Sunday, January 3, 2016

आरक्षण

*** आरक्षण ***
एक बार मैं जयपुर से वाराणसी रेल से एग्जाम देने जा रहा था ।मेरे डिब्बे में एक तिलक धारी और एक सूट बूट में महोदय थे ।मैं देखते ही जान गया था की ये चोटीवाले हैं ।
उन दोनों के पास एक सीट खाली थी ।तो मैं वहा जाकर बैठ गया ।
वे दोनों बात करते रुक गये और मुझसे पूंछने लगे -

पंडित - कहा से हो ?
मैं - पंडित जी मैं मेहंदीपुर बालाजी ( दौसा ) से श्याम मिश्रा हूँ।
(मेरा जवाव सुनते ही दोनों ने राहत की सी सांस ली और खुश हुए )
पंडित - अपना ही लड़का हैं ।और ये हैं कोर्ट के जज पांडे जी (सूट बूट वाले की और इशारा करके )
जज - वाराणसी क्यों जा रहे हो ?
मैं - सर एग्जाम देने जा रहा हूँ ।काफी वर्षो से तयारी कर रहा हूँ ।आईएस की पर सफल नही हो पा रहा हूँ ।
जज - क्यों ?
मैं - क्योंकि विदेशों में हमारे बुजिनेस को सँभालने जाता रहता हूँ।
जज - कोई बात नही अबकी बार पेपर क्लियर हो जाए मुझे बता देना ।सब अपने ही लोग तो मेरिट बनाते हैं और इंटरव्यू लेते हैं ।
मैं - सर लेकिन आरक्षण वाले भी तो हैं ।
जज - हा हा हा.. आरक्षण वाले भाई कौनसी दुनिया में सोते रहते हो ।?आज तक कभी किसी आरक्षण वालो को आरक्षित सीट भरने दी है हमने कभी ?
मैं - पर सर संविधान में तो आरक्षण तो है ना ?
जज - वो कागजो में है ,जो कागजो में हमने उन्हें दे रखा है ।
जितने भी प्राइवेट सेक्टर हैं ,म्यूच्यूअल फण्ड स्पोर्ट्स राजनीति फिल्म इंडस्ट्री कोर्ट , मंदिर ट्रस्ट सभी जगह अपना ही आरक्षण है ।
मैं - पर सर मैं थोडा कमजोर हूँ ।मैं पेपर क्लियर नही कर पाऊंगा ।आप कुछ हल बताओ ?
जज - कोई बात नही मैं तुम्हारा जारी caste सर्टिफिकेट बन बा दूंगा । फिर तुम इन आरक्षण वालो की सीट पर खूब काम करना और पेपर इंटरव्यू के समय मुझे अवगत करवा देना ।
मैं - सर कही पकड़ा गया तो ?
जज - मैंने कहा ना सब जगह अपना ही आरक्षण है ।और आरक्षितों का आरक्षण सिर्फ कागजो में हैं ।
पंडित - ये तुम्हे फ़िज़ूल की मेहनत का काम बता रहे हैं ।
जब हमारे 4 मंदिरों में एक दिन की कमाई 12 करोड़ रूपये है तो क्यों 50000 की नौकरी करते हो ।
इतना तो मैं एक दिन की तुम्हे तनख्वाह दे सकता हूँ ।
मैं - पंडित जी वहा तो आरक्षण की जरूरत नही पड़ेगी ?
पंडित - वहा पर तो हम आरक्षण वालो को कपडे पहन कर भी नही घुसने देते ।चाहे महिला हो या पुरुष ।और (हँसते हुए ) जो तुम्हे पसंद हो उसे शारीरिक संबध भी बना सकते हो ।क्योंकि देव दासी प्रथा तो हमारे ही कानून में है ।
मैं - पर पंडित जी वो तो अपने ही देश के नागरिक हैं न ?
पंडित - अरे बेबकुफ़ हमारा तो डीएनए भी देश का नही हैं ।किस भूल में हो ।
मैं - पंडित जी इसका कोई विरोध नही करता ?
पंडित - हजारो सालो से इनकी मानसिकता पर हमारा ही कब्ज़ा तो हैं ।

( हसते हुए ) फिर अंधविश्वास का दूसरा नाम ही तो श्रद्धा है ।
और इन मंदिरों की दुकानों पर हमारा ही तो आरक्षण है ।हमने कभी मुर्खता नही की पटरी उखाड़ना रोड रोकना क्योंकि इस पर हमारा शुरू से एकाधिकार है ।
मैं - पर कहीं इन मूलनिवासियो ने इसका बाद में विरोध किया तो ?
पंडित - आरएसएस vhp बजरंग दल शिव सेना दुर्गा शक्ति दल ये सब किस दिन काम आएगी ।इनके सदस्यों की संख्या इतनी है जितनी भारतीय सेना की भी नही है ।
जज - तुम व्यर्थ ही चिंता कर रहे हो ।इस भारत के पूरे जज हम 90% हैं ।और caulasium सिस्टम से 100% हो जायेंगे ।
फिर जब कोई ज्यादा विरोध करेगा तो हम संविधान ही बदल देंगे ।
मैं - जी महोदय ,लेकिन ये व्यवस्था कब तक चलेगी ?
(दोनों एक साथ ) - जब तक इन मंदिरों में अंध भक्तो की लाइन रहेगी तब तक ।और हमे पता हैं ये लाइन कभी नही टूटेगी ।
मैं - टूटेगी जरूर टूटेगी और तुम्हारा आरक्षण और भ्रटाचार भी जरूर टूटेगा ।
क्योंकि मैं मिश्रा नही आदिवासी हूँ इस देश का मूल निवासी ।
और तुम लोगों की हकीकत मैं सब भाइयों को बताऊंगा । तब ये सब टूटेगा ।
पंडित - जब तक मेरे मंदिर हैं तुम कुछ नही बिंगाड सकते हमारा ।
जज - तुम्हारे जैसो की आवाज़ हमे दवाना हमे अच्छे से आता हैं ।तुम कोशिश करके देखलो ।

मैं - ये राम राज्य नही ,आंबेडकर राज्य है । और भीम के सैनिक एक दिन तुम्हे इसका जवाव जरूर देंगे ।
दोनों - तब तक तो हम तुम्हारे भाइयो को लूट चुके होंगे ।
( स्टेशन पास आते )
अब तुम जाओ पहले 5000 की नौकरी ढूंढो और अपने परिवार को एक टाइम का खाना खिलाओ इतना करने में ही तुम्हे पता चल जाएगा की आरक्षण किसका है ।
और कैसे समाज जागरूक होता है ?
बकवास करता है ।
मैं -मैं चाहे भूखा मरू लेकिन तुम्हारी हकीकत सब दुनिया को बता कर ही मानुगा ।
मेरे भाई इसका जवाव तुम्हे जरूर देंगे ।
जय भीम ।
जय भीम साथियों । क्या आप मेरी इस जागरूकता अभियान में मेरा साथ दोंगे ।जिससे इनका असली चेहरा बेनकाब हो सके ।
साथियों इसे अधिक से अधिक शेयर करके जागरूकता अभियान में अपना सहयोग दो ।
जय भीम

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