बाबा साहेब को किस हद तक इस्तेमाल कर लेने की साजिश चल रही है। उसकी एक बानगी कल केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत के बयान में दिखी। उन्होंने कहा कि हालांकि बाबा साहेब ने राम मंदिर के बारे में कुछ नहीं कहा है। लेकिन चूंकि डॉ. अंबेडकर सभी धर्मों का सम्मान करने में विश्वास करते थे। इसलिए उनका भी मानना था कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए। अब इस अपराध सरीखी बयानबाजी के बारे में क्या कहा जाए? अंबेडकर जिस धर्म की अमानवीय जाति-व्यवस्था, उसके कर्मकांड और बेहिसाब उत्पीड़न से परेशान होकर उसे छोड़े। अब वापस खींचकर उनको उसी की सेवा में लगाने की तैयारी चल रही है।
यानी अंबेडकरवाद को सिर के बल खड़ा किया जा रहा है। इस संघी अंडेबकर और असली बाबा साहेब के बीच 180 डिग्री का फासला होगा। इस पूरी प्रक्रिया में अंबेडकर को ही अंबेडकर के खिलाफ खड़ा कर दिया जाएगा। और एक वक्त ऐसा आएगा जब बाबा साहेब अपने संविधान की जगह मनुस्मृति का प्रचार कर रहे होंगे! लेकिन संघ को नहीं पता कि बाबा साहेब को पचा पाना इतना आसान नहीं है। गैरबराबरी पर आधारित ब्राह्मणवादी जाति-व्यवस्था का पेट फाड़कर वह बाहर निकल आएंगे। Aimbscs Organiger BALAGHAT.
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