Tuesday, January 5, 2016

मार समाज के कमज़ोर ज्ञान का मुख्य कारण

मेरा दृष्टिकोण-

चमार समाज के कमज़ोर ज्ञान का मुख्य कारण
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चमार समाज को मैंने दर्शन और आध्यात्म के मामले में हमेशा कमज़ोर पाया है।
मैं खुद भी 24 साल की अवस्था तक इन सबसे अनजान था।
एक बात पहले स्पष्ट कर दूँ कि आध्यात्म का संबंध धर्म से नहीं बल्कि मानव मन-नियंत्रण और जीवन के रहस्य को जानने से है।
प्रत्येक धर्म को आध्यात्म की ज़रूरत पड़ती है परंतु आध्यात्म को धर्म की नहीं।
इंद्रियों और संवेदनाओं पर नियंत्रण आध्यात्म बताता है न कि धर्म।
#धर्म की ज़रूरत तब होती है जब मनुष्य  #नैतिकता के दायरे से बाहर हो और उसे नैतिक बनाना हो।
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लेकिन जब मैं अपने चमार समाज को देखता हूँ तो यहाँ किसी धर्म की नहीं बल्कि आध्यात्म की ज़रूरत महसूस होती दिखाई पड़ती है।
क्योंकि अज्ञानता के माहौल में रहते हुए भी अन्य धर्म/जाति/समुदाय से ज़्यादा नैतिक हमारा समाज है।
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हमारे समाज के लोग आध्यात्म में कम धर्म में ज़्यादा रूचि लेते हैं।
लोग नौकरी के चक्कर में सिर्फ़ डिग्रीप्राप्ती किताबों को पढ़कर कर्तव्य की इतिश्रि करके अपने आगे के वंश को भी यही सलाह देते हैं।
ना तो कुछ नया सोचते हैं ना सोचने देते हैं।
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#आध्यात्म और #दर्शन की समझ पैदा करने के लिए #साहित्य को पढ़ना-जानना-सुनना बहुत ज़रूरी है चाहे वह जहाँ से संबंधित हो।
तत्पश्चात् स्वयं के सम्यक दर्शन से तर्क के आधार पर सही-ग़लत का परीक्षण करना चाहिए।
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मेरी नज़र में किसी भी समाज के उत्थान के लिए आध्यात्म बहुत आवश्यक है।
           

हाँ मैं #चमार हूँ & I am proud to be a #Chamar.             

                            अंकुर सिंह चमार

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