Thursday, January 7, 2016

650 साल के मुगलों के राज में "युरेशियन ब्राह्मणों" ने "मुगलों" के विरोध में "आजादी के लिये आंदोलन" नही किया

💥इतिहास_का_पुनर्लेखन‬ करना आवश्यक है.💥
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650 साल के मुगलों के राज में "युरेशियन ब्राह्मणों"  ने "मुगलों" के विरोध में  "आजादी के लिये आंदोलन" नही किया।
मगर 150 साल के अंग्रेजों के राज में युरेशियन ब्राह्मणों ने अंग्रेजो के खिलाफ आजादी का आंदोलन चलाया…???
यह एक महत्वपूर्ण और रहस्य भरा सवाल है।।
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👉🏽इसके तीन कारण है--
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1) मुगलों के राज में मोगलो के शासन-प्रशासन में युरेशियन ब्राह्मणों को 38% हिस्सेदारी अर्थात आरक्षण था, प्रतिनिधीत्व था, हिस्सा था। बाबर से लेकर औरंगजेब के राज में युरेशियन ब्राह्मणों को 38% हिस्सेदारी थी|

क्योंकि, ब्राम्हणों की तरह मोगल भी विदेशी थे। मोगल मतलब मंगोलिया के आक्रामक। यहां के मुसलमान वास्तव में धर्मपरिवर्तित मूलनिवासी लोग हैं और मोगल विदेशी है। इसलिए, विदेशी ब्राह्मण यहां के मुसलमानों से नफरत करते हैं।

2) इसका दुसरा मुख्य कारण यह है की, बाबर ने एक वसियतनामा लिखा हुआ था; अर्थात मृत्यूपत्र, और उस वसियत में एक नसियत भी लिखी थी| नसियत का मतलब सलाह, उपदेश, निर्देश, संदेश| नसियत थी, ''अगर भारत पर दीर्घकाल तक राज चलाना हो, तो ब्राह्मणोंको साथ में लेकर राज चला ना|'' 
इसलिये 650 साल के मुगलों के राज में ब्राह्मणों द्वारा मुगलों के विरोध में आजादी का आंदोलन चलाने का सबूत नही मिल सकता|
______वही युरेशियन ब्राह्मण आज बाबर ने बनायी मस्जिद को कलंक समजते है और वह गिराने के लिये देशव्यापी आंदोलन चलाते है| ______इसलिये युरेशियन ब्राह्मणों के दावपेच को समझना जरुरी है| हमेशा युरेशियन ब्राह्मण दावपेच में परिवर्तन करते है, उद्देश में नही| उनका उद्देश क्या है? मूलनिवासी बहुजन समाज को हमेशा के लिये गुलाम रखना और गुलामी में रखकर उनको सारे मानवी हक्क और अधिकारों से वंचित रखना|

3) तिसरा मुख्य कारण यह है की, अकबर ने उनके कार्यकाल में पोलिस इन्स्पेक्टर (निरीक्षक) नियुक्त किये थे| किस लिये? 
अकबर के राज में लोग
जाती के आधार पर अपना व्यवसाय (व्यापार), व्यवहार करते है या नही, यह देखने के लिए और अगर कोई जाती के आधार पर व्यवहार नही कर रहा हो,
तो उन पर कानूनी कार्रवाई करके उनको शिक्षा कर सकें, अकबर जाती व्यवस्था बरकरार रखने का काम कर रहे थे|
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अर्थात, अकबर ब्राह्मणवाद, ब्राह्मणशाही और ब्राह्मणी संस्कृती मतलब ब्राह्मण धर्म को मजबूत बनाने का काम करता था| अगर ऐसा ही होता था, तो युरेशियन ब्राह्मणों को मुगलों के विरोध में आजादी का आंदोलन चलाने की क्या आवश्यकता होगी…??? 

📝वामन मेश्राम साहब
(राष्ट्रीय अध्यक्ष, बामसेफ & भारत मुक्ति मोर्चा)

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