पहुँचा दो उसके कानों तक एक भीम सैनिक का दिया जवाब-
लुटेरे बनकर जब तुम आर्य भारत भू पर आये थे,
लूटपाट औ' धोखाधड़ी के मेघ सिंधु घाटी पर छाये थे |
करके परास्त हमको तुमने,ब्रह्मा,विष्णु बना लिये,
राम,कृष्ण सरीखे तैंतीस कोटि देव भी गिना दिये |
शूद्र बताकर जब तुमने वर्णों की गुलामी थोपी थी,
भोली-भाली धरती पर कील भेदभाव की रोपी थी |
तिल-तिल मरती मानवता को, तब जिसने बचाया था,
सत्य,अहिंसा,प्रेम,दया का पाठ बुद्ध ने ही पढाया था ||
वेद-पुराणों-महाकाव्यों का जब कुनबा जोड़ा था,
धर्म के नाम पर शूद्रों की आँखों को फोड़ा था |
त्रेता में तुम बंदरों को बिन पंखों के उडा़ते थे,
पत्थर की क्या बात करें, पहाड़ तक उठवाते थे |
तुम्हारे कृष्ण को गोपियां छेड़ने में शर्म नही आती थी,
शकुंतला जैसी बिन पति के गर्भवती हो जाती थी |
घर में घुटती नारी को जिसने मुक्ति पथ दिखाया था,
सत्य,अहिंसा,प्रेम,दया का पाठ बुद्ध ने ही पढाया था ||
अब सुनकर नाम उनका, क्यों पेट में कीड़े चलते हैं,
तेरे जैसे ढोंगी नित धर्म के नाम पर लोगों को छलते हैं |
सच सुनकर पचा सके, ऐसी तेरी औकात नही,
भारत बने देश उनका, राम-कृष्ण में वो बात नही |
भारत कैसे भूलेगा,नालंदा-तक्षशिला सब जानता,
बुद्ध के धम्म से जग सारा,था विश्व गुरु इसे मानता |
देव तुम्हारे थे नित लड़ते, उसने महल ठुकराया था |
सत्य,अहिंसा,प्रेम,दया का पाठ बुद्ध ने ही पढाया था ||
-एक कट्टर भीम योद्धा
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