Tuesday, January 5, 2016

जाति की पहचान हमारी अपनी वास्तविक पहचान नहीं

Caste identity must be converted in class identity and that is Mulnivasi identity। 
जाति की पहचान हमारी अपनी वास्तविक पहचान नहीं है। यह विदेशो ब्राह्मणो द्वारा हम पर जबर्दस्ती थोपी गयी एक अपमान जनक पहचान है। इसलिए हमे अपनी जाति या उप जाति की पहचान छोड़ देनी चाहिए और आज हमें मूलनिवासी बहुजन पहचान जो सम्मानजनक एवं ऐतिहासिक पहचान है पर संगठित होना चाहिए।

 हमारी सामाजिक समस्या जाति व्यवस्था है। साथियों यदि हमें यह पता हो जाये की जाति व्यवस्था कैसे पैदा हुयी है तो हमको इसको समाप्त करने का उपाय भी मिल जायेगा। विदेशी आर्य ब्राह्मणों के आगमन से पूर्व हमारे समाज के लोग प्रजातान्त्रिक एवं स्वतंत्र सोच के थे और उनमे कोई भी जाति व्यस्था नहीं थी। सब मिलकर प्रेम एवं भाईचारे के साथ रहते थे। ऐसा इतिहास सिन्धु घाटी की सभ्यता (Indus Valley Civilization-3000BC) का मिलता है। फिर बिदेशी ब्राह्मण आज से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व (2000BC) भारत आये और उनका यहाँ के मूलनिवासियो के साथ संघर्ष हुआ। ब्राह्मण लोग साम, दाम, दंड एवं भेद की नीत से किसी तरह संघर्ष में जीत गए परन्तु ब्राह्मणों की समस्या थी की ज्यादा लोगो को ज्यादा समय तक नियंत्रित कैसे रखा जाय इसलिए उन्होंने मूलनिवासियो को 6743 टुकडो में तोड़ा और उनमे श्रेणी बध असमानता का सिधांत अर्थात जाति व्यवस्थाका सिधांत, लागु किया और उनको वेदों एवं शास्त्रों के माध्यम से मानसिक रूप से गुलाम बनाया। इसलिए साथियों इतिहास हमें यही बताता है कि , अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़े वर्ग और इनसे धरम परिवर्तित अल्पसंख्यक आपस में ऐतिहासिक रूप से भाई-भाई है। सभी इस देश के मूलनिवासी है। दुश्मनों ने हमें कई छोटे –छोटे टुकडो अर्थात जातियों में तोडा और हमारी मूल पहचान मिटा कर अपने साथ अपमान जनक पहचान के साथ जोड़ा ...तो हमारे महापुरुषों ने हमें फिर से हमें उनसे अलग कर एक नाम एवं एक सम्मानजनक पहचान के साथ आपस मे पुनः जोड़ा...
i. तथागत बुद्ध ने सबसे पहले हमें प्रतीत्य समुत्पाद के सिधांत और अनित्य, अनात्म एवं दुख के सिधांत पर बहुजन पहचान के नाम से जोड़ा...
II. फिर संत रैदास, संत कबीर, गुरु नानक, गुरु घासीदास, नारायणा गुरु ने ब्राह्मण वाद से मुक्ति के लिए मुक्ति आन्दोलन चलाया और मूर्तिपूजा, बहुदेव वाद, कर्मकांड, तीर्थ व्रत एवं पाखंड के स्थान पर एक देव जो अदृश्य (निराकार) है के नाम पर जोड़ा.
III. राष्ट्रपिता फुले ने हमें शुद्र-अतिशुद्र पहचान के साथ सत्यशोधक के नाम से जोड़ा...
IV.बाबा साहेब ने ब्राह्मणो द्वारा तोड़े गए 6743 टुकडो को संबिधान के माध्यम से कानूनी रूप मे तीन जगह इकठ्ठा किया.
2000 जातियों को एक जाति, अनुसूचित जाति(SC) बनाया.
1000 जातियों को एक जाति, अनुसूचित जनजाति(ST) बनाया.
शेष बची 3743 जातियों को एक जाति, अन्य पिछड़ी जाति(OBC) बनाया.
आज संबैधानिक एवं क़ानूनी रूप भारत में से केवल 2 वर्ग है, एक है पिछड़ा वर्ग (Backward Class) एवं दूसरा है सामान्य वर्ग है और 4 जातियां है SC/ST/OB /General है। बाबा साहब ने तीन जातियों SC/ST/OBC/एवं इनसे धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यक को मिलाकर एक वर्ग पिछड़ा वर्ग (Backward Class) बनाया। 
V. इसी पिछड़े वर्ग (Backward Class) को मान्यवर कांशी राम साहेब ने फिर से बहुजन कहा और इसे देश की आबादी का 85% बताया। 
VI. और इसी पिछड़े वर्ग (Backward Class) को फिर यशकायी डी के खापर्डे ने ऐतिहासिक रूप से और अधिक स्पष्ट करते हुये मूलनिवासी बहुजन कहा। 
Caste identity must be converted in class identity and that is Mulnivasi identity। 
जाति की पहचान हमारी अपनी वास्तविक पहचान नहीं है। यह विदेशो ब्राह्मणो द्वारा हम पर जबर्दस्ती थोपी गयी एक अपमान जनक पहचान है। इसलिए हमे अपनी जाति या उप जाति की पहचान छोड़ देनी चाहिए और आज हमें मूलनिवासी बहुजन पहचान जो सम्मानजनक एवं ऐतिहासिक पहचान है पर संगठित होना चाहिए।
MC Jatav 
Office Secretary BAMCEF UP state
Mob 9415022070

No comments:

Post a Comment