यह थी बाजीराब पेशवा 2( ब्राह्मण राजा) की मक्कारी भरी कारस्तानी..... 
बाजीराव पेशवा 2 के इस अमानवीय अत्याचार का बदला, महाराष्ट्र के महारो ने अंग्रेजो की सेना महार रेजिमेंट में भर्ती होकर लिया । 
1 जनवरी 1818 को 28,000 पेशवा के सैनिको को 500 महार घुड़सवार सैनिको ने पुणे के पास भीमा कोरेगांव मे टुकड़े -टुकड़े कर दिया । पेशवा की सेना को परास्त कर अंग्रेजो को पेशवा राज्य पर अधिकार करने अहम भूमिका निभाया । 
डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर अपने जीवनकाल में प्रतिवर्ष 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव जाकर महार शहीद सैनिको के स्मृति में बने स्मारक पर श्रुद्धांजलि अर्पित किया करते थे ।
आज भी प्रतिवर्ष भीमा कोरेगॉव में 1 जनवरी को विजय स्तम्भ स्मारक पर लाखो लोग नमन करने जाते है । 
(साभार, प्रदीप नागदेव जी )

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