रामायण फर्जी और काल्पनिक ग्रन्थ
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🔲अयोध्या उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में स्थित है।
🔲 यहां पर गंगा नदी की सहायक नदी है, जिसका नाम "घगगर" यानि कि "घाघरा" नदी बहती है।
🔲उत्तर प्रदेश के फैजाबाद राजस्व रिकार्ड में भी इस नदी का नाम "घाघरा" उल्लेंखित है।
🔲परन्तु ब्राह्मणों के धर्म ग्रन्थो में इस नदी को 'सरयू' नदी कहा गया है।
🔲एेसा क्यों?
🔲आपको ध्यान रहे
🔷मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में अशोक के मोर्य वंश के बौद्ध सम्राट राजा बृहद्रथ मोर्य की उसी के सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से हत्या कर खुद को मगध का राजा घोषित किया ।
🔷और खुद को राजा घोषित किया था और उसने अपनी राजधानी को पाटलीपुत्र से अयोध्या स्थानांतरित कर दिया ।
🔷 अयोध्या अथार्त् बिना युद्ध किये बनाई राजधानी।
🔷पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, भगवाधारी बौद्ध भिक्षु का सर काट कर लायेगा, उसे सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।
🔷इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्धों का कत्लेआम हुआ और राजधानी अयोध्या में बौद्धों के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात "सरयू" हो गया।
🔷इसी "सरयू" नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने "रामायण" लिखी थी।
🔷यानि रामायण का राम "पुष्यमित्र शुंग" ही है। इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में "सरयू" नदी के किनारे हुई।
🔷बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।
🔷तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा की इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे की । बीते वर्षो में यह क्या थे।
🔷तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व् काल्पनिक पात्रो को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी।
🔷ध्यान रहे उक्त ब्रह्दथ मोर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था ना ही इस तरह की संस्क्रति थी।
🔷ध्यान रहे की पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी " सच्ची रामायण" पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर 412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला ।
जिसमे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है।
🔷सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है की " रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है।
🔲अथार्त् फर्जी है।
जय भीम।।।।।
कुशालचंद्र एडवोकेट
बकचोदी करने के अलावे कुछ दिखता है
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